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रीवा में घूमने लायक जगहें (Rewa Me Ghumne Ki Jagah)

Rewa Me Ghumne Ki Jagah, Rewa Me Ghumne Ki Jagah Kaun Si Hai, Rewa Me Ghumne Layak Jagahe, Rewa Me Ghumne Layak Jagah, Rewa Me Ghumne Layak Jagah Kaha Hai, Rewa Me Ghumne Layak Jagah Kaha Per Hai: रीवा, मध्य प्रदेश के उत्तर-पूर्वी हिस्से में स्थित एक ऐतिहासिक नगर है, जो अपनी प्राचीन विरासत, झरनों और नैसर्गिक सौंदर्य के लिए जाना जाता है। यहां का शांत वातावरण, कम भीड़-भाड़ और अनछुई जगहें इसे एक आदर्श पर्यटन गंतव्य बनाती हैं।
क्योंटी जलप्रपात: भारत का 24वां सबसे ऊंचा झरना
रीवा जिले का क्योंटी जलप्रपात महाना नदी पर स्थित है, जो टोंस नदी की सहायक है। यह झरना करीब 130 मीटर की ऊंचाई से गिरता है और इसका दृश्य बेहद मनमोहक होता है। मानसून के मौसम में यहां का सौंदर्य और भी निखर उठता है।
🕉️ देव धार्मिक स्थल: महामृत्युंजय और भैरव बाबा मंदिर
रीवा के धार्मिक स्थलों में महामृत्युंजय मंदिर और भैरव बाबा मंदिर की विशेष मान्यता है। ये मंदिर न केवल आध्यात्मिकता से भरपूर हैं, बल्कि इनका स्थापत्य भी दर्शनीय है। भैरव बाबा की विशाल मूर्ति गुढ़ के पास एक झील के किनारे स्थित है।
रीवा किला: इतिहास की गहराइयों में झांकता शौर्य
रीवा किले का निर्माण सलिम शाह ने आरंभ किया था, जिसे बाद में बघेल शासक विक्रमादित्य सिंह ने पूर्ण कराया। यहां भूमिगत सुरंगें, मंदिर और संग्रहालय मौजूद हैं। किले के भीतर बघेल वंश से जुड़ी कई ऐतिहासिक वस्तुएं संरक्षित हैं।
बघेल संग्रहालय: रीवा का समृद्ध शाही अतीत
यह संग्रहालय रीवा किले के परिसर में स्थित है, जहां रीवा के शासकों के हथियार, वस्त्र, चित्र, और यहां तक कि भारत का पहला सफेद बाघ ‘मोहन’ भी संरक्षित अवस्था में देखा जा सकता है। यह संग्रहालय बघेला राजवंश के गौरवशाली इतिहास की गवाही देता है।
वेंकट भवन: संकट के समय बना ऐतिहासिक चमत्कार
वेंकट भवन का निर्माण 1907 में महाराजा वेंकटरमन सिंह ने अकाल राहत योजना के अंतर्गत करवाया था। इसकी वास्तुकला सरासेनिक शैली में है, जो इसे अन्य भवनों से अलग बनाती है। भवन में 12 दरवाजे और गुप्त सुरंगें भी मौजूद हैं।
देवी स्थलों का संगम: रानी तालाब, काली मंदिर और भैरव मंदिर
रानी तालाब रीवा का प्राचीन जलाशय है, जिसे तीर्थ स्थल का दर्जा प्राप्त है। इसके पश्चिमी किनारे पर देवी काली का भव्य मंदिर स्थित है। सूर्योदय और सूर्यास्त के समय यहां भक्तों की भीड़ देखी जाती है।
गोविंदगढ़ पैलेस और तालाब: झरनों से घिरा शाही विश्राम स्थल
गोविंदगढ़ पैलेस का निर्माण 1882 में किया गया था और यह गर्मियों में राजा का विश्राम स्थल था। यह महल गोविंदगढ़ झील के किनारे स्थित है और आसपास बहती क्योंटी, चचाई और बहुती जलप्रपात इसे प्राकृतिक सौंदर्य से भरपूर बनाते हैं।
चचाई और बहुती झरने: ऊंचाई से गिरते अद्वितीय झरने
चचाई झरना 130 मीटर ऊंचा है और भारत का 25वां सबसे ऊंचा जलप्रपात है। वहीं बहुती झरना 145 मीटर ऊंचाई से गिरता है और मध्य प्रदेश का सबसे ऊंचा झरना है। दोनों स्थल प्रकृति प्रेमियों के लिए स्वर्ग हैं।
देउर कोठार: अशोककालीन बौद्ध स्तूपों का गवाह
1982 में खोजा गया यह पुरातात्विक स्थल लगभग 2000 वर्ष पुराने बौद्ध स्तूपों का घर है। यहाँ मिट्टी की ईंटों और पत्थरों से बने स्तूप तथा गुफाएँ मौजूद हैं, जो सम्राट अशोक द्वारा बौद्ध धर्म के प्रचार के प्रयासों को दर्शाती हैं।
मुकुंदपुर जू: भारत का एकमात्र सफेद बाघ सफारी
मुकुंदपुर जू में सफेद बाघों के साथ शेर, तेंदुआ, और बंगाल टाइगर जैसे बड़े जानवरों को प्राकृतिक वातावरण में देखा जा सकता है। यहाँ का “व्हाइट टाइगर सफारी” अनुभव रोमांचक और शैक्षिक दोनों है।
नदियों का संगम: बिछिया और बीहर नदी
रीवा के आसपास के पुलों पर टहलते हुए बिछिया और बीहर नदियों के संगम का अद्भुत दृश्य देखा जा सकता है। यह प्राकृतिक संगम मानसून के बाद बेहद आकर्षक नजर आता है।
यात्रा का सर्वोत्तम समय
रीवा की यात्रा के लिए सर्दियों का मौसम (नवंबर से फरवरी) सबसे उपयुक्त माना जाता है। मानसून के तुरंत बाद का समय झरनों को देखने और हरियाली का आनंद लेने के लिए आदर्श है।




