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रीवा के SGMH प्रशासन की लापरवाही! ऑपरेशन के इंतज़ार में तड़प रहें हैं मरीज, निजी अस्पतालों की तरफ करना पड़ता है रुख

Aaryan Dwivedi
10 March 2021 10:04 AM GMT
रीवा के SGMH प्रशासन की लापरवाही! ऑपरेशन के इंतज़ार में तड़प रहें हैं मरीज, निजी अस्पतालों की तरफ करना पड़ता है रुख
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रीवा. विंध्य के सबसे बड़े अस्पताल संजय गाँधी स्मृति चिकित्सालय (SGMH) के प्रशासन और चिकित्सकों की लापरवाही की सजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. दोनों ही अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है, जो ऑपरेशन के इंतज़ार में या तो लम्बे समय से एडमिट हैं या फिर उन्हें निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है और लुटना पड़ रहा है. 

रीवा. विंध्य के सबसे बड़े अस्पताल संजय गाँधी स्मृति चिकित्सालय (SGMH) के प्रशासन और चिकित्सकों की लापरवाही की सजा मरीजों को भुगतना पड़ रहा है. दोनों ही अस्पतालों में ऐसे मरीजों की संख्या बढ़ रही है, जो ऑपरेशन के इंतज़ार में या तो लम्बे समय से एडमिट हैं या फिर उन्हें निजी अस्पतालों का रुख करना पड़ रहा है और लुटना पड़ रहा है.

संजय गांधी अस्पताल में समय से ऑपरेशन नहीं होने से मरीज बेड पर तड़प रहे हैं. अस्पताल आने वाले मरीजों को आपरेशन की लंबी डेट दी जा रही है. जिसके चलते मरीजों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है. मजबूरी में परिजन अस्पताल से मरीजों को रेफर करवाकर निजी नर्सिंग होम में जा रहे हैं. वहीं कुछ ऐसे भी मरीज हैं जिन्हें आपरेशन की डेट तो दी जाती है लेकिन निर्धारित डेट में डॉक्टर नहीं पहुंच रहे हैं. ऐसे में मरीज अस्पताल के बेड में पड़े दर्द से कराह रहे हैं.

सूत्रों की मानें तो अस्पताल के गायनी और आर्थोपेडिक सहित अन्य वार्डों की हालत एक जैसी बताई जा रही है. वहीं दर्जनों ऐसे मरीज भी बेड पर पड़े हैं, जिन्हें ऑपरेशन के लिए अभी समय ही नहीं दिया गया है. बताया गया कि भर्ती के कुछ दिन बाद मरीजों को रेफर कर दिया जाता है.

डेढ़ माह बाद मिली डेट

उल्लेखनीय है कि मरीज करूणा पाण्डेय पति उमाकांत पाण्डेय को पहले आपरेशन के लिए भर्ती किया गया लेकिन उसका आपरेशन नहीं किया गया. बाद में उसे डिस्चार्ज कर दिया और डेढ़ माह बाद उसे आपरेशन की डेट दी गई. इस तरह से कई ऐसे मरीज हैं जिनका समय से आपरेशन नहीं किया जा रहा है. माना जा रहा है कि अस्पताल के चिकित्सकों द्वारा जानबूझ कर लंबी डेट दी जाती है ताकि परेशान होकर मरीज निजी नर्सिंग होम में इलाज कराने जाये और मोटी रकम खर्च करें.

दर्जन भर मरीज रोजाना हो रहें रेफर

ऑर्थो और गायनी वार्डों में भर्ती होने वाले दर्जन भर मरीजों को रोजाना रेफर किया जा रहा है. इससे यह साफ़ है कि अस्पताल प्रशासन और चिकित्सकों को दर्द से तड़पते कराहते लेते हुए मरीजों की कोई परवाह नहीं है.

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