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रीवा में मेडिकल दुकानों की जांच: बिना फार्मासिस्ट संचालित 4 दुकानों को सील किया, बिना प्रिस्क्रिप्शन मिल रही दवा

रीवा में मेडिकल दुकानों की जांच: बिना फार्मासिस्ट संचालित 4 दुकानों को सील किया, बिना प्रिस्क्रिप्शन मिल रही दवा
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रीवा जिले में मेडिकल दुकानों में फार्मासिस्ट की अनुपस्थिति पर कार्रवाई की गई। चार दुकानों को सील किया गया। मप्र स्टेट फार्मेसी काउंसिल ने निर्देश जारी किए हैं कि दवा केवल पंजीकृत फार्मासिस्ट की उपस्थिति में ही दी जाए।
  • रीवा जिले की अधिकांश मेडिकल दुकानों में फार्मासिस्ट की अनुपस्थिति का खुलासा
  • चार दुकानों को प्रशासन की टीम ने सील किया
  • फार्मासिस्ट न होने पर 3 माह की सजा या 2 लाख रुपए जुर्माना
  • मऊगंज सहित अन्य क्षेत्रों में मेडिकल दुकानों की विशेष जांच जारी
  • बिना डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन बच्चों को दवा मिलना गंभीर चिंता का विषय

रीवा में मेडिकल दुकानों की जांच, फार्मासिस्ट की अनुपस्थिति पर कार्रवाई

रीवा जिले की अधिकांश मेडिकल दुकानों में नियमित फार्मासिस्ट नहीं रहते। इस गंभीर मुद्दे का खुलासा जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की चल रही जांच में हुआ है। अब तक चार दुकानों को प्रशासन की टीम ने सील कर दिया है। जिन दुकानों का संचालन जिस फार्मासिस्ट के लाइसेंस से किया जा रहा था, वह मौके पर नहीं मिला, इसलिए दुकानों को बंद किया गया।

जिला प्रशासन की जांच और आदेश

सीएमएचओ कार्यालय के औषधि निरीक्षक राधेश्याम बट्टी ने बताया कि पिछले चार दिन से चल रही जांच में जिले की मेडिकल दुकानों की नियमित निगरानी की जा रही है। शासन की एडवाइजरी के अनुसार, 4 साल से कम उम्र के बच्चों को डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन के बिना दवा नहीं दी जाएगी। किसी भी स्थिति में प्रतिबंधित दवाओं का उपयोग निषिद्ध है।

सील की गई मेडिकल दुकानें

गुरुवार को सिरमौर चौराहा स्थित क्षितिज मेडिकल स्टोर को फार्मासिस्ट की अनुपस्थिति में सील किया गया। इससे पहले रमेश मेडिकल, विद्याभूषण मेडिकल और भारत मेडिकल में भी फार्मासिस्ट नहीं मिला था। जांच के दौरान दुकानों की संख्या और सील किए गए मामलों का विवरण इस प्रकार है:

  • 6 अक्टूबर – जांच: 8, सील: 0
  • 7 अक्टूबर – जांच: 8, सील: 0
  • 8 अक्टूबर – जांच: 18, सील: 2
  • 9 अक्टूबर – जांच: 6, सील: 2

फार्मासिस्ट एसोसिएशन का स्वागत

मप्र स्टेट फार्मेसी काउंसिल के आदेश का मप्र फार्मासिस्ट एसोसिएशन ने स्वागत किया है। जिलाध्यक्ष पंकज त्रिपाठी ने कहा कि यह निर्णय बच्चों की सुरक्षा और फार्मासिस्ट के अधिकारों की रक्षा दोनों के लिए महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि छिंदवाड़ा जैसी घटनाओं को रोकने के लिए यह कदम बेहद आवश्यक है।

कानूनी कार्रवाई: जुर्माना और सजा

फार्मासिस्ट की अनुपस्थिति में मेडिकल दुकान का संचालन करना फार्मेसी एक्ट 1948 के तहत अपराध माना जाएगा। गैर पंजीकृत व्यक्ति दवा बेचने पर तीन माह की सजा या 2 लाख रुपए का जुर्माना, अथवा दोनों हो सकते हैं। साथ ही संबंधित फार्मासिस्ट का रजिस्ट्रेशन निरस्त किया जा सकता है। यह कदम छिंदवाड़ा में बच्चों की मौत के बाद लिया गया है।

मऊगंज में मेडिकल दुकानों की विशेष जांच

मऊगंज क्षेत्र में भी प्रशासन ने मेडिकल दुकानों की जांच शुरू की है। इस दौरान खासतौर पर खांसी की दवाओं और कफ सिरप के नमूने लिए जा रहे हैं। दवाओं की गुणवत्ता, एक्सपायरी डेट, उचित भंडारण और औषधि नियमों का पालन देखा जा रहा है। डिप्टी कलेक्टर पवन गुरैया, औषधि निरीक्षक और रेशु ठाकुर निरीक्षण में मौजूद रहे।

बिना डॉक्टर की प्रिस्क्रिप्शन बच्चों को मिल रही दवा

शहर और गांवों की दुकानों में बच्चों की दवा भी बिना डॉक्टर के पर्चे के मिल रही है। फार्मासिस्ट न होने पर गैर पेशेवर व्यक्ति दवा के प्रभाव को नहीं समझ पाता, जिससे गंभीर घटना हो सकती है। इस खतरे को ध्यान में रखते हुए मप्र स्टेट फार्मेसी काउंसिल ने कड़े निर्देश जारी किए हैं।

FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले सवाल)

1. रीवा में कितनी मेडिकल दुकानों को अब तक सील किया गया?

जिला प्रशासन और स्वास्थ्य विभाग की जांच में अब तक चार मेडिकल दुकानों को फार्मासिस्ट अनुपस्थिति के कारण सील किया गया है।

2. फार्मासिस्ट न होने पर क्या कानूनी कार्रवाई हो सकती है?

गैर पंजीकृत व्यक्ति द्वारा दवा बेचने पर फार्मेसी एक्ट 1948 के तहत तीन माह की सजा या 2 लाख रुपए जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। साथ ही संबंधित फार्मासिस्ट का रजिस्ट्रेशन निरस्त किया जा सकता है।

3. मऊगंज क्षेत्र में क्या जांच की जा रही है?

मऊगंज क्षेत्र में मेडिकल दुकानों की विशेष जांच हो रही है। खासतौर पर खांसी की दवाओं और कफ सिरप के नमूने लिए जा रहे हैं और दवा गुणवत्ता, एक्सपायरी और भंडारण की निगरानी की जा रही है।

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