रीवा

प्राचार्य के मौत का मामला: परिजनों ने नहीं की शिकायत फिर भी मामले को रीवा कलेक्टर इलैया राजा टी ने लिया संज्ञान में ...

प्राचार्य के मौत का मामला: परिजनों ने नहीं की शिकायत फिर भी मामले को रीवा कलेक्टर इलैया राजा टी ने लिया संज्ञान में ...
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रीवा। प्राचार्य के इलाज में लापरवाही पर प्रभारी कमिश्नर गंभीर है। उन्होंने मामले को संज्ञान में लिया और जांच के निर्देश जारी कर दिए हैं। डीन को सभी बिंदुओं पर रिपोर्ट बनाकर उपलध कराने को कहा गया है। वहीं दूसरी तरफ खामियों से बच निकलने के लिए ईएनटी के डॉक्टर जोड़तोड़ में लग गए हैं।

रीवा। प्राचार्य के इलाज में लापरवाही पर प्रभारी कमिश्नर गंभीर है। उन्होंने मामले को संज्ञान में लिया और जांच के निर्देश जारी कर दिए हैं। डीन को सभी बिंदुओं पर रिपोर्ट बनाकर उपलध कराने को कहा गया है। वहीं दूसरी तरफ खामियों से बच निकलने के लिए ईएनटी के डॉक्टर जोड़तोड़ में लग गए हैं।

ज्ञात हो कि मोतीलाल बंसल उम्र 44 वर्ष शासकीय हाईस्कूल में प्राचार्य के पद पर पदस्थ थे। उनकी मौत रविवार को इलाज के दौरान हो गई। इस मामले में कलेक्टर इलैया राजा टी ने जांच के निर्देश दे दिए हैं। प्राचार्य की मौत के पीछे संजय गांधी अस्पताल के एचओडी और डॉक्टरों की लापरवाही मुख्य वजह बनी। एचओडी को तुरंत आपरेशन करना था, लेकिन मामले को इतना बिगाड़ दिया गया कि प्राचार्य की स्थिति ही सीरियस हो गई। परिजनों ने बाहर श्रीजी लेप्रोस्कोपी अस्पताल लेकर पहुंचे। वहां डॉ एके खरे ने आपरेशन किया और प्राचार्य की मौत हो गई।

इस मामले में परिजनों ने संजय गांधी अस्पताल के डॉक्टर और निजी अस्पताल प्रबंधन पर लापरवाही का आरोप लगाया था। मामलें ने तूल पकड़ा तो कलेक्टर व प्रभारी कमिश्नर इलैयाराजा टी ने मामले में संज्ञान ले लिया। तुरंत प्राचार्य की मौत की जांच के निर्देश डीन को दे दिए। डीन डॉ मनोज इंदूलकर को जांच कर रिपोर्ट तलब करने को कहा गया है। निर्देश में यह भी कहा गया है कि डीन जांच करें कि क्या वाकई प्राचार्य को अस्पताल के ईएनटी में उचित उपचार नहीं मिल पाया। डीन की रिपोर्ट पर ही आगे की कार्रवाई होगी।

परिजनों के शिकायत का इंतजार :

कलेक्टर ने हालांकि इस मामले में स्वयं संज्ञान लेकर जांच शुरू कराई है। मृत प्राचार्य के परिजनों ने अब तक किसी तरह की कार्रवाई को लेकर शिकायत कलेक्टर या कमिश्नर को नहीं दिया है। यही वजह है कि कार्रवाई जोर नहीं पकड़ पा रहा है। निजी अस्पताल के खिलाफ भी शिकायत नहीं होने से कार्रवाई पर असर पड़ रहा है। प्रशाासन को सिर्फ एक शिकायत का इंतजार है। परिजनों की शिकायत पहुंचते ही मामले में जांच जोर पकड़ लेगी।

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