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रीवा के गोविंदगढ़ नगर परिषद अध्यक्ष समेत 6 भ्रष्टाचार में फंसे, सात दिन में जवाब तलब

रीवा के गोविंदगढ़ नगर परिषद अध्यक्ष समेत 6 भ्रष्टाचार में फंसे, सात दिन में जवाब तलब
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गोविंदगढ़ नगर परिषद अध्यक्ष अभिषेक सिंह पर लगे भ्रष्टाचार आरोप सही पाए गए। समिति की रिपोर्ट में कई अधिकारी दोषी। विभाग ने सात दिन में जवाब तलब किया।

मुख्य बिंदु (Top Highlights)

  • गोविंदगढ़ नगर परिषद अध्यक्ष अभिषेक सिंह के खिलाफ लगे भ्रष्टाचार के आरोप सही पाए गए।
  • जांच टीम की रिपोर्ट में कई CMO व कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई।
  • नगरीय प्रशासन विभाग ने सात दिन में ‘कारण बताओ नोटिस’ के प्रारूप की जानकारी मांगी।
  • राजनीतिक खींचतान के बीच पार्षद के शिकायत पत्र पर कार्रवाई हुई।

रीवा: गोविंदगढ़ नगर परिषद अध्यक्ष अभिषेक सिंह पर भ्रष्टाचार की पुष्टि, विभाग ने मांगा जवाब

रीवा जिले के गोविंदगढ़ नगर परिषद में चल रहे राजनीतिक तनाव और आरोप-प्रतिआरोप के बीच एक बड़ा फैसला सामने आया है। नगर परिषद के अध्यक्ष और भाजपा नेता अभिषेक सिंह के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के आरोपों की जांच में कई अनियमितताएं सत्य पाई गई हैं।

नगरीय प्रशासन विभाग के अपर संचालक द्वारा जारी पत्र में यह स्पष्ट किया गया है कि पार्षद ज्ञानेंद्र सिंह की शिकायत के आधार पर गठित जांच टीम ने सामग्री खरीदी, नियुक्तियों और निर्माण कार्यों में गंभीर अनियमितताएं पाई हैं। रिपोर्ट के आधार पर विभाग ने सभी जिम्मेदारों को सात दिन के भीतर जवाब प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं।

जांच में क्या-क्या पाया गया? | What the Inquiry Found

जांच टीम के प्रतिवेदन में नगर परिषद अध्यक्ष अभिषेक सिंह के साथ तत्कालीन CMO हेमंत त्रिपाठी, पवन सिंह, ज्ञानेंद्र श्रीवास्तव, उपयंत्री प्रफुल्ल कुमार गुप्ता और मुख्य लिपिक विकास पाटनकर को अनियमितताओं के लिए जिम्मेदार माना गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, नगर परिषद में:

  • नियमों के विपरीत नियुक्तियाँ की गईं।
  • स्वच्छता कार्य में अनियमित भुगतान किया गया।
  • निर्माण कार्यों में अधिक मूल्यांकन और गलत बिलिंग की गई।
  • कई स्थानों पर बिना अनुमोदन के सामग्री खरीदी के भुगतान किए गए।

इन सभी अनियमितताओं की पुष्टि के बाद ही विभाग ने कारण बताओ नोटिस की प्रक्रिया प्रारंभ करने के लिए पत्र जारी किया है।

शिकायत कैसे शुरू हुई? | How the Complaint Started

गोविंदगढ़ नगर परिषद में भाजपा दो गुटों में बंटी हुई है। इन्हीं आंतरिक विवादों के बीच पार्षद ज्ञानेंद्र सिंह ने नगर परिषद के कामकाज में भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के आरोप लगाते हुए शिकायत की थी।

यह भी बताया जाता है कि पार्षद, क्षेत्रीय विधायक नागेंद्र सिंह के करीबी माने जाते हैं। दोनों नेताओं के बीच पिछले कुछ समय से राजनीतिक खींचतान खुलकर सामने आई है।

राजनीतिक खींचतान का असर | Political Tussle Factor

गोविंदगढ़ में भाजपा के अंदरूनी विवाद लंबे समय से सार्वजनिक हैं। एक गुट का आरोप है कि नगर परिषद अध्यक्ष फैसले एकतरफा लेते हैं, जबकि दूसरा गुट रुकावटों के लिए विरोधी गुटों को दोषी ठहराता है।

इस प्रकरण के बढ़ने से पहले ही कुछ महीनों पूर्व पार्षदों ने अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव की तैयारी भी की थी। कलेक्टर से मुलाकात कर पार्षदों ने अविश्वास प्रस्ताव की प्रक्रिया शुरू करने की मांग भी की थी।

लेकिन उसी बीच राज्य शासन ने नगर निकाय अध्यक्षों को हटाए जाने से जुड़े नियमों में संशोधन कर दिया, जिससे वह प्रस्ताव आगे नहीं बढ़ सका।

अब विभाग ने शुरू की औपचारिक कार्रवाई | Department Initiates Action

जांच टीम की रिपोर्ट आने के बाद नगरीय प्रशासन विभाग ने पत्र भेजकर यह भी निर्देश दिया है कि संबंधित अधिकारियों और कर्मचारियों पर कारण बताओ नोटिस तैयार कर सात दिन के भीतर संचालनालय को भेजा जाए, ताकि आगे की कार्रवाई सुनिश्चित की जा सके।

सूत्र बताते हैं कि अब रिपोर्ट के आधार पर विभागीय कार्रवाई तय है और कुछ मामलों में निलंबन या अन्य दंडात्मक कार्यवाही भी हो सकती है।

भाजपा में बढ़ सकता है तनाव | Internal Party Heat Likely to Rise

अभिषेक सिंह भाजपा के स्थानीय नेतृत्व का बड़ा नाम माने जाते हैं। ऐसे में आरोपों के सही पाए जाने से पार्टी में अंदरूनी तनाव और बढ़ सकता है। विधायक नागेंद्र सिंह ने इस मामले पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन पार्टी के कई स्थानीय नेता इस पर नजर बनाए हुए हैं।



FAQs – अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. जांच में क्या पाया गया?

जांच में नियुक्तियों, सामग्री खरीदी, निर्माण कार्य और स्वच्छता भुगतान में अनियमितताएं सही पाई गईं।

2. किन-किन को जिम्मेदार माना गया?

अध्यक्ष अभिषेक सिंह के साथ तत्कालीन CMO, उपयंत्री और लिपिक सहित कई कर्मचारी जिम्मेदार पाए गए।

3. विभाग ने क्या आदेश दिए हैं?

सभी जिम्मेदारों को सात दिनों में कारण बताओ नोटिस का प्रारूप संचालनालय को भेजना होगा।

4. क्या मामला राजनीतिक भी है?

हाँ, भाजपा के दो गुटों के बीच चल रही खींचतान ने मामले को और तेज किया।

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