रीवा

रीवा में कांग्रेस का न्याय सत्याग्रह: Police-Workers Clash in Protest

रीवा में कांग्रेस का न्याय सत्याग्रह: Police-Workers Clash in Protest
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रीवा में कांग्रेस के न्याय सत्याग्रह के दौरान पुलिस और कार्यकर्ताओं में तनाव, नारेबाजी, ज्ञापन और बड़े आंदोलन की चेतावनी।

रीवा में कांग्रेस का ‘न्याय सत्याग्रह’

मध्य प्रदेश के रीवा शहर में कांग्रेस पार्टी ने अपने ‘न्याय सत्याग्रह’ आंदोलन के तहत संभागीय कमिश्नर कार्यालय के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। इस आंदोलन का उद्देश्य सरकार की नीतियों और प्रशासनिक कार्यप्रणाली के खिलाफ आवाज बुलंद करना था।

2. आंदोलन की पृष्ठभूमि

कांग्रेस लंबे समय से सरकार पर आरोप लगाती रही है कि वह लोकतांत्रिक अधिकारों को कुचल रही है और विपक्ष की आवाज दबा रही है। इसी क्रम में ‘न्याय सत्याग्रह’ का आयोजन किया गया, जिसमें शहर और आसपास के इलाकों से बड़ी संख्या में कार्यकर्ता पहुंचे।

3. पुलिस और कार्यकर्ताओं में टकराव

आंदोलन के दौरान मुख्य गेट पर पुलिस और कार्यकर्ताओं के बीच गहमागहमी देखने को मिली। प्रदर्शनकारियों ने नारेबाजी की और गेट को घेर लिया, वहीं पुलिस ने उन्हें नियंत्रित करने की कोशिश की, जिससे थोड़ी देर के लिए धक्का-मुक्की की स्थिति बन गई।

4. वरिष्ठ नेताओं की भूमिका

इस आंदोलन में कांग्रेस के कई वरिष्ठ नेता मौजूद रहे, जिनमें नेता प्रतिपक्ष उमंग सिंघार भी शामिल थे। उन्होंने आंदोलनकारियों का उत्साहवर्धन किया और सरकार पर तीखे प्रहार किए।

5. ज्ञापन सौंपने की घटना

कांग्रेस नेताओं ने कमिश्नर को ज्ञापन सौंपने की कोशिश की, लेकिन उनकी जगह अपर कलेक्टर उपस्थित थीं। इस पर उमंग सिंघार ने नाराजगी जताई और इसे अधिकारियों का “गैर-जिम्मेदाराना रवैया” करार दिया।

6. उमंग सिंघार का बयान

सिंघार ने कहा कि यदि यही रवैया जारी रहा, तो कांग्रेस एक बड़ा और उग्र आंदोलन करने के लिए मजबूर होगी। उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह सिर्फ कांग्रेस की लड़ाई नहीं, बल्कि जनता की आवाज है, जिसे सरकार दबा रही है।

7. प्रदर्शनकारियों की मांगें

प्रदर्शनकारियों ने सरकार से मांग की कि वे झूठे मुकदमे दर्ज करवाना बंद करे, लोकतांत्रिक अधिकारों का सम्मान करे और जनहित के मुद्दों पर गंभीरता से ध्यान दे।

8. सरकार पर आरोप

ज्ञापन में आरोप लगाया गया कि सरकार पुलिस का इस्तेमाल विपक्ष को डराने और कमजोर करने के लिए कर रही है। साथ ही, जनता की समस्याओं का समाधान करने में गंभीरता नहीं दिखाई जा रही।

9. आंदोलन का राजनीतिक प्रभाव

विश्लेषकों का मानना है कि इस आंदोलन से प्रदेश की राजनीति में हलचल बढ़ सकती है। कांग्रेस की सक्रियता आने वाले चुनावी माहौल को और गरमा सकती है।

यदि कांग्रेस अपनी चेतावनी के अनुसार आगे बढ़ती है, तो आने वाले दिनों में प्रदेश में और भी बड़े धरना-प्रदर्शन और आंदोलन देखने को मिल सकते हैं। यह स्थिति सरकार के लिए चुनौतीपूर्ण साबित हो सकती है।

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