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Amit Shah in Rewa: बसामन मामा गोधाम में गृह मंत्री बोले, "केमिकल छोड़ो, प्राकृतिक खेती करो"; पीपल के पेड़ लगाने की सलाह दी

- अमित शाह एक दिवसीय प्रवास पर रीवा पहुंचे
- बसामन मामा गोधाम में प्राकृतिक खेती का मॉडल देखा
- किसानों को जैविक खेती अपनाने का संदेश
- गौ-संरक्षण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था के मजबूत मॉडल पर चर्चा
रीवा. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह बुधवार, 25 दिसंबर को एक दिवसीय प्रवास पर रीवा पहुंचे। उन्होंने बसामन मामा गोधाम का दौरा किया और यहां विकसित किए गए प्राकृतिक खेती तथा गौ-संरक्षण के अनूठे मॉडल का बारीकी से अवलोकन किया। इस दौरान उन्होंने किसानों, गौसेवकों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ संवाद भी किया।
अटल जी से जुड़ी यादें | Atal Ji and Rewa Connection
अपने संबोधन में अमित शाह ने कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का रीवा से विशेष लगाव रहा है। वे बघेली बोली से प्यार करते थे और जो कुछ कहते, उसे पूरा करके दिखाते थे। शाह ने बताया कि डिप्टी सीएम राजेंद्र शुक्ल ने उन्हें बसामन मामा गोधाम के मॉडल के बारे में बताया, तभी उन्होंने यहां आने का फैसला किया।
प्राकृतिक खेती अपनाने की अपील | Appeal for Natural Farming
अमित शाह ने कहा कि रीवा में एशिया का सबसे बड़ा सोलर प्लांट है और अब यहां का बसामन मामा गोधाम प्राकृतिक खेती का प्रेरक उदाहरण बन रहा है। यहां गाय के गोबर से तैयार जैविक खाद के सहारे दलहन, चावल, चना और सरसों जैसी फसलें उगाई जा रही हैं। उनका कहना था कि यदि इसे मॉडल के रूप में आगे बढ़ाया जाए तो विंध्य क्षेत्र के किसानों की आय में बड़ा इजाफा संभव है।
उन्होंने कहा कि एक देशी गाय से करीब 21 एकड़ तक खेती संभव है। रासायनिक खादों से बीपी और शुगर जैसी बीमारियां बढ़ती हैं, जबकि प्राकृतिक खेती जमीन और इंसान—दोनों के लिए लाभदायक है।
देश में बढ़ रही प्राकृतिक खेती | Natural Farming Growth
अमित शाह ने बताया कि देश में अब तक 40 लाख से अधिक किसान प्राकृतिक खेती अपना चुके हैं। उन्होंने कहा कि इस खेती से खर्च घटता है, मिट्टी उपजाऊ बनती है और स्वास्थ्य को भी फायदा होता है। उन्होंने यह भी बताया कि उन्होंने स्वयं अपने खेत में इसका प्रयोग किया है।
धरती को कंक्रीट न बनाएं | Save The Earth Message
अपने संबोधन के अंत में शाह ने कहा कि धरती को हम मां कहते हैं, इसलिए इसे कंक्रीट जैसा बनाना ठीक नहीं है। उन्होंने पीपल के वृक्ष का महत्व बताया और लोगों से कम से कम पांच पीपल के पेड़ लगाने तथा प्राकृतिक खेती अपनाने का संकल्प लेने की अपील की।
52 एकड़ में 9 हजार गायें | Cow Conservation Model
बसामन मामा गौ-अभ्यारण्य करीब 52 एकड़ में फैला है। यहां इस समय 9 हजार से अधिक बेसहारा और बीमार गायों की देखभाल की जा रही है। कलेक्टर प्रतिभा पाल के अनुसार, यहां से निकलने वाले गोबर और गोमूत्र से जैविक खाद, गो-काष्ठ, पेंट, फिनाइल जैसे उत्पाद बनाए जा रहे हैं।
यह पूरा मॉडल आर्ट ऑफ लिविंग और स्वयंसेवी संस्थाओं के सहयोग से चल रहा है, जिससे ग्राम्य अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है।
5 हजार किसान केमिकल छोड़ चुके | Farmers Inspired
इस मॉडल से प्रेरणा लेकर आसपास के 50 गांवों के करीब 5 हजार किसान अब रासायनिक खादों को छोड़कर प्राकृतिक खेती की तरफ बढ़ चुके हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के “एक एकड़–एक मौसम” मंत्र के तहत किसान अब स्वस्थ अनाज पैदा कर रहे हैं और मिट्टी की सेहत भी सुधर रही है।
बसामन मामा का आस्था केंद्र | Spiritual Significance
बसामन मामा का स्थान विंध्य क्षेत्र में आस्था का केंद्र माना जाता है। मान्यता है कि उन्होंने पीपल के पेड़ को बचाने के लिए अपने प्राणों का बलिदान दिया था। टमस नदी के किनारे बना यह धाम त्याग और पर्यावरण प्रेम की प्रेरक मिसाल है।
FAQs | अमित शाह के रीवा दौरे पर सवाल–जवाब
अमित शाह रीवा क्यों पहुंचे?
वे बसामन मामा गोधाम पहुंचे और प्राकृतिक खेती के मॉडल का अवलोकन किया।
उन्होंने किसानों को क्या संदेश दिया?
प्राकृतिक खेती अपनाने, केमिकल कम करने और जमीन को सुरक्षित रखने की अपील की।
बसामन मामा गौ-अभ्यारण्य क्यों खास है?
यहां गायों की सेवा के साथ गोबर-गोमूत्र से कई उत्पाद बनते हैं, जो आत्मनिर्भरता का मॉडल है।
कितने किसान प्राकृतिक खेती से जुड़े?
करीब 5 हजार किसान अब प्राकृतिक खेती अपना चुके हैं।
Rewa Riyasat News
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