रीवा

रीवा का ऐतिहासिक मंदिर जिसके बारे में किसी को कुछ मालूम नहीं, प्रशासन को भी नहीं, यहां बहुत खजाना गड़ा है

रीवा का ऐतिहासिक मंदिर जिसके बारे में किसी को कुछ मालूम नहीं, प्रशासन को भी नहीं, यहां बहुत खजाना गड़ा है
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Ancient Temple In Rewa: रीवा शहर की सबसे पुरानी बस्ती 'उपरहटी' जहां रीवा किला और महामृत्युंजय मंदिर है वहीं एक पुराना मंदिर भी है जिसके बारे में किसी को कुछ मालूम नहीं

REWA: रीवा शहर की सबसे पुरानी बस्ती या कहें की पुराना रीवा शहर 'उपरहटी' में एक ऐसा पुराना मंदिर है जिसके बारे में किसी को कुछ भी मालूम नहीं है, ना यहां रहने वाले लोगों को न शासन को और ना ही प्रशासन को. मोहल्ले में रहने वाले लोगों में से कोई भी इस मंदिर में नहीं जा पाता है क्योंकि इस विशाल परिसर में बने मंदिर में एक शख्स ने सालों से अपना कब्जा कर रखा है. यहां हमेशा ताला जड़ा रहता है और तभी खुलता है जब वो व्यक्ति यहां रात बिताने के लिए पहुंचता है.


उपरहटी के वार्ड 36 में एक जगह है जिसे मराठन टोला के नाम से जानते हैं, यहीं माँ शीतला माता का मंदिर है और उसी के ठीक सामने है वो ऐतहासिक मंदिर का खंडहर जिसके बारे में कोई कुछ नहीं जनता।

उपरहटी का ऐसा ऐतिहासिक मंदिर जो गुमनाम है

यहां रहने वाले अधिकांश लोग यह तक नहीं जानते कि ये जो मंदिर है उसमे कोई से भगवान विराजे हैं! हमने दो-तीन लोगों से पुछा तो किसी ने कहा यहां राधा-कृष्ण का मंदिर है जिसमे सोने-चांदी की मूर्तियां हैं तो कोई कहता है यहां श्री राम और माता सीता की प्रतिमा है. ठीक से क्लियर नहीं है कि मंदिर में कौन से देवता की महंगी धातु वाली मूर्ति है.

कुछ लोग कहते हैं कि इस मंदिर से रीवा किला और पीली कोठी तक जाने वाली सुरंग भी है मगर वो वक़्त के साथ दब गई है क्योंकी ऐतहासिक मंदिर पूरी तरह से धंस गया है बस अंदर के कुछ कमरे और बाहर की दीवाल बची है जो ज़्यादा दिन तक नहीं टिकने वाली है और जब गिरेगी तो एक दर्जन मकानों को अपने साथ मलबा बना देगी

कहते हैं यहां खजाना गड़ा है


मोहल्ले के लोगों का कहना है कि इस अनजान मंदिर के अंदर राज घराने के वक़्त का खजाना गड़ा हुआ है. जिसमे सोना-चांदी और प्राचीन मुद्राएं हैं. इसी लिए इस मंदिर पर कब्जा करने वाला व्यक्ति किसी को अंदर जाने नहीं देता। बल्कि मंदिर के बाहर बने हुए मिट्ठी के टीले जो कभी एक कमरा या कोठरी हुआ करती थी उसे हटाने नहीं देता।

कब्जा करने वाला खुद को संरक्षक कहता है

जिस व्यक्ति ने इस मंदिर में कब्जा किया है वो कहता है कि प्रशासन ने उसे इस मंदिर के संरक्षण की जिम्मेदारी दी है. मोहल्ले के लोग कहते हैं कि उसके पिता इस मंदिर के पुजारी हुआ करते थे, लेकिन इसका मतलब ये तो नहीं कि पुजारी के रिटायर होने के बाद उसका बेटा मंदिर को अपना घर बना ले. कब्जा करने वाला हर रोज़ इस मंदिर में अपनी पत्नी के साथ आता है. और सुबह ताला मार के घर चला जाता है.

आसपास के लोग परेशान और चिंतित हैं

मंदिर काफी पुराना है, करीब 2 मंजिला ऊंची दीवारे कभी भी ढह सकती हैं और अगल-बगल के घरों को निपटा सकती हैं. यहां मगरगोह, जिसे विषखोपड़ा कहते हैं वो भी रहते हैं और बड़े-बड़े नागों का डेरा है जिससे क्षेत्रीय रहवासी दिन रात भयभीत रहते हैं.

नगर निगम चाहे तो यहां पार्क बन जाए और कब्जा छूट जाए

नगर निगम के ऊपर सब कुछ है, RMC चाहे तो ऐतहासिक मंदिर और इसकी संपत्ति को बचा सकता है और मंदिर के परिसर को पार्क में तब्दील कर इस धरोहर को संरक्षित कर सकता है.

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