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कुर्बानी देकर बच्चो का करते है सपना पूरा, फिर क्यों बच्चे बुढ़ापे में माँ-पिता को समझने लगते है बोझ, रुला देगी आपको ये कहानी...

कुर्बानी देकर बच्चो का करते है सपना पूरा, फिर क्यों बच्चे बुढ़ापे में माँ-पिता को समझने लगते है बोझ, रुला देगी आपको ये कहानी...
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कुर्बानी देकर बच्चो का करते है सपना पूरा, फिर क्यों बच्चे बुढ़ापे में माँ-पिता को समझने लगते है बोझ, रुला देगी आपको ये कहानी... बचपन से जिस माँ-पिता ने अपने सपनो को मारकर अपने बच्चो के सपनो को पूरा करे वो माँ-पिता किसी ईश्वर से कम नहीं होते है. सारी जिंदगी बच्चो के लिए खफा देने वाले माँ-बाप बूढ़े होकर उन्ही के लिए बोझ बन जाते है. खुद के लिए कभी कपडा नहीं खरीदा पर बच्चो के लिए ब्रांडेड कपडे खरीदते है. खुद भूखा रहकर अपने बच्चो का पेट पालते है माँ-पिता. माँ-पिता खुद के इलाज के लिए पैसे न लगाकर बच्चो की पढाई के लिए पैसे निकाल देते है. कुर्बानी की मूरत कहे जाने वाले माँ-पिता क्यों बन जाते है आपके लिए बोझ ? क्यों छुड़ाना चाहते है आप उनसे पीछा ये बड़ा ही खतरनाक सवाल है. जिसका जवाब शायद ही आपके पास हो ? 

कुर्बानी देकर बच्चो का करते है सपना पूरा, फिर क्यों बच्चे बुढ़ापे में माँ-पिता को समझने लगते है बोझ, रुला देगी आपको ये कहानी...

बचपन से जिस माँ-पिता ने अपने सपनो को मारकर अपने बच्चो के सपनो को पूरा करे वो माँ-पिता किसी ईश्वर से कम नहीं होते है. सारी जिंदगी बच्चो के लिए खफा देने वाले माँ-बाप बूढ़े होकर उन्ही के लिए बोझ बन जाते है. खुद के लिए कभी कपडा नहीं खरीदा पर बच्चो के लिए ब्रांडेड कपडे खरीदते है. खुद भूखा रहकर अपने बच्चो का पेट पालते है माँ-पिता. माँ-पिता खुद के इलाज के लिए पैसे न लगाकर बच्चो की पढाई के लिए पैसे निकाल देते है. कुर्बानी की मूरत कहे जाने वाले माँ-पिता क्यों बन जाते है आपके लिए बोझ ? क्यों छुड़ाना चाहते है आप उनसे पीछा ये बड़ा ही खतरनाक सवाल है. जिसका जवाब शायद ही आपके पास हो ?

माँ-पिता को अकेला मत छोड़ो

हमारे सपने पूरे करके जब माँ-पिता की आराम की जिंदगी आ जाती है तो आप अपनी फैमली के साथ बिज़ी हो जाते है. यहाँ तक की आप उन्हें एक कमरे में अकेला छोड़ खुद की फैमली के पास टाइम बिताते है. जो बेहद ही शर्मनाक है. आपको याद होगा की माँ-पिता ने कैसे कुर्बानी देकर तुम्हे बड़ा किया तो उन्हें बोझ मत समझो उनके साथ टाइम बिताओ।

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उन्हें अनदेखा न करे

अक्सर देखा जाता है की कई लोग अपने काम में बिजी होने के कारण अपने माँ-पिता की बात को इग्नोर कर देते है. आप ही बताओ इस उम्र में उनका कौन सुनेगा। कौन है उनका तुम्हारे बिना? तो माँ-पिता की आवाज को सुनो उन्हें इग्नोर मत करो.

कद्र करना जरूरी

दुनिया में ​​​​​​​जो आया है वो जाएगा ये तो सत्य ही है. उम्र के पड़ाव के साथ धीरे-धीरे आपके माँ-पिता भी बूढ़े होते जाते है. कई बार ऐसा होता है की हम कोई बात उन्हें ऐसा बोल देते है जिसे हमें जिंदगी भर का पछतावा होता है. ऐसे में माँ-पिता एक बार ही मिलते है उनकी कद्र करो और इनकी बात जरूर सुनो।

घुमाने ले जाओ

जितना ख़ुशी आपको अपने बच्चो और पत्नी के साथ घूमने में लगता है. जरा सोचो उन्होंने भी तुम्हारी ख़ुशी के लिए कितना दर्द झेला होगा। उन्हें भी अपने साथ बाहर ले जाओ जिससे वो खुद को अकेला महसूस न करे. साथ में अपने बच्चो को दादी-दादा से दूर न करो उनकी छाया में बच्चे खुद को सुरक्षित और दादी-दादा के प्यार में खो जाते है.

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