रीवा

सरकार की मोटी सैलरी के बाद भी कर्मचारियों का नहीं भर रहा पेट, गटकने से पहले ही लोकायुक्त मड़ोर रहा भ्रष्टाचारियों की गर्दन : MP NEWS

सरकार की मोटी सैलरी के बाद भी कर्मचारियों का नहीं भर रहा पेट, गटकने से पहले ही लोकायुक्त मड़ोर रहा भ्रष्टाचारियों की गर्दन : MP NEWS
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रीवा। सरकार ने अधिकारियों-कर्मचारियों को मोटी सैलरी के साथ ही ढेरों सुविधाएं प्रदान कर रखी हैं लेकिन इन सरकारी कर्मचारियों का पेट नहीं भर रहा है। ऐसे कर्मचारियों का पेट सिर्फ भ्रष्टाचार की रकम से भरता है। तो वहीं लोकायुक्त है कि गटकने से पहले ही भ्रष्टाचारियों की गर्दन मरोड़ने पर आमादा है।

रीवा। सरकार ने अधिकारियों-कर्मचारियों को मोटी सैलरी के साथ ही ढेरों सुविधाएं प्रदान कर रखी हैं लेकिन इन सरकारी कर्मचारियों का पेट नहीं भर रहा है। ऐसे कर्मचारियों का पेट सिर्फ भ्रष्टाचार की रकम से भरता है। तो वहीं लोकायुक्त है कि गटकने से पहले ही भ्रष्टाचारियों की गर्दन मरोड़ने पर आमादा है।

सरकारी कर्मचारियों के लिए सरकार हर वर्ष महंगाई भत्ता के साथ ही टीए, डीए, चैथा वेतनमान, पांचवां वेतनमान और छठा वेतनमान सहित न जाने कितने प्रकार के हितलाभ दिये जा रहे हैं। जिसके तहत उन्हें मोटी सैलरी मिलती है। जबकि आमजनता अपनी मेहनत मजदूरी करके गुजारा करता है, लेकिन ये मोटी सैलरी वाले सरकारी कर्मचारी गरीब आम जनता को चूसने से नहीं चूकते। बिना गरीब से घूस लिये इनका पेट नहीं भरता। इसका उदाहरण आये दिन लोकायुक्त पुलिस की पकड़ में आये भ्रष्टाचारी कर्मचारी हैं।

अभी हाल ही में ऐसे मामले सामने आ चुके हैं जहां अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय में पदस्थ एक इंजीनियर को घूंस की रकम लेते रंगे हाथ लोकायुक्त ने पकड़ा। तो वहीं एक सरपंच 50 हजार नकद एवं डेढ़ लाख रुपये के चेक के साथ लोकायुक्त की गिरफ्त में आया। यहीं जनपद त्योंथर में पदस्थ एक अधिकारी बिल के भुगतान में एवज में 36 हजार रुपये घूंस लेते पकड़ा गया।

वेतन और भ्रष्टाचार दोनों तेजी से बढ़े

यदि हम साधारण तौर पर देखें तो यह माना जा सकता है कि सरकार की मंशा है कि कर्मचारियों को भरपूर वेतन दिया जाय जिससे वह मन लगाकर सरकारी काम करे और उसे आर्थिक अभाव न सहना पड़े। लेकिन सरकारी कर्मचारी इसके उलट भ्रष्टाचार करने पर उतारू हैं। मतलब यह समझ में आता है कि जितना ज्यादा पैसा आ रहा है उतना ही हमारे मन में असंतोष व्याप्त होता जा रहा है और हमारी मानसिकता भ्रष्टाचारी होती जा रही है। यही कारण है कि सरकार की मोटी सैलरी के बाद भी कर्मचारी घूंसखोरी से नहीं चूक रहे हैं। आज हालत यह है कि किसी भी छोटे से छोटे कर्मचारी से यदि कुछ काम पड़ जाय तो वह बिना कुछ लिये काम नहीं कर सकता है।

भ्रष्टाचारी तो पकड़े जा रहे लेकिन भ्रष्टाचार नहीं रुक रहा

सरकार ने रिश्वत, घूंसखोरी, भ्रष्टाचार रोकने के लिये लोकायुक्त विभाग की स्थापना की है, जहां भ्रष्टाचार, घूंसखोरी पर नियंत्रण करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है और विभाग अपना काम कर भी रहा है। भ्रष्टाचारी लगातार पकड़े जा रहे हैं इसके बावजूद भी भ्रष्टाचार रुकने का नाम नहीं ले रहा है। आखिर क्या कारण है जिससे इस तरह के हालात बने हुए हैं। देखा जाय तो प्रतिदिन कहीं न कहीं रिश्वत लेते कर्मचारी गिरफ्तार हो रहे हैं लेकिन इसके बाद भी रिश्वत लेने से कोई गुरेज नहीं करता। सरकार को इस दिशा में सोचना होगा।

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