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गुड न्यूज़! गोविंदगढ़ किला को लेकर आई बड़ी खबर, रीवा के हर व्यक्ति के लिए Latest Update

Rewa Govindgarh Fort
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Rewa Govindgarh Fort

Rewa Govindgarh Fort: रघुराज सागर तालाब जिसे वर्तमान में लोग गोविंदगढ़ तालाब के नाम से जानते हैं.

Rewa Govindgarh Kila: रघुराज सागर तालाब जिसे वर्तमान में लोग गोविंदगढ़ तालाब के नाम से जानते हैं। इस तालाब की अनेकों खासियत हैं। यह पपरा पहाड़ से सटकर बना हुआ है। तालाब का मनोहर दृश्य किसी सागर से कम नहीं है। आज के समय में भी जिसने नजदीक से जाकर समुद्र को नहीं देखा है उसके लिए गोविंदगढ़ का तालाब किसी सागर से कम नहीं लगेगा। इतने बड़े तालाब के पास बना हुआ गोविंदगढ़ का किला अपने आप में इतिहास की कई घटनाओं को समेटे हुए है। गोविंदगढ़ में पाया जाने वाला सुंदरजा आम जिसने भी चखा इसका मुरीद हो गया। आज इस तालाब और पूरे क्षेत्र को विकसित करने की तैयारी चल रही है।

तैयार किया गया प्रस्ताव Rewa Govindgarh Fort

इस समूचे क्षेत्र को विकसित करने के लिए एक प्रस्ताव नगर प्रशासन द्वारा तैयार किया गया है। जिसे सरकार के पास मंजूरी के लिए भेजा गया है। सरकार अगर इस पर बजट खर्च करती है तो निश्चिततौर पर नगर परिषद गोविंदगढ़ और रीवा जिला विश्व भर में जाना जाएगा। नगर परिषद द्वारा तैयार किए गए प्रस्ताव में गोविंदगढ़ के अलग-अलग स्थानों के लिए अलग-अलग बात कही गई है। आइये इसके बारे में जानकारी लें।

रघुराज सागर तालाब Rewa Govindgarh Kila News

850 एकड़ के करीब क्षेत्रफल में फैले रघुराज सागर तालाब की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसे मानव निर्मित तालाब बताया जाता है। ऐसे में आप कल्पना कर सकते हैं कि कितने लोगों ने मिलकर सन 1850 में इसका निर्माण कार्य पूरा किया होगा। तैयार किए गए प्रस्ताव में बताया गया है कि तालाब को सुसज्जित और व्यवस्थित करने के लिए शासकीय सहायता राशि की आवश्यकता है।

ऐतिहासिक किला Rewa Govindgarh

सन 1840 के आसपास बना गोविंदगढ़ का ऐतिहासिक किला आज भी अपनी विरासत को समेटे हुए हैं। आवश्यकता है तो इसके देखरेख और इसे विकसित करने की। बताया जाता है कि खजुराहो बांधवगढ़ और प्रयागराज बनारस के बीच कारीडोर का यह प्रमुख केंद्र होगा। आने वाले दिनों में अगर इसे विकसित किया जाता है तो पर्यटन का बहुत बड़ा स्थान बनेगा। स्थानीय लोगों को रोजगार के साथ ही आर्थिक आमदनी भी बढ़ेगी।

खंधों देवी का मंदिर

गोविंदगढ़ तालाब और किले के पास ही खंधों देवी का मंदिर है। यहां स्थापित मां काली की पूजा करने लोग आज भी दूर-दूर से आते हैं। यहां मां काली की कृपा रीवा राजघराने और पूरे रीवा साम्राज्य पर था और आज भी है। मंदिर से लगा हुआ एक झरना है। आज भी लोग बड़ी श्रद्धा के साथ काली मां की पूजा के लिए विशेष अवसरों पर आया करते हैं। लोगों बताया जाता है कि यहां आने पर मन्नते पूरी होती हैं।

सुंदरजा आम

गोविंदगढ़ किले की पहचान, गोविंदगढ़ तालाब की पहचान अपने आप में है। लेकिन साथ में आज विदेशों में सुंदरजा आम की वजह से गोविंदगढ़ की पहचान है। देश के मुंबई दिल्ली तथा औरी बडे शहरो में सुंदरजा आम की मांग है। इस आम की भीनी-भीनी सुगंध और मिठास सहज ही लोगों को अपनी ओर आकर्शित करती है। जो भी एक बार इस आम को चख लेता है वह इसका स्वाद जीवन भर नही भूलता।

पपरा पहाड़

खंधों मंदिर से लगा हुआ जंगल अपने आप में प्रकृति की सुंदरता को दर्शाता है। गोविंदगढ़ तालाब के ऊपरी छोर पर पपरा पहाड़ जहां पलास के पेड़ों की संख्या ज्यादा तथा अन्य पेड कम है लेकिन चट्टानों की सुंदरता भी अपनी और आकर्षित करती है। ऐसा नहीं है कि पपरा पहाड़ में पेड नही है। यहां के कुछ तराई के हिस्से में सागौन के विशालकाय वृक्ष लगे हुए हैं। बरसात के समय हरियाली में तथा वसंत ऋतु में जब पलाश के फूल खिलते हैं तो पूरा पपरा पहाड़ एक सुंदर छठा विकसित करता है।

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