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रीवा में शिक्षकों की पेंशन और वेतन में वित्तीय अनियमितताएं: कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश, अधिकारियों पर गाज की तैयारी

रीवा में शिक्षकों की पेंशन और वेतन में वित्तीय अनियमितताएं: कलेक्टर ने दिए जांच के आदेश, अधिकारियों पर गाज की तैयारी
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13-14 हजार शिक्षकों के सत्यापन में देरी और करोड़ों के घोटाले का आरोप, जिला शिक्षा अधिकारी सहित कई निशाने पर

रीवा जिले में शिक्षकों के पेंशन और वेतन सत्यापन में जानबूझकर देरी करने तथा वित्तीय अनियमितताओं के गंभीर आरोपों के बाद, कलेक्टर ने मामले की उच्च-स्तरीय जांच के आदेश दिए हैं। इस मामले में जिला शिक्षा अधिकारी (डीईओ) सहित कई अन्य शिक्षा अधिकारी सीधे तौर पर संदेह के घेरे में हैं।

अनियमितताओं का पुलिंदा: डीईओ सहित तीन अधिकारियों पर आरोप

नगर निगम द्वारा संचालित बस कंडक्टरों की तरह, शिक्षा विभाग में भी भ्रष्टाचार का बड़ा मामला सामने आया है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, अमहिया थाना क्षेत्र में बीईओ डीईओ सहित तीन अधिकारियों के खिलाफ आरोप लगे हैं। इसमें डीईओ बीपी सिंह, लेखापाल शिवबरन साहू, और यूडीएस ऑपरेटर्स शामिल हैं। आरोप है कि इन अधिकारियों ने शिक्षकों के वित्तीय मामलों में लापरवाही और अनियमितता बरती है, जिससे सैकड़ों शिक्षकों का वेतन और पेंशन लंबित है।

शिकायतकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि अमहिया बीईओ द्वारा जानबूझकर सत्यापन में देरी की जा रही है, जिससे शिक्षकों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कई शिक्षक तो सेवानिवृत्ति के बाद भी अपनी पेंशन के लिए भटक रहे हैं।

करोड़ों के घोटाले का संदेह, सत्यापन में भारी गड़बड़ी

शिकायत में बताया गया है कि 2010 से 2017 तक की अवधि में लगभग 300 किलोमीटर पर 20 किलोमीटर का और 70 किलोमीटर पर 1000 किलोमीटर का अपशिष्ट परिवहन दिखाया गया है, जबकि वास्तव में ऐसी कोई गतिविधि हुई ही नहीं। यह एक बड़ा फर्जीवाड़ा है, जिसमें करोड़ों रुपये का घोटाला किया गया है। इतना ही नहीं, यह भी आरोप है कि ऐसे वाहनों का उपयोग दिखाया गया है, जो वास्तव में चल ही नहीं रहे थे।

शिकायतकर्ताओं का कहना है कि यह तो केवल एक बानगी है, और पूरे जिले में ऐसे दर्जनों मामले हैं जहां शिक्षकों के वेतन और पेंशन के सत्यापन में जानबूझकर देरी की जा रही है। शिक्षकों के संघों ने आरोप लगाया है कि यह सब मिलीभगत से हो रहा है, ताकि भ्रष्टाचार को अंजाम दिया जा सके।

शिक्षकों की बढ़ती नाराजगी और अधिकारियों की उदासीनता

वर्तमान में जिले के लगभग 13-14 हजार शिक्षकों का सत्यापन लंबित पड़ा है। इनमें से कई का वेतन भुगतान भी रुका हुआ है, जिससे उन्हें भारी आर्थिक संकट का सामना करना पड़ रहा है। कई शिक्षक तो ऐसे भी हैं, जिन्हें पिछले पांच से सात वर्षों से वेतन नहीं मिला है। शिक्षकों का कहना है कि उन्होंने कई बार उच्चाधिकारियों से शिकायत की है, लेकिन उनकी बात नहीं सुनी गई। यह उदासीनता शिक्षकों में भारी रोष का कारण बन रही है।

कलेक्टर का सख्त रुख: निष्पक्ष जांच और वसूली के निर्देश

मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर ने तत्काल प्रभाव से एक उच्च-स्तरीय जांच टीम गठित करने का आदेश दिया है। उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि सभी आरोपों की गहनता से जांच की जाए और दोषी पाए जाने वाले अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। कलेक्टर ने कहा है कि यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो दोषी अधिकारियों से पूरी राशि की वसूली की जाएगी, और उन्हें किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा।

कलेक्टर ने यह भी आश्वासन दिया है कि जांच निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से की जाएगी, ताकि सच्चाई सामने आ सके। यह देखना होगा कि इस जांच के बाद कितने बड़े खुलासे होते हैं और किन-किन अधिकारियों पर गाज गिरती है।

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