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रीवा: जिला प्रशासन के कंधों में लक्ष्मण बाग संस्थान का भार, फिर भी नहीं बदल रहे संस्थान के दिन

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Rewa MP News: आज महंत की गद्दी खाली होने की वजह से लक्ष्मण बाग संस्थान का पूरा कार्यभार जिला प्रशासन के कंधों पर है।

आज महंत की गद्दी खाली होने की वजह से लक्ष्मण बाग संस्थान का पूरा कार्यभार जिला प्रशासन के कंधों पर है। लेकिन हालत यह है कि कहने को तो लक्ष्मण बाग रीवा के पास कई हजार करोड़ की संपत्ति है। लेकिन लक्ष्मण बाग मुख्यालय की स्थिति देखने के बाद काफी दीन हीन दिखाई पड़ती है। जिला प्रशासन द्वारा किया जा रहा प्रयास नाकाफी साबित हो रहा है तभी तो आज भी लक्ष्मण बाग के दिन नहीं बदल रहे हैं।

ठोस कार्यवाही की जरूरत

इस ओर न तो स्थानीय स्तर के रीवा जिले के नेता ही ध्यान दे रहे हैं और वहीं प्रशासन बेपरवाह है। कार्यवाही के नाम पर जिला प्रशासन केवल कोरम पूरा करने में लगा हुआ है। कोई ठोस कार्यवाही ना होने की वजह से पूरे देश में लक्ष्मण बाग की संपत्ति होने के बाद भी मंदिर को कोई आय अर्जित नहीं हो रहा है।

माफियाओ पर हो कार्यवाही

हालत यह है कि लक्ष्मण बाग संस्थान किसी दीन हीन दुखिया की तरह दिखने लगा है। लक्ष्मण बाग संस्थान की हालत तो यह हो चुकी है कि इससे जुड़ने वाले व्यक्ति सिर्फ लक्ष्मण बाग संस्थान का दोहन करना चाह रहे हैं। मंदिर विकास के लिए आज जरूरत है एक ठोस कार्योजना की। हाल के दिनों में मध्य प्रदेश के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने माफियाओं पर कार्यवाही करने की बात कही थी। लेकिन दुर्भाग्य है रीवा जिला प्रशासन का रीवा का जिला प्रशासन बाईपास के किनारे बने झुग्गी झोपड़ियों को हटाकर भू माफिया से शासकीय जमीन अतिक्रमण मुक्त कराने का अपना ढिंढोरा पीटने लगा। लेकिन लक्ष्मण बाग को अतिक्रमण मुक्त नही करवाया गया गया।

कहीं मिलीभगत तो नहीं

अगर जिला प्रशासन सरकार के उस आदेश पर कठोरता से कार्यवाही करता तो लक्ष्मण बाग संस्थान की रीवा संभाग में स्थित अरबों खरबों की संपत्ति को अतिक्रमण मुक्त करा सकता था। रीवा सतना कई जिलों में लक्ष्मण बाग संस्थान की जमीनें हैं। हाईवे से लगी हुई जमीनें हैं, मुख्य बाजार में जमीनें हैं जिनकी कीमत आज अरबों खरबों रुपए है। जिनसे लक्ष्मण बाग संस्थान को हर महीने करोड़ों रुपए की आमदनी हो सकती है। लेकिन इस ओर सरकार ध्यान नहीं दे रही। ऐसे में अंदेशा लगाया जा सकता है कि कहीं मिलीभगत तो नहीं है। कार्यवाही के नाम पर नोटिस और उसके बाद कुछ नहीं आखिर यह क्या है।

विकसित हो यहां संस्कृत विद्यालय

लक्ष्मण बाग संस्थान में संस्कृत विद्यालय का संचालन हुआ करता था। दूरदराज से बच्चे यहां संस्कृत पढ़ने के लिए आते थे। लेकिन आज उपेक्षा की वजह से वह सब संस्थान बंद हो चुके हैं। बाहर से आने वाले लोगों को यहां आसरा प्राप्त होता था। लेकिन आज कुछ भी नहीं है।

आज यहां आकर लक्ष्मण बाग संस्थान में संस्कृत विद्यालय का भव्य संचालन किया जाए तो दूरदराज से लोक पढ़ने आएंगे। हॉस्टल आज की अत्याधुनिक व्यवस्था के साथ संस्कृत विद्यालय का संचालन करवाया जाए तो एक और जहां विद्यालय का देश दुनिया मे नाम होगा वही लक्ष्मण बाग संस्थान की आय बढ़ेगी।

देश के अलग-अलग शहरों में है 72 मंदिर

देश के कई शहरों में संस्थान से जुड़े हुए 72 मंदिर बने हुए हैं। लेकिन प्रशासनिक अनदेखी की वजह से आज अधिकांश मंदिर विवादों पर चल रहे हैं। लोगों ने अवैधानिक रूप से कब्जा कर रखा है। इसी का परिणाम है कि आज मंदिर 1-1 अठन्नी के लिए तरस रहा है। और मंदिर की संपत्ति पर अवैध रूप से कब्जा करने वाले मालामाल होकर बैठे हुए हैं।

जानकारी के अनुसार प्रमुख रूप से बांदा में राधा मोहन मंदिर, प्रयागराज के दारागंज में रानी मंदिर, राम भजन मंदिर, वृंदावन में सवा मन शालिग्राम मंदिर, गढ़वाल बद्रीनाथ में श्री रामानुज कोटी मंदिर, जगन्नाथपुरी में रीवा क्षेत्र से जगन्नाथ पुरी मंदिर, जोधपुर में बड़ी बघेली, जोधपुर में एक और मंदिर है छोटी बघेली, फतेहपुर में ब्रह्मशिला, हरिद्वार में राजघाट कनखल, इसी तरह छत्रपालगढ़ में, देश की राजधानी दिल्ली में हनुमान जी इंदिरा कुआं, यही देश के अन्य बड़े मंदिर स्थलों में जैसे गया धाम, तिरुपति बालाजी में भी लक्ष्मण बाग संस्थान के मंदिर बने हुए हैं।

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