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रीवा जिला न्यायालय में अधिवक्ताओं की बैठक व्यवस्था पर फैसला हाईकोर्ट करेगा, बार बिल्डिंग का कब्जा निर्देश मिलने के बाद ही

रीवा जिला न्यायालय में अधिवक्ताओं की बैठक व्यवस्था पर फैसला हाईकोर्ट करेगा, बार बिल्डिंग का कब्जा निर्देश मिलने के बाद ही
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रीवा नए जिला न्यायालय में अधिवक्ताओं की बैठक व्यवस्था हाईकोर्ट निर्देश के बाद तय होगी। बार बिल्डिंग कब्जा, चेंबर नीति और फर्नीचर पर कोर्ट ने दी जानकारी।

Top Highlights (मुख्य बिंदु)

  • रीवा के नए जिला न्यायालय में अधिवक्ताओं की बैठक व्यवस्था को लेकर स्थिति स्पष्ट।
  • बैठक व्यवस्था हाईकोर्ट के निर्देश के बाद उपलब्ध कराई जाएगी।
  • RTI आवेदन पर कोर्ट प्रशासन ने विस्तृत जानकारी जारी की।
  • बार बिल्डिंग का कब्जा हाईकोर्ट को भेजी गई नीति के बाद ही मिलेगा।
  • फर्नीचर–कुर्सी–टेबल के लिए कोई शुल्क कोर्ट ने निर्धारित नहीं किया।

रीवा जिला न्यायालय में अधिवक्ताओं की बैठक व्यवस्था पर हाईकोर्ट का फैसला लंबित, RTI में कोर्ट ने दी विस्तृत जानकारी

रीवा के नए जिला न्यायालय परिसर में अधिवक्ताओं की बैठक व्यवस्था (Seating Arrangement) को लेकर चल रहा विवाद अब स्पष्ट दिशा में बढ़ता दिख रहा है। लंबे समय से अधिवक्ताओं द्वारा उठाई जा रही बैठने की समस्या पर अदालत प्रशासन ने सूचना का अधिकार (RTI) के तहत महत्वपूर्ण जानकारी जारी की है।

RTI आवेदक अधिवक्ता कौशलेंद्र सिंह को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश कार्यालय की ओर से भेजे गए जवाब में बताया गया है कि बार बिल्डिंग के कब्जा और चेंबर आवंटन संबंधी पूरी नीति हाईकोर्ट को भेज दी गई है। हाईकोर्ट से दिशा-निर्देश प्राप्त होने के बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी।

अधिवक्ता संघ का विरोध और धरना

नए न्यायालय परिसर में बैठक व्यवस्था उपलब्ध न होने की वजह से अधिवक्ता संघ ने हाल ही में विरोध प्रदर्शन और धरना भी दिया था। उनका कहना था कि बिना बैठने की समुचित व्यवस्था के अधिवक्ता नए कोर्ट परिसर में काम नहीं कर पाएंगे। कई अधिवक्ताओं ने चेतावनी दी थी कि यदि बैठने और चेंबर की समस्या नहीं सुलझी तो वे कोर्ट परिसर में प्रवेश करने से इंकार कर देंगे। ऐसी परिस्थितियों में RTI के ज़रिए मांगी गई जानकारी ने इस मामले को नई दिशा दी है।

हाईकोर्ट को भेजी गई है चेंबर आवंटन नीति

RTI के अनुसार, जिला अधिवक्ता संघ द्वारा तैयार की गई चेंबर आवंटन नीति (Chamber Allocation Policy) को जिला न्यायालय प्रशासन ने मध्यप्रदेश हाईकोर्ट को भेज दिया है। हाईकोर्ट की स्वीकृति मिलने के बाद ही—

  • अधिवक्ताओं को चेंबर आवंटित किए जाएंगे
  • बार बिल्डिंग का आधिकारिक कब्जा दिया जाएगा
  • नए परिसर में बैठने की प्रक्रिया शुरू होगी

फर्नीचर–कुर्सी–टेबल के शुल्क पर कोर्ट का जवाब

अधिवक्ताओं में यह चर्चा रही कि चेंबर और बैठने की जगह के लिए कोर्ट प्रशासन द्वारा कुर्सी–टेबल पर शुल्क जमा कराने की बात कही गई है। RTI में कोर्ट ने इस पर स्पष्ट किया—

“चेंबर और कुर्सी–टेबल की व्यवस्था के लिए कोई शुल्क जमा कराने संबंधी आदेश जिला न्यायालय द्वारा जारी नहीं किए गए हैं।”

इससे अधिवक्ताओं में फैली गलतफहमियों को भी दूर करने में मदद मिली है।

क्यों बनी थी विवाद की स्थिति?

दरअसल नए जिला न्यायालय परिसर में अधिवक्ताओं के बैठने के लिए पर्याप्त जगह, चेंबर और फर्नीचर की कमी की शिकायतें लगातार उठती रहीं। बार एसोसिएशन के पदाधिकारियों ने आरोप लगाया कि अदालत प्रशासन ने समय पर अधिवक्ताओं की सुविधाओं पर ध्यान नहीं दिया।

इन्हीं आरोपों के बीच अधिवक्ताओं ने धरना–प्रदर्शन भी किया और मांग रखी कि जब तक बैठक व्यवस्था पूरी नहीं हो जाती, वे नए भवन में कार्य नहीं करेंगे।

अब आगे क्या? हाईकोर्ट निर्देश का इंतजार

RTI के जवाब से स्पष्ट है कि अब पूरी प्रक्रिया हाईकोर्ट के हाथ में है। उम्मीद की जा रही है कि—

  • चेंबर आवंटन नीति पर जल्द निर्देश जारी होंगे
  • बार बिल्डिंग का कब्जा औपचारिक रूप से सौंपा जाएगा
  • अधिवक्ताओं की बैठक व्यवस्था सरलता से लागू होगी
  • कोर्ट परिसर में कामकाज सुचारू रूप से शुरू होगा

अधिवक्ता समुदाय का कहना है कि उन्हें सिर्फ काम करने का सम्मानजनक माहौल चाहिए और हाईकोर्ट की मंज़ूरी आते ही विवाद समाप्त हो जाएगा।


FAQs — अक्सर पूछे जाने वाले सवाल

1. क्या अधिवक्ताओं को नए कोर्ट परिसर में चेंबर आवंटित हो जाएंगे?

हां, लेकिन हाईकोर्ट से निर्देश मिलने के बाद ही प्रक्रिया शुरू होगी।

2. क्या चेंबर का कब्जा अभी बार एसोसिएशन को दिया गया?

नहीं, नीति हाईकोर्ट को भेजी गई है। निर्देश मिलते ही कब्जा दिया जाएगा।

3. क्या फर्नीचर के लिए शुल्क लिया जा रहा है?

RTI जवाब में स्पष्ट कहा गया है कि कोर्ट ने ऐसा कोई आदेश जारी नहीं किया है।

4. अधिवक्ताओं ने विरोध क्यों किया था?

नए परिसर में बैठने व चेंबर व्यवस्था पूरी न होने के कारण।

5. आगे क्या निर्णय आने वाला है?

हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद पूरी प्रक्रिया अंतिम रूप लेगी।

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