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Rewa Kashtaharnath Temple: रीवा जिले में स्थित भगवान कष्टहरनाथ भक्तों के कष्ट का करते हैं हरण, लगभग 15सौ वर्ष पुराना है मंदिर, आइए जानते हैं इनकी रोचक कहानी

Sanjay Patel
2 Aug 2023 7:08 AM GMT
Rewa Kashtaharnath Temple: रीवा जिले में स्थित भगवान कष्टहरनाथ भक्तों के कष्ट का करते हैं हरण, लगभग 15सौ वर्ष पुराना है मंदिर, आइए जानते हैं इनकी रोचक कहानी
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Kashtaharnath Temple Gurh: रीवा जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित भैरव बाबा की नगरी गुढ़ में भगवान शंकर का एक मंदिर है जो भक्तों के लिए आज भी महिमा का केन्द्र बना हुआ है। संकट दूर होने पर भक्तों ने इन्हें कष्टहरनाथ का नाम दे दिया।

Sawan 2023: एमपी के रीवा जिला मुख्यालय से लगभग 20 किलोमीटर दूर स्थित भैरव बाबा की नगरी गुढ़ में भगवान शंकर का एक मंदिर है जो भक्तों के लिए आज भी महिमा का केन्द्र बना हुआ है। संकट दूर हो जाने पर भक्तों ने इन्हें कष्टहरनाथ का नाम दे दिया। यहां के बुजुर्गों की मानें तो मंदिर 15सौ वर्ष पुराना है। यहां ऐसी भाषा शिलालेख में लिखी है जो लोगों की समझ में आज भी नहीं आता है।

प्रतिवर्ष बढ़ता है स्वयं प्रकट हुआ शिवलिंग

वहीं श्रद्धालुओं का ऐसा भी कहना है कि भगवान भोलेनाथ का लिंग स्वमेव प्रकट हुआ है, इतना ही नहीं यह प्रतिवर्ष बढ़ रहा है। वर्तमान में शिवलिंग की लंबाई 4 फिट से ज्यादा हो चुकी है। क्षेत्र के बुजुर्गों की मानें तो रात में उक्त स्थान पर मंदिर का नामोनिशान नहीं था जबकि दूसरे दिन लोग जागे तो मंदिर बनकर तैयार था। यही वजह है कि लोग इस मंदिर के निर्माण के पीछे भगवान विश्वकर्मा की शिल्प कला को श्रेय देते हैं। इतना ही नहीं इस मंदिर की महिमा भी देवतालाब शिवालय की श्रेणी में मानी जाती है। इतना ही नहीं मंदिर के पत्थर में कहीं भी जोड़ नहीं है। साथ ही प्रवेश द्वार दूसरी जगह निर्मित करना भी संभव नहीं है।

मुगल काल के दौर का है मंदिर

रीवा के गुढ़ स्थित कष्टहरनाथ मंदिर चमत्कारों से भरा हुआ माना जाता है। यहां वर्ष में दो बार बसंत पंचमी तथा शिवरात्रि को मेला भरता था। उस दौर में सीधी से लेकर रीवा तक के भक्त आते थे। अब खजुहा तथा सीधी के डुंडेश्वर नाथ में भी मेला लगने लगा है। यहां के लोगों की मानें तो मंदिर में मौजूद शिलालेख में जो भाषा लिखी हुई है उसे पढ़ पाना बेहद कठिन है। हालांकि जीर्णाेद्धार के दौरान किसी व्यक्ति ने शिलालेख पर लाल रंग का पेंट कर दिया जिससे इसकी भाषा और भी अवाचनीय हो गई है। हालांकि कुछ लोगों का ऐसा भी कहना है कि यह मंदिर मुगल काल के दौर का है। वजह जो भी हो मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की मनौती पूरी होती है।

हनुमानजी की प्रतिमा से बहने लगा था पसीना

स्थानीय निवासी रामनरेश चतुर्वेदी के अनुसार मंदिर की जलहरी के बगल में दो नाद का निवास था। बहुत साल पहले जब वे अचानक देर रात अज्ञानता के बीच जल चढ़ाने जा पहुंचे तो अभिषेक के बाद उन्होंने शिवलिंग का स्पर्श किया तो उन्हें कुछ मुलायम सा अनुभव हुआ। कुछ समय बाद जब उन्होंने देखा तो एक बहुत बड़ी आकृति के नाग देवता लिपटे हुए थे। जिनकी कमर से सिर तक की ऊंचाई 5 फिट थी। जिसके बाद वे घबरा गए थे। वहीं एक अन्य भक्त ठाकुरदीन पटेल का कहना था कि उन्होंने इस तरीके का नाग अपने जीवन में आज तक नहीं देखा है। पं. विजय त्रिपाठी के अनुसार बहुत समय पहले गुढ़ में भयंकर बाढ़ आई थी और लग रहा था कि समूचा गांव ही डूब जाएगा। उस दौरान पुजारी सुग्रीव दासजी ने मंदिर में मौजूद दक्षिणमुखी हनुमान जी के समक्ष एक पैर में खड़े होकर तपस्या की और कुछ ही मिनट में सात सीढ़ी पानी नीचे उतर गया। हालांकि उसके बाद उक्त हनुमान जी की प्रतिमा से पसीना बहने लगा था।

2 करोड़ में हुआ जीर्णाेद्धार

अति प्राचीन तथा भक्तों की आस्था का केन्द्र कष्टहरनाथ मंदिर लगभग 6 एकड़ के क्षेत्रफल में फैला हुआ है। जहां भगवान भोलेनाथ की मूर्ति के अलावा हनुमान जी सहित अन्य मूर्तियां भी विराजमान हैं। बताया जाता है कि पूर्व मंत्री तथा विधायक राजेन्द्र शुक्ला की पहल पर 2 करोड़ 38 लाख की लागत से मंदिर का सौंदर्यीकरण व जीर्णाेद्धार हुआ है। जिसके बाद यहां भक्तों के पहुंचने का सिलसिला बढ़ता जा रहा है। सावन के महीने में यहां भक्तों का सैलाब उमड़ रहा है। भगवान कष्टहरनाथ यहां पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के कष्टों का हरण कर लेते हैं।

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