रीवा

शैक्षिक संगोष्ठी: शिक्षा ऐसी हो जिससे छात्रों में संस्कार व अनुशासित तौर-तरीके का स्वभाव बन सके

News Desk
10 March 2021 10:24 AM GMT
शैक्षिक संगोष्ठी: शिक्षा ऐसी हो जिससे छात्रों में संस्कार व अनुशासित तौर-तरीके का स्वभाव बन सके
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रीवा। सोहागी कॉलेज आफ एजुकेशन के विंध्य सभागार में विगत दिवस राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अध्यापक शिक्षा का स्वरूप विषय पर शैक्षिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। प्रस्तावित विषय की प्रस्ताविकी डॉ अभिनव सिंह समन्वयक द्वारा रखी गई। अपने उद्बोधन में उन्होंने शिक्षा नीति के अनुसार शिक्षकों, छात्रों व अभिभावकों की मंशा व आचरण पर बल दिया तथा कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए ताकि छात्रों में गुणवत्ता के साथ संस्कार व अनुशासित तौर.तरीके का स्वभाव बन सके।

रीवा। सोहागी कॉलेज आफ एजुकेशन के विंध्य सभागार में विगत दिवस राष्ट्रीय शिक्षा नीति में अध्यापक शिक्षा का स्वरूप विषय पर शैक्षिक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। प्रस्तावित विषय की प्रस्ताविकी डॉ अभिनव सिंह समन्वयक द्वारा रखी गई। अपने उद्बोधन में उन्होंने शिक्षा नीति के अनुसार शिक्षकों, छात्रों व अभिभावकों की मंशा व आचरण पर बल दिया तथा कहा कि शिक्षा ऐसी होनी चाहिए ताकि छात्रों में गुणवत्ता के साथ संस्कार व अनुशासित तौर.तरीके का स्वभाव बन सके।

डॉ रविंद्र कुमार ने शिक्षा नीति के विविध पक्ष व आयाम पर प्रकाश डालते हुए बताया कि प्राथमिक व माध्यमिक शिक्षा 5 धन 3 धन दो धन दो के स्थान पर अब 5 धन 3 धन 3 धन 4 के अनुरूप होगी अर्थात 5 वर्ष का फाउंडेशन होगा जो 3 वर्ष की अवस्था से 8 वर्ष के लिए 3 वर्ष का प्रिपरेशन। 8 वर्ष से 11 वर्ष के लिए 3 वर्ष की मिडिल स्कूल इन। 11 से 14 वर्ष तथा 4 वर्ष की सेकेंडरी शिक्षा 14 से 18 वर्ष के बच्चों के लिए होगी। स्नातक स्तर पर 3 वर्ष व 4 वर्ष का स्नातक स्तर पर पाठ्यक्रम होगा तथा स्नातकोत्तर 2 तथा 1 वर्ष का होगा। शोध एवं व्यवसायिक शिक्षा पर बल दिया गया है। शिक्षक प्रशिक्षण का पाठ्यक्रम अब 4 वर्ष 12वीं के बाद 2 वर्ष स्नातक के बाद तथा 1 वर्ष का प्रशिक्षण स्नातकोत्तर के बाद का होगा । पाठ्यक्रम में विविध विषयों को समाहित किया गया है।

अमित ओझा ने छात्र उपस्थिति एवं पठन.पाठन की नियमितता पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि योग्य शिक्षकों के उत्पादन के अभाव में संपूर्ण शिक्षा व्यवस्था अविश्वसनीय गुणवत्ता विहीन हो रही है। अध्यक्षीय उद्बोधन में शिक्षाविद डॉ रघुराज सिंह शिक्षा नीति निर्माण में ट्रिपल शी की एक्टिविटी क्यूरिया सिटी व कमिटमेंट के महत्व को विस्तार से बताया। सिंह ने बताया कि शिक्षा के आधार दार्शनिक सामाजिक मनोवैज्ञानिक में अब तकनीकी संचार को भी महत्त्व दिया गया है। शिक्षक के लिए विविध विषय ज्ञान पर बल दिया गया है जैसे मानविकी विज्ञान भाषा व व्यावसायिक कर, सम स्वर ज्ञान प्रत्येक उत्कृष्ट शिक्षक के लिए आवश्यक होगा।

वर्तमान शिक्षा नीति पारंपरिक सांस्कृतिक गुणों को संजोते हुए आधुनिक भारत के निर्माण के लिए सशक्त युवकों एवं आत्मनिर्भर भारत के निर्माण का ताना.बाना सिद्ध होगा। संगोष्ठी में डा. श्रीलाल, अश्वनी सिंह, देवेंद्र मिश्रा, शुभम पांडे, रविशंकर व शैलेंद्र शास्त्री उपस्थित रहे।

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