रीवा

रिश्वत लेना ही नहीं, देना भी अपराध है! रीवा के याचिकाकर्ता पर High Court की तल्ख़ टिप्पणी

Ankit Neelam Dubey
16 Feb 2021 12:03 PM IST
रिश्वत लेना ही नहीं, देना भी अपराध है! रीवा के याचिकाकर्ता पर High Court की तल्ख़ टिप्पणी
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जबलपुर. नौकरी के लालच में रिश्वत देने वाले पर मध्यप्रदेश High Court ने तल्ख़ टिप्पणी की है. High Court ने कहा है कि 'रिश्वत लेना ही नहीं, बल्

जबलपुर. नौकरी के लालच में रिश्वत देने वाले पर मध्यप्रदेश High Court ने तल्ख़ टिप्पणी की है. High Court ने कहा है कि 'रिश्वत लेना ही नहीं, बल्कि रिश्वत देना भी अपराध की श्रेणी में आता है. यह सुनते ही याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने याचिका खारिज करने का आग्रह कर दिया.

दरअसल, मामला रीवा जिले का है. जहाँ सगड़ा, पतुलखी निवासी रामलाल साहू की ओर से दायर की गई थी. याचिका में याचिकाकर्ता द्वारा कहा गया था कि पतुलखी शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में पदस्थ अध्यापक रामखिलावन पटेल ने याचिकाकर्ता को सरकारी नौकरी में लगवाने का लालच दिया. बदले में उससे रिश्वत मांगी गई.

मामले की शिकायत याचिकाकर्ता द्वारा लोकायुक्त में की गई थी. जिस पर याचिकाकर्ता की ओर से माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष अधिवक्ता पी बालकृष्ण ने दलील दी गई कि लोकायुक्त पुलिस ने शिकायत पर आरोपित रामखिलावन पटेल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 13(1) (D), 13(2) के तहत 2015 में प्रकरण दर्ज कर लिया. लेकिन मामले में अब तक न तो जांच की गई और न ही आरोपित के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता द्वारा न्यायालय के समक्ष अपनी दलील रखते हुए आग्रह किया गया कि जांच जल्द पूरी कर अंतिम जांच रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया जाए. यह भी बताया जाए कि आरोपित के खिलाफ क्या कार्रवाई की गई? सुनवाई के दौरान कोर्ट ने याचिकाकर्ता के वकील से कहा कि याचिका के अनुसार याचिकाकर्ता 5 हजार रुपए रिश्वत देने के लिए तैयार था.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता की दलील सुनते ही माननीय न्यायालय ने कहा कि इस दृष्टि से याचिकाकर्ता ने भी रिश्वत देने का अपराध किया है. यह सुनते ही याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दुविधाग्रस्त हो उठें एवं फ़ौरन याचिका को खारिज करने का आग्रह कर बैठे. हांलाकि उच्च न्यायालय द्वारा अधिवक्ता के आग्रह स्वीकार करते हुए याचिका को खारिज कर दिया.

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