रीवा

रीवा : घोड़े में सवार महाराजा को पहचानना मुश्किल, धूल की छाई परत

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:42 AM GMT
रीवा : घोड़े में सवार महाराजा को पहचानना मुश्किल, धूल की छाई परत
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घोड़े में सवार महाराजा को पहचानना मुश्किल, धूल की छाई परत रीवा। संभागीय मुख्यालय रीवा में काफी ऐतिहासिक धरोहरें मौजूद हैं लेकिन शासन-प्रशासन की

घोड़े में सवार महाराजा को पहचानना मुश्किल, धूल की छाई परत

रीवा। संभागीय मुख्यालय रीवा में काफी ऐतिहासिक धरोहरें मौजूद हैं लेकिन शासन-प्रशासन की लापरवाही के चलते इन धरोहरों की सुंदरता बिगड़ चुकी है। जिले के घोड़ा चैराहे पर स्थित महाराजा वेंकट रमण सिंह की प्रतिमा काले घोड़े पर सवार स्थापित है लेकिन इस ऐतिहासिक धरोहर को पहचानना मुश्किल हो गया है।जबकि वहीं चंद कदमों की दूरी पर नगर निगम कार्यालय मौजूद है। इसके बाद भी रीवा के महाराजा की प्रतिमा पर धूल की मोटी परत छाई है। युवा के पीढ़ी के ज्यादातर युवाओं को यह पता भी नहीं है कि काले घोड़े पर सवार आखिर किसकी प्रतिमा स्थापित है।

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यही हाल शहर में स्थापित अन्य प्रतिमाओं का है। जहां सिरमौर में में स्थित राजीव गांधी की प्रतिमा, सिरमौर मार्ग पर सुभाषचंद्र बोस की प्रतिमा एवं नये बस स्टैण्ड के समीप स्थापित सरदार वल्लभ भाई पटेल की प्रतिमा धूल से सनी रहती है। समाजसेवियों व नेताओं ने सिर्फ प्रतिमा स्थापित कर अपना कर्तव्य पूरा कर लिये। अब वह चाहे जिस हाल में रहें इससे कोई लेना देना नहीं है। जब राजनैतिक फायदे की बात आती है तो सभी फूल-माला लेकर प्रतिमाओं के आगे पीछे मडराने लगते हैं, तब लगता है कि इनसे बड़ा देश भक्त और समाजसेवी कोई नहीं है। लेकिन जैसे ही इनका मतलब सिद्ध हुआ फिर सब भूल जाते हैं।

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