रीवा

REWA: 90 गोवशों की तस्करी कर रहे थे, रायपुर कर्चुलियान में पकड़े गए

REWA: 90 गोवशों की तस्करी कर रहे थे, रायपुर कर्चुलियान में पकड़े गए
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REWA: रीवा में गोवंशों की तस्करी का मामला दिन ब दिन बढ़ता ही जा रहा है

रीवा में गोवंशों की तस्करी: मध्य प्रदेश के रीवा जिले में एक बार पुनः चल पहुंच तस्करी का मामला सामने आया है। रायपुर कर्चुलियान तहसील के पड़रा ग्राम में गौसेवक बालकृष्ण द्विवेदी एवं उनके साथियों ने लगभग 90 की संख्या में सींग और पैर से बंधे हुए झुंड में ले जा ले जाए जा रहे गोवंशों को पकड़ा, जिसकी सूचना उनके द्वारा सामाजिक कार्यकर्ता शिवानंद द्विवेदी सहित स्थानीय थाना सगरा प्रभारी एवं अन्य अधिकारियों को दी गई।

इस मामले पर पुलिस ने संज्ञान लिया और मौके पर पुलिस पहुंची लेकिन पड़रा क्षेत्र के ग्रामीण लोगों के द्वारा विरोध किया गया और उनके द्वारा कहा गया कि यह गोवंश हमारी फसल को नुकसान पहुंचाएंगे इसलिए हम इन्हें यहां नहीं रहने देंगे जबकि बालकृष्ण द्विवेदी एवं अन्य गौ सेवकों के द्वारा निरंतर यह कहा गया की इनकी व्यवस्था गौशाला में करवाई जाएगी लेकिन फिर भी ग्रामीण जन मारपीट तक उतारू हुए।

गोवंशों को नहीं पहुंचाया गया गौशाला

सगरा थाने में इस मामले से जुडी FIR घटना वाली रात तक नहीं हुई थी और न ही गोवंशों को किसी गौशाला में शिफ्ट किया गया था। जिसकी वजह से अभी भी वह गोवंश खुले में ही पड़े रहे. मामले पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सामाजिक कार्यकर्ता एवम गोवंश राइट्स एक्टिविस्ट शिवानंद द्विवेदी ने कहा है की आए दिन इस प्रकार की चल पशु तस्करी हो रही है और इसमें शासन प्रशासन चुप्पी बांधे बैठा हुआ है। जिससे साफ जाहिर होता है कि इस में प्रशासनिक अधिकारियों की मूक सहमति है। उन्होंने कहा है कि पड़रा पशु तस्करी के इस मामले में तत्काल दोषियों के विरुद्ध मध्य प्रदेश गोवंश वध प्रतिषेध अधिनियम 2004 की धारा 6/9, पशु क्रूरता निवारण अधिनियम 1960 की धारा 11 एवं भारतीय दंड संहिता की धारा 429 के तहत एफ आई आर दर्ज करवाते हुए दोषियों को गिरफ्तार किया जाए साथ में गोवंश को पुनर्वास और पोषण के लिए आसपास की गौशाला में शिफ्ट किया जाए।

रीवा से बांग्लादेश सप्लाई होते हैं गोवंश

गौरतलब है की चल पशु तस्कर पकड़े जाने से बचने के लिए गोवंशों को वाहनों में न भरकर दर्जनों की संख्या में इकट्ठा कर उनके सींग और पांव को रस्सी से बांधते हुए रास्तों और सड़कों से होकर पैदल ले जाते हैं। ऐसे में सामान्य तौर पर लोग यह समझते हैं की यह किसान और दूसरे किसी गांव ले जा रहे हैं। लेकिन सवाल यह है कि आज जब इन पशुओं से न तो खेती होती है और न कहीं हल में चल रहे हैं तो आखिर इतनी अधिक संख्या में प्रतिदिन गोवंश ले कहां जाया करते हैं? आमतौर पर पकड़े जाने पर यह चल पशु तस्कर यह दलील देते हैं कि वह गोवंशों को खेती किसानी के लिए शहडोल और सीधी ले जाया जा रहा है। लेकिन इस पर स्टिंग ऑपरेशन करने पर जो सच्चाई सामने आई है उसे साफ पता चलता है कि चल पशु तस्करी के माध्यम से ले जाए जाने वाले इनको गोवंशों को छुहिया घाटी मोहनिया घाटी से होते हुए देवलोंद जयसिंह नगर कोतमा के रास्ते मलगा छत्तीसगढ़ बिहार पश्चिम बंगाल से होते हुए समुद्र के रास्ते इन्हें बांग्लादेश तक ले जाया जाता है


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