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अयोध्या में श्रीराम मंदिर के शिखर पर स्थापित ध्वज में रीवा का योगदान, इंडोलॉजिस्ट ललित मिश्रा ने दिया ऐतिहासिक डिज़ाइन

अयोध्या में श्रीराम मंदिर के शिखर पर स्थापित ध्वज में रीवा का योगदान, इंडोलॉजिस्ट ललित मिश्रा ने दिया ऐतिहासिक डिज़ाइन
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अयोध्या श्रीराम मंदिर के ध्वज डिज़ाइन में रीवा के इंडोलॉजिस्ट ललित मिश्रा की निर्णायक भूमिका। कोविदार वृक्ष, सूर्य और ओम तीन ऐतिहासिक प्रतीकों को मिली स्वीकृति।

मुख्य बातें (Top Highlights)

  • अयोध्या श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर स्थापित नए ध्वज के डिज़ाइन में रीवा के इंडोलॉजिस्ट ललित मिश्रा की महत्वपूर्ण भूमिका।
  • ध्वज में तीन प्राचीन प्रतीक – कोविदार वृक्ष, सूर्य और ओम शामिल किए गए।
  • कोविदार को रामायण काल में अयोध्या राज्य का राजचिह्न माना जाता था।
  • रीवा से 100 ऐतिहासिक ध्वज 22 जनवरी 2024 को ट्रस्ट को सौंपे गए थे।

अयोध्या श्रीराम मंदिर के शिखर ध्वज में रीवा का योगदान: इंडोलॉजिस्ट ललित मिश्रा की ऐतिहासिक भूमिका

अयोध्या स्थित श्रीराम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर ध्वज स्थापना के साथ ही भारतीय इतिहास और संस्कृति से जुड़ा एक नया अध्याय दर्ज हो गया है। इस ध्वज की पूरी रूपरेखा और उसके ऐतिहासिक संदर्भों को प्रमाणित करने की प्रक्रिया में रीवा के इंडोलॉजिस्ट ललित मिश्रा की निर्णायक और अभूतपूर्व भूमिका रही है।

ललित मिश्रा ने मंदिर निर्माण के शुरुआती चरण में ही यह मुद्दा उठाया था कि श्रीराम मंदिर का कोई आधिकारिक ध्वज चिह्न निर्धारित नहीं है, जबकि वाल्मीकि रामायण, पुराणों और कई अन्य प्राचीन ग्रंथों में इसके स्पष्ट वर्णन मौजूद हैं। इसी आधार पर उन्होंने मंदिर के ध्वज पर कोविदार (कचनार) वृक्ष को राजचिह्न के रूप में शामिल करने का प्रस्ताव रखा, जो रामायण काल में अयोध्या राज्य का प्रतीक माना जाता था।

कैसे आया कोविदार ध्वज का विचार? | Origin of the Kovidar Symbol

ललित मिश्रा बताते हैं कि जब श्रीराम मंदिर के निर्माण का मार्ग स्पष्ट हुआ, तब उन्होंने सबसे पहले रामायणकालीन ध्वज को पुनर्जीवित करने का विचार रखा। उन्होंने विभिन्न प्राचीन स्रोतों से प्रमाण जुटाकर बताया कि अयोध्या राज्य का मूल राजचिह्न कोविदार वृक्ष था।

मिश्रा के अनुसार, रामायण में वर्णित कई प्रसंग विंध्य क्षेत्र से जुड़े हैं। श्रीराम ने वनवास काल में जिस मार्ग से यात्रा की, वह रीवा-सतना होता हुआ चित्रकूट तक जाता था। निषादराज, लक्ष्मण और भरत से जुड़े प्रसंगों में कोविदार ध्वज का उल्लेख मिलता है। भरत जब श्रीराम से मिलने चित्रकूट आए थे, तब लक्ष्मण और निषादराज ने सेना को कोविदार ध्वज के आधार पर ही पहचाना था।

ध्वज में तीन प्रतीक क्यों चुने गए? | Three Symbols of the Ram Mandir Flag

ध्वज पर तीन महत्वपूर्ण चिह्न अंकित किए गए:

  • कोविदार (कचनार) वृक्ष – अयोध्या राज्य का प्राचीन राजचिह्न और इक्ष्वाकु वंश की पहचान।
  • सूर्य – सूर्यवंश परंपरा का प्रतीक, जिसमें भगवान श्रीराम का जन्म हुआ।
  • – धार्मिक, आध्यात्मिक और वैदिक परंपरा का सर्वोच्च प्रतीक।

यह संयोजन ध्वज को धार्मिक, ऐतिहासिक और आध्यात्मिक तीनों दृष्टियों से पूर्ण बनाता है। शुरुआत में केवल सूर्य चिह्न लगाने का विचार था, लेकिन मिश्रा द्वारा प्रस्तुत ऐतिहासिक प्रमाणों और तर्कों के बाद कोविदार वृक्ष को भी शामिल करने की स्वीकृति दी गई।

रीवा से भेजे गए थे 100 ऐतिहासिक ध्वज | Rewa Sent 100 Flags for Inauguration

श्रीराम मंदिर के लोकार्पण के दिन 22 जनवरी 2024 को रीवा से तैयार किए गए लगभग 100 ध्वज अयोध्या ट्रस्ट को भेजे गए थे। उस समय मुख्य मंदिर का केवल एक हिस्सा निर्मित था, इसलिए शिखर पर ध्वज स्थापना नहीं हो सकी, लेकिन परिसर के कई स्थानों पर इन्हें लगाया गया।

अब पूर्ण निर्माण के साथ शिखर पर जिस ध्वज को स्थापित किया गया है, उसमें भी वही प्राचीन प्रतीक शामिल हैं जिनकी अनुशंसा ललित मिश्रा ने की थी। मिश्रा मूलतः रीवा जिले के हरदुआ गांव के निवासी हैं और वर्तमान में अयोध्या शोध संस्थान, दिल्ली के संयोजक के रूप में कार्यरत हैं।

ध्वज की स्वीकृति प्रक्रिया कैसी रही? | Approval Process for the Flag Design

ध्वज डिज़ाइन की स्वीकृति प्रक्रिया कई चरणों में पूरी हुई। शुरुआत में ट्रस्ट केवल सूर्य चिह्न को ध्वज पर रखने के पक्ष में था, लेकिन मिश्रा ने पुराणों, रामायण और विभिन्न ऐतिहासिक स्रोतों के प्रमाण भेजते हुए बताया कि अयोध्या की असल पहचान कोविदार वृक्ष से होती थी।

उनके भेजे गए सैकड़ों पन्नों के संदर्भ, शिलालेखों के वर्णन और साहित्यिक प्रमाणों के आधार पर ट्रस्ट ने अंतिम ध्वज में कोविदार + सूर्य + ओम — इन तीन प्रतीकों को शामिल करने की सहमति दी।

ऐतिहासिक और आध्यात्मिक महत्व बढ़ा ध्वज का | Historic & Spiritual Importance

अयोध्या श्रीराम मंदिर का ध्वज केवल एक प्रतीक नहीं, बल्कि भारतीय सांस्कृतिक इतिहास का प्रतिनिधित्व है। कोविदार वृक्ष इक्ष्वाकु वंश की पहचान को दिखाता है, सूर्य चिह्न सूर्यवंश की परंपरा को दर्शाता है और 'ॐ' सनातन परंपरा का मूल मंत्र है।

इन तीनों चिह्नों के साथ यह ध्वज धार्मिक, वैदिक, ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक बिंदुओं का समन्वय बन गया है। रीवा के विद्वान द्वारा किया गया यह योगदान आने वाली पीढ़ियों के लिए स्मरणीय रहेगा।



FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. कोविदार वृक्ष क्या है और इसका क्या महत्व है?

कोविदार (कचनार) वृक्ष रामायण काल में अयोध्या राज्य का प्रतीक माना जाता था। इसे इक्ष्वाकु वंश का राजचिह्न बताया गया है।

2. ललित मिश्रा कौन हैं?

वे रीवा जिले के मूल निवासी और भारतीय इतिहास, संस्कृति तथा वेद-पुराणों के विशेषज्ञ इंडोलॉजिस्ट हैं। वर्तमान में अयोध्या शोध संस्थान दिल्ली के संयोजक हैं।

3. श्रीराम मंदिर के ध्वज में कौन-कौन से प्रतीक शामिल किए गए हैं?

ध्वज में कोविदार वृक्ष, सूर्य और ओम तीन प्राचीन प्रतीक शामिल हैं।

4. क्या रीवा से ध्वज भेजे गए थे?

हाँ, 22 जनवरी 2024 को रीवा से लगभग 100 ध्वज श्रीराम जन्मभूमि ट्रस्ट को भेजे गए थे।

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