रीवा

सियासी उठापटक BHOPAL में, REWA के चौराहे, दुकानों में बन रही सरकार, पढ़िए !

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:14 AM GMT
सियासी उठापटक BHOPAL में, REWA के चौराहे, दुकानों में बन रही सरकार, पढ़िए !
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रीवा। प्रदेश सरकार को लेकर भोपाल में उठापटक चल रही है। सोमवार को कमलनाथ सरकार का शक्ति परीक्षण होना था, जिसमें यह तय होना था कि कमलनाथ

रीवा। प्रदेश सरकार को लेकर भोपाल में उठापटक चल रही है। सोमवार को कमलनाथ सरकार का शक्ति परीक्षण होना था, जिसमें यह तय होना था कि कमलनाथ सरकार रहेगी या शिवराज सरकार का पदार्पण होगा। लेकिन 26 मार्च तक के लिए विधानसभा स्थगित कर दी गई। लिहाजा कमलनाथ सरकार 10 दिन के लिए फिलहाल सुरक्षित मानी जा रही है। लेकिन भाजपा का राज्यपाल के पास जाने और राज्यपाल द्वारा मुख्यमंत्री को फ्लोर टेस्ट के लिए पत्र लिखने को लेकर टीवी व सोशल मीडिया में मैसेज तो पटा ही था। जहां देखो वहीं चार लोग खड़े होकर लेकर सरकार की स्ििारता व अस्थिरता को लेकर चर्चा करते नजर अए। चाहे सरकारी दतर हो बाजार हाट, आम लोग हो या सरकारी मुलाजिम हर जगह एक ही चर्चा थी, किसकी सरकार बनेगी किसकी नहीं। विधानसभा भंग होगी मध्यावधि चुनाव होगा या नहीं। राजनीतिक पंडितों का कयास दिन भर चलता रहा। In the political upheaval BHOPAL, the intersection of REWA, government building in shops, read!

लोग विधायकों की गिनती के साथ ही कौन कौन क्रास वोटिंग करेगा कौन नहीं करेगा इसका हिसाब किताब लगाते हुए चर्चा मशगूल रहे। राज्यपाल द्वारा 17 को लोर टेस्ट का आदेश देने के बाद फिर से विधान सभा बुलाई जाएगी या नहीं अपने अपने तरीके से लोग तर्क दे रहे थे। चर्चा करने वालें में 60 फीसदी से अधिक विधानसभा भंग होने की बात रहे थे तो 40 प्रतिशत भाजपा की सरकार बनने की। कांग्रेसी खेमे के लोग यह कहते नजर आए कि कमलनाथ ऐसे हार नहीं मानेंगे। सरकार कांग्रेस की ही रहेगी। लोगों का कहना था कि बेंगुलूर गए विधायकों में यदि 10 विधायक भी कमलनाथ सरकार को सपोर्ट करते हैं तो उनकी सरकार सुरक्षित रहेगी। इतना ही राज्य सभा चुनाव को लेकर भी लोग गणित लगाते रहे। लोगों का कहना था कि यदि 20 मार्च से पहले मुयमंत्री सहित सभी कांग्रेसी विधायक स्तीफा देंदें और विधान सभा भंग हो गई तो राज्य सभा चुनाव भी टल सकता है। दोपहर के समय शिल्पी प्लाजा के पास कुछ लोग इसी चर्चा में मसगूल थे। लेकिन जैसे ही मीडिया का कैमरा चमका तो वे लोग चुप हो गए। कारण यह कि उनमें कुछ सरकारी कर्मचारी भी थे और बेवजह पचड़े में नहीं फंसना चाहते। उनका कहना था कि हम लोग आपस में चर्चा कर रहे हैं। मीडिया में जाने वाली बात नहीं है। यह स्वाभाविक भी है। जिस तरह सरकार को लेकर प्रदेश में कोहराम मचा। वह लोगों के बीच चर्चा का विषय तो है ही।

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