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कॉमन सिविल कोड क्या है? जो CAA, राम मंदिर, अनुच्छेद 370 के बाद बीजेपी का प्रमुख एजेंडा है

कॉमन सिविल कोड क्या है? जो CAA, राम मंदिर, अनुच्छेद 370 के बाद बीजेपी का प्रमुख एजेंडा है
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What is Common Civil Code? शुक्रवार को भोपाल में गृहमंत्री अमित शाह ने कॉमन सिविल कोड लाने की बात कही है

What is Common Civil Code: देश में जल्द कॉमन सिविल कोर्ट मतलब समान नागरिक संहिता लागू होने वाली है, केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने शुक्रवार को भोपाल दौरे में Common Civil Code के बारे में बात कही है. उन्होंने कहा कि CAA, राममंदिर, आर्टिकल 370 और ट्रिपल तलाक जैसे मुद्दों के फैसले तो केंद्र सरकार ने ले लिए हैं अब बारी कॉमन सिविल कोड की है.

उन्होंने कहा कि उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता पायलट प्रोजेक्ट के रूप में लागु होने जा रहा है, इसके लिए ड्राफ्ट रेडी हो रहा है, जो कुछ भी बचा है सब ठीक कर देंगे, आप लोग ऐसा कोई काम मत करना जिससे पार्टी की छवि को कोई नुकसान पहुंचे।

बीजेपी के प्रमुख एजेंडों में से एक है Common Civil Code:

कॉमन सिविल कोड (Common Civil Code) बीजेपी के प्रमुख एजेंडों में से एक है. पार्टी ने ट्रिपल तलाक, अयोध्या में श्री राम मंदिर, कश्मीर में आर्टिकल 370 और देश में CAA लागू करके अपने 4 प्रमुख एजेंडों को पूरा कर लिया है. अब बारी कॉमन सिविल कोड की है.

What Is Common Civil Code In Hindi Explained:

समान नागरिक संहिता क्या है: अभी देश में लोगों के जाति-मजहब के आधार पर भी कानून चलते हैं, जैसे भारतीय कानून में मुस्लिम पर्सनल लॉ, हिन्दू लॉ और अलग-अलग राज्यों में अलग-अलग कानून हैं. कॉमन सिविल कोड से तात्पर्य यह है कि इसके लागू होने के बाद देश के सभी नागरिकों के लिए सिर्फ एक कानून होगा, कोर्ट में किसी धर्म या मजहब के अनुसार अलग से कोई स्पेशल लॉ की व्यवस्था नहीं होगी। संविधान का अर्टिकल 44 इसे देश में लागू करने की इजाजत देता है, और सिर्फ केंद्र सरकार इसे पूरे देश में या किसी राज्य में लागू कर सकती है.

सबसे पहले कॉमन सिविल कोड उत्तराखण्ड में पायलट प्रोजेक्ट के तहत लागू किया जा रहा है. मतलब शरूआत उत्तराखंड से होगी और बाद में पूरे देश के राज्यों में CCC यानी Common Civil Code लागू होगा

कॉमन सिविल कोड कैसे काम करता है (How common civil code works)

देश की आज़ादी से पहले भारत में हिन्दुओं के लिए अलग कानून था और मुसलमानों के लिए अलग, जैसे शादी, तलाक, ईशनिंदा। सबसे पहले महिलाओं ने इसके खिलाफ आवाज उठाई थी. जब केंद्र में बीजेपी सत्ता में आई तो लोकसभा चुनाव के घोषणापत्र में CCC का भी जिक्र था.

Saman Nagrik Sanhita In Hindi: कॉमन सिविल कोड का सीधा मतलब है 'एक देश एक कानून' कोई भी व्यक्ति जो किसी भी धर्म का उसपर एक ही कानून लागु होता है. अभी भारत में ऐसा नहीं होता, शादी के मामले में मुस्लिम मजहब में एक से ज़्यादा शादी कर सकते हैं लेकिन भारत का संविधान इसकी इजाजत नहीं देता है. जब देश और यहां का संविधान धर्मनिरपेक्ष है तो कानून का मजहब के नामपर अलग-अलग होना तर्कहीन लगता है.

कॉमन सिविल कोड के फायदे क्या हैं (Advantages of Common Civil Code)

  • देश में धर्मं के आधार पर बटे कानून से न्यायपालिका पर बोझ बढ़ता है, समान नागरिक संहिता लागू होने से इस समस्या से छुटकारा मिलेगा और अदालतों में लम्बे समय से पेंडिंग मामलों में जल्दी फैसला होने लगेगा
  • शादी, तलाक, बच्चे को गोद लेना, जायजाद का बटवारा आदि मामलों में एक कानून चलेगा, चाहे व्यक्ति किसी भी धर्म का हो, वर्तमान में इन सब मामलों में पर्सनल लॉ के तहत फैसले होते हैं. हिन्दू के लिए अलग और मुसलमानों के लिए अलग
  • कॉमन सिविल कोड़ से देश के कानून में समानता आएगी, इससे देश की राजनीति में भी सुधार होगा।
  • महिलाओं को अधिकार मिलेगा: अबतक तीन बार तालक बोलकर मुस्लिम महिलाओं से शादी तोड़ दी जाती थी, जो कहीं से भी किसी महिला के लिए न्यायोचित नहीं था, ट्रीपल तलाक जैसे मुद्दे कॉमन सिविल कोड के तहत लिया गया फैसला है. इससे महिलाओं को उनका अधिकार मिलता है. किसी मजहब में महिलाओं पर लगी पाबंदी तब मायने नहीं रखेगी जब देश में समान नागिक संहिता लागू होगी

धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा मिलेगा

भारतीय संविधान देश को एक सेक्युलर कंट्री मतलब धर्मनिरपेक्ष राष्ट्र बनाता है, लेकिन कानून ही जब मजहब के आधार पर बंटा हो तो यह दोनों चीज़ें विरोधाभासी होती हैं. कॉमन सिविल कोड में सभी धर्म और सम्रदाय के लोगों के लिए एक कानून होगा।

किन देशों में लागू है कॉमन सिविल कोड (How Many Countries Have Common Civil Code)

अमेरिका, आयरलैंड, पाकिस्तान, बांग्लादेश, मलेशिया, तुर्की , इंडोनेशिया, सूडान, इजिप्ट, जैसे कई देश हैं, जिन्होंने समान नागरिक संहिता (Common Civil Code) लागू किया है।

भारत में समान नागरिक संहिता कब लागू होगी

पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर सबसे पहले उत्तराखंड में समान नारिक संहिता लागू होने वाली है, गृहमंत्री शाह ने पूरे देश में इसे लागू करने की तरफ इशारा किया है, हो सकता है इसी साल या लोकसभा चुनाव के पहले-पहले भारत में समान नागरिक संहिता लागू हो जाए.

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