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रीवा में आज से तेज हवाओं के साथ बारिश की संभावना, 5 दिन बिगड़ा रहेगा मौसम का मिजाज

रीवा में आज से तेज हवाओं के साथ बारिश की संभावना, 5 दिन बिगड़ा रहेगा मौसम का मिजाज
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पश्चिम विक्षोभ के सक्रिय होने से मौसम का मिजाज फिर एक बार बिगड़ गया है। रीवा में शुक्रवार से तेज हवाओं के साथ बारिश की संभावना फिर बन गई है।

रीवा। पश्चिम विक्षोभ के सक्रिय होने से मौसम का मिजाज फिर एक बार बिगड़ गया है। रीवा जिले में शुक्रवार से तेज हवाओं के साथ बारिश की संभावना फिर बन गई है। मौसम बदलाव के साथ दिन के अधिकतम तापमान में एक डिग्री से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई। जबकि आसमान में बादलों के आने से रात के न्यूनतम तापमान में डेढ़ डिग्री से ज्यादा का उछाल दर्ज किया गया। मौसम विज्ञान से जुड़े जानकारों की मानें तो शुक्रवार से तीन दिनों तक न सिर्फ बारिश होगी, बल्कि तेज हवायें आम जन जीवन को प्रभावित कर सकती हैं।

इसके बाद दो दिन मौसम सामान्य रहेगा। इसके बाद फिर दो दिनों के लिये तेज हवाओं के साथ बूंदाबांदी की स्थिति बन सकती है। कुल मिलाकर अभी एक सप्ताह मौसम में अनिश्चितता की स्थिति बनी रह सकती है। गुरुवार को दिन का अधिकतम तापमान 36.5 डिग्री सेल्सियस पर दर्ज किया गया। जबकि इसके चौबीस घंटे पूर्व दिन का अधिकतम पारा 37.7 डिग्री पर दर्ज हुआ था।

बुधवार और गुरुवार की मध्य रात्रि का न्यूनतम तापमान 21 डिग्री पर रहा। इसके पूर्व मंगलवार और बुधवार की मध्य रात्रि को यह पारा 19.4 डिग्री पर था। इस संबंध में मौसम वैज्ञानिक संदीप शर्मा का कहना है कि शुक्रवार को दोपहर बाद तेज हवाओं के साथ बारिश होगी। यह क्रम फिलहाल तीन दिनों तक बना रह सकता है।

9 किमी प्रति घंटा की गति से चली हवा

गुरुवार को दिन में नौ किलोमीटर प्रति घंटा की गति से हवायें चली। जिसकी दिशा दक्षिण-पश्चिम रही। दिन में 8 घंटे 32 मिनट तक धूप निकली रही। मौसम में सुबह की आदरता 95 और शाम की आद्रता 21 प्रतिशत दर्ज की गई।

गुढ़ - मऊगंज में 16 मिमी बारिश

पश्चिम विक्षोभ का असर जिले में बुधवार को भी बना रहा। पिछले चौबीस घंटे के दौरान जिले की कई तहसीलों में बारिश हुई। गुढ़ और मऊगंज में सर्वाधिक 16-16 मिमी बारिश दर्ज की गई। इसके अलावा हुजूर तहसील में 2.5 मिमी और रीवा शहर में 1.2 मिमी बारिश दर्ज की गई। बारिश को देख किसान अपनी गेहूं की फसल को लेकर चिंतित हो गये हैं। इसकी वजह यह है कि कई क्षेत्रों में गेहूं की फसल बोझा के रूप में खेतों में ही रखी हुई है। काफी संख्या में किसान ऐसे भी हैं, जिन्होंने अभी गहाई भी पूरी नहीं की है।

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