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रीवा में 'कागजों में मृत' माँ को गोद में लेकर कलेक्टर जनसुनवाई पहुंचा बेटा: पेंशन और खाद्यान्न के लिए दर-दर भटक रहा परिवार

रीवा जिले में सरकारी रिकॉर्ड में जीवित महिला को 'मृत' दिखाया गया। बेटा माँ को गोद में उठाकर कलेक्टर जनसुनवाई में पहुंचा, रिश्वत के भी आरोप।रीवा: सरकारी तंत्र की लापरवाही और भ्रष्टाचार का एक चौंकाने वाला मामला रीवा जिले के गढ़ ग्राम पंचायत से सामने आया है। यहां एक बेटे को अपनी 64 वर्षीय जीवित माँ, देवकली सिंह को सरकारी कागजों में 'मृत' घोषित किए जाने के बाद, उन्हें गोद में लेकर कलेक्टर जनसुनवाई में पहुंचना पड़ा। यह परिवार पिछले कई महीनों से अपनी माँ को 'जीवित' साबित करने और सरकारी योजनाओं के लाभ से वंचित होने के कारण दर-दर भटक रहा है।
क्या है पूरा मामला?
गढ़ ग्राम पंचायत निवासी पिंकू सिंह ने बताया कि उनकी 64 वर्षीय माँ, देवकली सिंह को सरकारी दस्तावेजों में वर्ष 2024 से मृत घोषित कर दिया गया है । इस गंभीर त्रुटि के कारण देवकली सिंह को मिलने वाली वृद्धावस्था पेंशन और खाद्यान्न जैसी मूलभूत सरकारी योजनाओं का लाभ मिलना बंद हो गया है ।
पिंकू सिंह ने बताया कि उन्हें इस बात का पता तब चला जब उन्होंने अपनी माँ की समग्र आईडी निकलवाई। समग्र आईडी में माँ को मृत दर्शाया गया था, जिसके बाद उनके पैरों तले जमीन खिसक गई।
सरपंच और सचिव पर गंभीर आरोप: 'जीवित करने' के लिए मांगे ₹3000!
पिंकू सिंह का आरोप है कि उन्होंने अपनी माँ को दोबारा कागजों में जीवित करवाने के लिए सरपंच और सचिव से कई बार संपर्क किया, लेकिन उनकी कोई सुनवाई नहीं हुई । पिंकू सिंह के अनुसार, पंचायत सचिव ने उनकी माँ को दोबारा कागजों में 'जीवित' करने के लिए उनसे ₹3,000 की रिश्वत की मांग की है। वहीं, सरपंच पर मदद करने से इनकार करने और उन्हें धमकी देने का भी आरोप है ।
कलेक्टर जनसुनवाई में पहुंचा मजबूर बेटा
जब कहीं से कोई मदद नहीं मिली, तो हताश पिंकू सिंह अपनी 64 वर्षीय माँ देवकली सिंह को गोद में उठाकर कलेक्टर कार्यालय में आयोजित जनसुनवाई में पहुंचे । यह दृश्य देखकर वहां मौजूद हर कोई हैरान रह गया। पिंकू सिंह का उद्देश्य अपनी जीवित माँ को अधिकारियों के सामने प्रस्तुत कर यह साबित करना था कि वे वास्तव में जीवित हैं और उन्हें सरकारी कागजों में गलत तरीके से मृत घोषित कर दिया गया है।
पिंकू सिंह ने अधिकारियों को बताया कि उनकी माँ कोरोना वैक्सीन लगने के बाद से चलने-फिरने में असमर्थ हो गई हैं और विकलांग हैं , जिसके कारण उन्हें गोद में उठाकर लाना पड़ा।
पहले भी की थी शिकायत, नहीं हुई सुनवाई
पिंकू सिंह ने बताया कि उन्होंने इस मामले को लेकर पहले भी 181 हेल्पलाइन पर शिकायत की थी और स्थानीय थाने भी गए थे, लेकिन उनकी रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई । यह दर्शाता है कि प्रशासनिक लापरवाही और भ्रष्टाचार की जड़ें कितनी गहरी हैं, जहां एक मजबूर नागरिक को अपनी बुनियादी समस्या के समाधान के लिए भी दर-दर भटकना पड़ रहा है।
आरोपों के घेरे में सरपंच और सचिव
इस पूरे मामले में सरपंच गोविंद कचे और सचिव शिवेंद्र तिवारी (जो पहले अक्षय लाल पटेल थे) और सहायक सेक्रेटरी प्रियंका गुप्ता पर आरोप लगाए गए हैं । पिंकू सिंह ने अपनी शिकायत में इन सभी का नाम लिया है।
अन्य समस्याएं भी बताईं
पिंकू सिंह ने अपनी माँ के 'मृत' घोषित होने के अलावा अन्य समस्याओं का भी जिक्र किया। उन्होंने बताया कि उनके घर के सामने लगा हैंडपंप खराब है और उन्हें 2 किलोमीटर दूर से पानी लाना पड़ता है। साथ ही, बिजली का बिल देने के बावजूद उनकी बिजली नहीं जोड़ी जा रही है ।
अब देखना यह है कि कलेक्टर जनसुनवाई में इस मामले के सामने आने के बाद जिला प्रशासन क्या कार्रवाई करता है। यह मामला सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में पारदर्शिता और जवाबदेही की कमी को उजागर करता है, और यह भी दिखाता है कि कैसे निचले स्तर पर भ्रष्टाचार आम नागरिकों के जीवन को प्रभावित कर रहा है।




