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रीवा के 3 अस्पतालों में नए मरीजों की भर्ती पर रोक, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं

रीवा के 3 अस्पतालों में नए मरीजों की भर्ती पर रोक, सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम नहीं
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हाल ही में जबलपुर के अस्पताल में हुए अग्निकांड के बाद रीवा प्रशासन की नींद खुली है. 3 अस्पतालों में फायर सेफ्टी के पुख्ता इंतजाम नहीं पाए गए, जिन पर नए मरीजों की भर्ती पर रोक लगाई गई है.

रीवा. जबलपुर में अस्पताल में हुई आग लगने की घटना के बाद रीवा शहर में भी प्रशासन सक्रिय हो गया है. जिला प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम के अधिकारियों की टीम ने संयुक्त रूप से भ्रमण कर दर्जनभर निजी अस्पतालों का निरीक्षण किया गया जिसमें हर जगह कुछ कमियां पाई गई हैं. इसमें तीन अस्पताल ऐसे पाए गए जहां पर कोई व्यवस्था फायर सेफ्टी को लेकर नहीं मिली. इस कारण प्रशासन ने तय किया है कि इनको अब मरीजों को भर्ती करने की अनुमति नहीं दी जाएगी.

बुधवार देर शाम सीएमएचओ ने इस आशय का पत्र भी संबंधित निजी अस्पतालों को जारी कर दिया है. इनको पहले भी नगर निगम की ओर से नोटिस जारी की गई थी इसके बावजूद कोई व्यवस्था नहीं की बल्कि नगर निगम के अधिकारियों पर राजनीतिक दबाव बनवा रहे थे.

इन अस्पतालों में नए मरीजों के भर्ती पर रोक

जिन अस्पतालों में मरीजों की भर्ती रोकी गई है उसमें प्रमुख रूप से जेल मार्ग में स्थित सिटी हास्पिटल, पीटीएस मार्ग में वरदान हास्पिटल और मुख्य मार्ग बरा में स्थित शंकर नर्सिंगहोम शामिल है. इन अस्पतालों में आपातकालीन द्वार भी नहीं है और न ही फायर फाइटिंग के कोई इंतजाम संबंधित प्रबंधन द्वारा किए गए हैं.

साथ ही शहर के 12 अस्पतालों का निरीक्षण किया गया है. अधिकांश जगह कमियां पाई गई हैं, कुछ स्थानों पर ऐसी कमियां हैं जिन्हें सुधारा भी जा सकता है, इस कारण संबंधित अस्पतालों को नोटिस देकर एक अवसर दिया गया है.

प्रशासन की टीम ने वात्सल्य हास्पिटल, विहान हास्पिटल, विघ्नहर्ता हास्पिटल, आदर्श हास्पिटल, रीवा हास्पिटल, आर्या नर्सिंगहोम, शैलबाला नर्सिंगहोम, नेशनल हास्पिटल, चौरसिया नर्सिंगहोम में भी निरीक्षण किया.

नोटिस के बाद भी नहीं कर रहे व्यवस्था

रीवा जिले में 52 निजी अस्पताल हैं, जिसमें 31 शहर में संचालित हो रहे हैं. इन्हें लगातार स्वास्थ्य विभाग और नगर निगम की ओर से नोटिस दी जा रही है. इसके बाद भी व्यवस्था नहीं बनाई जा रही है. प्रदेश में इसके पहले भी कई अस्पतालों में आग लगने की घटना हुई और उस दौरान इसी तरह जांच अभियान चलाया गया लेकिन कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी है.

सख्ती के चलते दो ने आवेदन किए

जबलपुर की घटना के बाद रीवा में भी सख्ती के निर्देश दिए गए हैं. इसके चलते अब कई अस्पतालों ने फायर सेफ्टी के लिए स्वयं प्रयास किया है. बुधवार को सिरमौर चौराहे पर संचालित क्षितिज हास्पिटल की ओर से प्रोविजनल एनओसी के लिए आवेदन दिया गया है. वहीं विंध्या हास्पिटल के पास पहले से एनओसी थी, उसके रिन्युवल का आवेदन दिया गया है.

एनबीसी नियमों का अधिकांश जगह उल्लंघन

नेशनल बिल्डिंग कोड (NBC) के अनुसार जिन भवनों में अस्पताल संचालन की अनुमति दी जाती है वहां पर फायर सेफ्टी का इंतजाम जरूर है. इसके तहत भवन के चारों ओर कम से कम साढ़े चार मीटर स्थान छोडऩे का प्रावधान है ताकि आपात स्थिति में फायर ब्रिगेड का वाहन चारों ओर घूम सके. रीवा शहर में कुछ चिह्नित ही निजी हास्पिटल ऐसे हैं जहां पर एनबीसी के नियमों का पालन होता है. अधिकांश जगह राजनीतिक दबाव के चलते अस्पताल संचालन की अनुमति दे दी गई है लेकिन वह नियमों का पालन नहीं कर रहे हैं.

जांच जारी रहेगी, कमियां पाए जाने पर बंद कराएंगे

शहर में 12 अस्पतालों का निरीक्षण किया गया, जिसमें तीन जगह फायर सेफ्टी के कोई इंतजाम नहीं होने पर मरीजों की भर्ती पर रोक लगा दी गई है. इनसे कहा गया है कि पुराने मरीजों को किसी दूसरे अस्पताल में शिफ्ट करें. आगे भी जांच जारी रहेगी और कमियां पाए जाने पर बंद कराए जाएंगे. - डॉ. एनएन मिश्रा, CMHO रीवा

Aaryan Puneet Dwivedi | रीवा रियासत

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