
World Happiness Report 2022: वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में भारत को जो स्थान मिला है वो जानकार दुःख और बढ़ जाता है

World Happiness Report 2022: संयुक्त राष्ट्र हर साल दुनिया के सभी देशों में लोगों की रिपोर्ट और देश के हालातों को ध्यान में रखते हुए हेप्पीनेस रिपोर्ट बनाता है. जिससे ये पता चलता है कि किस देश के लोग अपने जीवन से सबसे ज़्यादा खुश हैं और कौन सा देश सबसे ज़्यादा खुशहाल। एक बार फिर से Finland दुनिया का सबसे खुशाल देश माना गया है और अफ़ग़ानिस्तान सबसे दुःखी बताया गया है।
इस रिपोर्ट में आप भारत को किस स्थान में देखना चाहते हैं? क्या आप यहां की कानून, न्याय, सुविधाएं, पुलिस, समाज, से खुश हैं? वैसे इस इंडेक्स में भारत को जो स्थान मिला है वो दुःख और बढ़ा देता है।
फ़िनलैंड सबसे खुशहाल देश क्यों है
दुनिया का ऐसा देश जहां हर नागरिक खुश हो, किसी बात की टेंशन ना हो वहां कौन नहीं रहना चाहेगा? लिविंग स्टैंडर्ड के लिए फिनलैंड सबसे अच्छा देश बताया गया है। यहां सरकार अच्छी है, क्राइम रेट बहुत कम है, लोगों को समय पर न्याय मिलता है और सबसे जरूरी यहां पुलिस लोगों को बेवजह मारती नहीं है।
रूस और यूक्रेन में जंग चल रही है इसी लिए यहां रहने वाले लोगों में भी तनाव है. ऐसे में UN ने इन दोनों देशों की रैंकिंग इस साल कम कर दी है. रूस की रैंकिंग 80 है और यूक्रेन की 98.
UN दुनिया के 150 देशों में यह सर्वे करता है और पता लगाता है कि किस देश के नागरिक सबसे ज़्यादा सुखी हैं. बीते 10 सालों से यह सर्वे होता आया है. वर्ल्ड हैप्पीनेस रिकॉर्ड का सर्वे पर कैपिटा GDP, सोशल सपोर्ट, स्वस्थ जिंदगी, आज़ादी, और करप्शन पर बेस्ड होता है।
वर्ल्ड हैप्पीनेस रिपोर्ट में भारत को क्या स्थान मिला है
आपको क्या लगता है कौन सा स्थान मिलेगा? दुनिया के 146 देशों में भारत का स्थान 136 है। मतलब यहां रहने वाले ज़्यादातर लोग सुखी नहीं है। अगर फिर भी भारत में आप खुदको खुश मानते हैं तो नंबर 1 देश फिनलैंड का जीवन कैसा होगा इसका अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।
भारत के लोग सुखी क्यों नहीं हैं
इसका कोई एक कारण तो है नहीं, बहुत सी चीज़ें हैं जो एक कॉमन भारतीय की रोजमर्रा की जिंदगी को तकलीफ से भर देती हैं.
पैसों की कमी, भ्रष्टाचार, न्याय व्यवस्था, पुलिसया जुल्म, पाबंदियां, कम छुट्टियां, सामाजिक भेदभाव, आर्थिक भेदभाव, गरीबी, सड़कें, ट्रांसपोर्ट और महंगाई इसके प्रमुख कारण है। लोग जितनी मेहनत करते हैं उन्हें उस हिसाब से पेमेंट नहीं मिलती, मजदूरी का रेट काफी कम है, समाज में ज्यादा पैसा कमाने वालों की इज्जत है और छोटा काम करने वालों की पूछ नहीं है. न्याय सिर्फ अमीरों के लिए है और कानून सिर्फ गरीबों के लिए, पुलिस की प्रताड़ना से हर कोई वाकिफ है। ऐसे में कौन खुश रह सकता है।




