रीवा

मिलिए रीवा की जया किशोरी से, आवाज़-अंदाज हूबहू उनके जैसा, हो रहीं VIRAL

Palak Kishori Rewa
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Palak Kishori Rewa: रीवा की रहने वाली पलक किशोरी (Palak Kishori) इन दिनों विंध्य में छाई हुई हैं।

Palak Kishori Rewa, Palak Kishori Kaun Hai: रीवा की रहने वाली पलक किशोरी इन दिनों विंध्य में छाई हुई हैं। पलक किशोरी का चेहरा मोहरा, उनका अंदाज तथा शारीरिक कद काठी कुछ-कुछ जया किशोरी से मिलता है लेकिन उनके पिता तथा घार वालों को कहना है कि यह केवल एक इत्फाक है। फिर भी लोग उन्हें जया किशोरी मानने लगे हैं। आज हालत यह है कि पलक किशोरी जब भागवत कथा का वाचन करती हैं लोग मंत्रमुग्ध होकर उन्हें सुनते रहते हैं। आज उनकी प्रतिभा रीवा से निकलकर समूचे विध्य में लोगों के दिलों दिमाग पर छाई हुई है। पलक किशोरी को सुनने के लिए लोग बेताब रहते हैं। उनकी मधुर वाणी सहज ही लोगों को अपना बना लेती है।

जाने कौन है Palak Kishori?

पलक किशोरी मध्य प्रदेश के रीवा जिले की रहने वाली हैं। इनका जन्म 24 दिसंबर 2005 को रीवा के पुष्प राज नगर स्थित अपने पुश्तैनी मकान में हुआ है। उनके छोटे भाई अधिवक्ता सतीश मिश्रा हैं। इनके बड़े पिता मनीष मिश्रा बताते हैं कि पलक 17 वर्ष की है। काफी पहले से उनका मन भागवत चर्चा में लग गया। आज उसी का परिणाम है कि पलक किशोरी जी जब भागवत कथा कहने के लिए बैठती है और भागवत कथा कहती हैं उस समय पंडाल में सन्नाटा छा जाता है। लोग इधर उधर की चर्चाएं छोड़कर केवल और केवल पलक की मधुर वाणीं में खो जाती हैं।

बचपन से ही पलक किशोरी का मन धार्मिक किताबों और कार्यक्रमों से लगा रहा। घर में होने वाले पूजा पाठ में पलक किशोरी बढ़ चढ़कर हिस्सा लेते हैं। बड़ी ही ध्यान पूर्वक धार्मिक आयोजनों के कार्य किया करती थी। घर में प्रतिदिन होने वाली पूजा आरती में वह विशेष मन लगाकर शामिल होती और आरती का गायन बड़े ही मधुर स्वर में किया करती है। बचपन से लेकर आज तक पलक किशोरी का यह क्रम निरंतर चल रहा है।

पलक किषोरी को संस्कृत और हिंदी के साथ ही अंग्रेजी भाषा का भी विशेष ज्ञान है। वह अंग्रेजी में भी बात कर सकती हैं। व्यास गद्दी से पलक की जब श्रीमद् भागवत कथा, कृष्ण कथा, भजन, आरती का वाचन और गायन करती हैं उस समय लोग भाव विभोर होकर उन्हें सुनते हैं।

पलक से जुड़ी लोगों की आशाएं

पलक किशोरी से आज विंध्य के लोगों का स्वाभाविक लगाव बढ़ता जा रहा है। बड़े-बड़े शास्त्री और महंतों का भी कहना है कि अगर पालक किशोरी की भगवान और कथा के प्रति निरंतर साधना चलती रही तो वह दिन दूर नहीं जब समूचा हिंदुस्तान और विदेशों में उनकी कथाएं होंगी। लोग उन्हें सुनने के लिए लालायित रहेंगे।

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