
नींबू इतना महंगा क्यों हो गया: कोई काचा-काचा छोटा-छोटा नीबुडा लाई दो..

Why Lemon Became So Expensive: पेट्रोल-डीजल की रेस मची थी, करोड़ो लोग इस दौड़ के प्रत्यक्षदर्शी थे, जितना पेट्रोल आगे बढ़ता वहीं डीजल भी दौड़ लगाता, तभी पीछे से रेस में एक और खिलाडी अचानक से सनसनाते हुए दौड़ा और अभी तक दौड़ता जा रहा है रुकने का नाम नहीं ले रहा. उसके बिना शिकंजी में मिठास नहीं है, उसके बिना सलाद की थाली में रखी प्याज लोगों को रुला रही है. दुकानों में सिर्फ हरी-लाल मिर्ची लटक रही है, लोगों को दूसरों की बुरी नज़र से बचाने वाला छोटा-छोटा काचा-काचा नीबुडा अब बहुत बड़ा जो हो गया है। उसका स्वाद लेना अब आम आदमी के बस में नहीं है.

मुंह को खट्टा कर देने वाले नींबू के बढ़ते दामों ने लोगों का मन खट्टा कर दिया है. अरे इतना महंगा होने से पहले नींबू पानी के शौक़ीन लोगों के बारे में तो सोचा होता, उन लोगों पर क्या बीत रही होगी जो हैंगओवर उतारने के लिए नींबू चाटते थे. कपडे धोने वाली विम बार साबुन को अब 100 नींबुओं की शक्ति नहीं मिल पा रही है। लोगों को जिस दर्द-दुःख और पीड़ा से गुजरना पड़ रहा है उसकी वजह सिर्फ हरा-पीला गोलमटोल खट्टा-मिट्ठा नींबू है.
बाजार में नींबू का रेट 400 रुपए किलो में बिक रहा है. थ्री इडियट्स में राजू की माँ कहती है कि कुछ दिन बाद नींबू सोनार की दुकान में बिकने लगेगा।

ऐसा क्या हुआ कि नींबू के रेट इतने बढ़ गए, जानकारों का कहना है कि मौसम के कारण नींबू की पैदावार सही तरीके से नहीं हुई. गर्मी में नींबु की डिमांड ज़्यादा हुई और सप्लाई कम, इसी लिए रेट बढ़ गए. खैर नींबु इतना महंगा क्यों हुआ है इसके चार कारण हैं. अपन उन चारों कारणों को जानते हैं.
भारत में नींबू की सबसे ज़्यादा पैदावार कहां होती है
- भारत में प्रतिवर्ष 3.17 हेक्टेयर क्षेत्र में नींबू की खेती होती है. एक बढ़िया नींबू का पौधा या पेड़ साल में 3 बार नींबू उगाता है.
- आंध्र प्रदेश भारत का सबसे बड़ा नींबू उत्पादक राज्य है, जहां 45 हज़ार हेक्टेयर में इसकी खेती होती है
- आंध्र प्रदेश के बाद महाराष्ट्र, गुजरात, ओडिशा और तमिलनाडु में नींबू की सबसे ज्यादा खेती होती है
- भारत में सालाना 37 लाख टन से ज़्यादा नींबू उगाया जाता है. भारत न तो नींबू दूसरे देशों को भेजता है न ही दूसरे देशों से खरीदता है.
नींबू इतना महंगा क्यों हुआ
1. मौसम की मार सहने के बाद नींबू इतना महंगा हुआ

- नींबू के कम उत्पादन की सबसे बड़ी वजह मौसम है. जिन इलाकों में ज़्यादा पैदावार होती है वहां अधिक वर्षा और ज़्यादा गर्मी के कारण नींबू की पैदावार में असर पड़ा है
- बेमौसम बारिश, तूफान, अधिक गर्मी के कारण ऐसी स्थिति निर्मित हुई है
- पिछले साल मानसून तो ठीक था लेकिन सितम्बर और अक्टूबर में ज़्यादा ही बारिश हुई. नींबू के बागानों में ज़्यादा नमी बढ़ने से पौधों में फूल कम आए
- कोल्ड स्टोरेज में हस्त बहार नींबू को स्टोर किया जाता है, इस बार किसानों के पास स्टोर करने के लिए ज़्यादा नींबू ही नहीं थे वहीं दूसरी खेप सही ढंग से उगी ही नहीं।
- बीते दो सीजन से नींबू की पैदावार में कमी आई है. गर्मी के मौसम में नींबू की डिमांड बढ़ गई, सप्लाई कम हुई तो रेट बढ़ गए.
2. ईंधन महंगा हुआ तो नींबू के भाव बढ़ गए
पेट्रोल-डीजल-सीएनजी के महंगे होने से ट्रांस्पोर्टेशन महंगा हो गया, प्रति ट्रक 24 हज़ार रुपए का खर्चा बढ़ा है. आखिर नींबू भी जो देश के कई राज्यों से ट्रक की सवारी करके हमारी थाली में आता है.
3. गर्मी बढ़ी तो नींबू का पारा भी हाई हो गया
इस साल मार्च महीने से ही मई वाली गर्मी पड़ने लगी, फरवरी-मार्च में बढे तापमान का असर नींबू पर पड़ा, पौधों में लगे फूल मुरझा गए और उन फूलों से फल उगे ही नहीं
4. बवंडर के कारण भी नींबू के रेट बढे
पिछले साल गुजरात में साइक्लोन आया था, जिससे नींबू सहित कई फालसों को नुकसान हुआ है। गुजरात में देश का 17% नींबू उगाया जाता है जो आंध्र प्रदेश के बाद देश का दूसरा सबसे बड़ा नींबू का उत्पादक है
नींबू सस्ता कब होगा
अभी पूरे गर्मी के मौसम में रेट कम नहीं होने वाले बल्कि बढ़ेंगे ही. क्योंकी गर्मी में नींबू की पैदवार कम होती है. जिस सीजन में उगना था तब ज़्यादा ही गर्मी पड़ गई. अब सितंबर में फिर से पैदावार होगी तो रेट कम होंगे।




