रीवा

APSU Webinar: गोवा की आजादी में रीवा के स्वतंत्रता संग्राम सेनानी के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता

Saroj Tiwari
21 Dec 2021 11:02 AM GMT
contribution of freedom fighter of Rewa in independence of Goa cannot be forgotten
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APSU रीवा में वेबिनार का हुआ आयोजन।

विंध्य भूमि स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों की भूमि है, वीर योद्धाओं की भूमि है। समाजवादियों की भूमि है। यहां के स्वातंत्रता संग्राम सेनानियों के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता। चाहे वह देश की स्वतंत्रता की लड़ाई हो, गोवा आजादी की बात अथवा कारगिल युद्ध हो, यहां की वीरगाथा भरी पड़ी है। इसी विंध्य धरा पर जन्मे स्वतंत्रता संग्राम सेनानी यमुना प्रसाद शास्त्री हैं, जिनके योगदान को भुलाया नहीं जा सकता।

कार्यक्रम में मुख्य अतिथि रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. कपिल देव मिश्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि गोवा की आजादी के सत्याग्रह में मध्यप्रदेश के स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों का योगदान है। उन्होंने सत्याग्रहियों को याद करते हुए नमन किया।

उक्त बातें गोवा आजादी में सत्याग्रह एवं अहिंसा की भूमिका विषय पर एपीएसयू में आयोजित राष्ट्रीय बेवीनार के संबंध में बता रहे हैं। अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय रीवा में गत 19 दिसंबर को आजादी के अमृत महोत्सव अंतर्गत गोवा मुक्ति दिवस पर एक राष्ट्रीय बेवीनार आयोजित किया गया। जिसका विषय था-गोवा आजादी में सत्याग्रह एवं अहिंसा की भूमिका।

देश की स्वतंत्रता के 14 वर्ष पश्चात आजाद हुआ गोवा

इस मौके पर बेवीनार संयोजक नलिन दुबे कहा कि गोवा की आजादी इस दृष्टि से भी महत्वपूर्ण रही कि वह देश में सबसे पहले पुर्तगालियों के कब्जे में आया और देश के स्वतंत्रत हो जाने के 14 वर्ष पश्चात आजाद हो सका। कार्यक्रम में मुख्य वक्ता गोवा विश्वविद्यालय के कोकणी भाषा विभाग की पूर्व विभागाध्यक्ष डा. चन्द्रलेखा डिसूजा ने गोवा सत्याग्रह को याद करते हुए कहा कि उपनिवेशीय ताकतों से लड़ने में सत्याग्रह और अहिंसा ने राह दिखाई है।

बेवीनार की अध्यक्षता का रहे अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजकुमार आचार्य ने कहा कि गोवा की आजादी के संदर्भ में हमें देश के इतिहास को समझने की आवश्यकता है। हमें अपने आपको राष्ट्र को समर्पित करने की आवश्यकता है। उन्होंने जोर दिया कि शैक्षणिक गुलामी, जातीय गुलामी, आर्थिक गुलामी आदि से मुक्त होने की आवश्यकता है। इस मौके पर कुलसचिव प्रो. सुरेंद्र सिंह परिहार, प्रो. अतुल पाण्डेय, प्रो. राजीव दुबे, डा. अनुराग मिश्रा, डा. कमलेश मिश्रा, डा. सुनील पाण्डेय, डा. भूपेंद्र तिवारी, डा. श्रवण पाण्डेय आदि मौजूद रहे।

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