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रीवा: कबाड़ी मोहल्ले पर बड़ी कार्रवाई के बाद जनता का बड़ा सवाल: क्या पुलिस-माफिया गठजोड़ होगा उजागर?

रीवा। शहर के कबाड़ी मोहल्ला में चल रहे नशे के अवैध कारोबार पर आखिरकार पुलिस ने बड़ी कार्रवाई की है। रीवा रेंज के आईजी गौरव राजपूत और एसपी विवेक सिंह के नेतृत्व में चलाए गए इस संयुक्त अभियान ने शहर में हड़कंप मचा दिया है। हालांकि, इस कार्रवाई ने जहां जनता को राहत दी है, वहीं अब यह सवाल भी उठने लगे हैं कि क्या पुलिस अपने ही विभाग में बैठे उन 'सफेदपोशों' को बेनकाब करेगी, जिनकी मिलीभगत से यह धंधा वर्षों से फल-फूल रहा था?
कबाड़ी मोहल्ला: रीवा का 'ड्रग हब'
रीवा का कबाड़ी मोहल्ला लंबे समय से नशे का एक बड़ा केंद्र बन चुका था। यहां गली-कूचों में खुलेआम ड्रग्स और अन्य नशीले पदार्थ बिकते थे, जिसने युवाओं की एक पूरी पीढ़ी को नशे की लत में धकेल दिया। स्थानीय लोगों की शिकायतों के बावजूद प्रशासनिक उदासीनता के चलते यह समस्या लगातार विकराल होती गई।
आईजी गौरव राजपूत की अगुवाई में हुई कार्रवाई
इस स्थिति पर संज्ञान लेते हुए हाल ही में आईजी गौरव राजपूत ने एक बड़ा फैसला लिया। शहरभर की पुलिस टीमों को एक साथ बुलाकर एक गोपनीय ऑपरेशन शुरू किया गया। इस कार्रवाई में कई संदिग्धों को हिरासत में लिया गया और भारी मात्रा में नशीले पदार्थ जब्त किए गए। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, कार्रवाई के दौरान कई स्थानीय ड्रग सप्लायर्स और दलालों के नाम सामने आए हैं।
पुलिस पर भी उठे सवाल: 'क्या बिना सांठगांठ के संभव था?'
इस कार्रवाई के बाद जनता में गुस्सा और सवाल दोनों हैं। लोगों का कहना है कि इतने बड़े पैमाने पर नशे का कारोबार बिना पुलिस की मिलीभगत के संभव ही नहीं था। यह बात अब खुलकर कही जा रही है कि कबाड़ी मोहल्ले की यह स्थिति प्रशासनिक लापरवाही का नतीजा है। लोगों का मानना है कि इस कार्रवाई को सिर्फ दिखावा न बनाया जाए, बल्कि इसकी जड़ तक जाया जाए।
क्या उजागर होगा पुलिस-माफिया गठजोड़?
यह कार्रवाई रीवा के पुलिस अधिकारियों के लिए एक बड़ा इम्तिहान है। जनता जानना चाहती है कि क्या पुलिस ईमानदारी से जांच करते हुए उन पुलिसकर्मियों के नामों को भी सार्वजनिक करेगी जो नशे के इन सौदागरों को संरक्षण दे रहे थे। अगर यह कार्रवाई बीच में रोक दी जाती है या सिर्फ छोटे प्यादों पर ही खत्म हो जाती है, तो यह पुलिस की छवि पर एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा कर देगी। यह एक ऐसा मौका है जब पुलिस अपनी साख वापस जीत सकती है।
भविष्य की रणनीति और जनता को चाहिए पारदर्शिता
जनता की मांग है कि भविष्य में ऐसी कार्रवाई की पुनरावृत्ति न हो, इसके लिए ठोस कदम उठाए जाएं:
- नशे के मामलों की जांच में पुलिस के बाहर की एक स्वतंत्र एजेंसी को शामिल किया जाए।
- नशा मुक्ति और इसके दुष्परिणामों को लेकर स्कूल-कॉलेजों में जागरूकता अभियान चलाए जाएं।
- ड्रग्स की जांच करने वाली टीमों का नियमित ट्रांसफर हो ताकि वे किसी एक जगह पर अपनी जड़ें न जमा पाएं।
रीवा में नशे का जाल कितना गहरा है, यह इस कार्रवाई से साबित हो गया है। अब जनता को सिर्फ अपराधियों की गिरफ्तारी नहीं, बल्कि सिस्टम के भीतर बैठे दोषियों के नाम भी चाहिए। यह देखना दिलचस्प होगा कि रीवा पुलिस अपने ही विभाग के अधिकारियों को बचाने के लिए फाइल बंद करती है, या फिर पारदर्शिता का परिचय देते हुए इस मामले को तार्किक अंजाम तक पहुंचाती है।




