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बीजेपी का मिशन 400 क्या है? लोकसभा चुनाव 2024 के दो साल पहले से BJP ने तैयारी शुरू कर दी है

बीजेपी का मिशन 400 क्या है? लोकसभा चुनाव 2024 के दो साल पहले से BJP ने तैयारी शुरू कर दी है
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BJP's Mission 4000: लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी का नारा "अबकी बार 400 पार"

BJP's Mission 400: दो साल बाद होने वाले लोकसभा चुनाव 2024 के लिए बीजेपी ने अभी से तैयारी करनी शुरू कर दी है, राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति चुनाव के बाद भारतीय जनता पार्टी मिशन 400 में जुट जाएगी। इसके लिए पूरी प्लानिंग सेट कर ली गई है. गृहमंत्री ने क्रोनोलॉजी बता दी है और 17 अगस्त से बीजेपी के नेता, मंत्री, पदाघिकारियों सहित कार्यकर्त्ता ड्यूटी में तैनात हो जाएंगे।

लोकसभा चुनाव 2024 में बीजेपी ने 400 सीटों का लक्ष्य रखा है, अब इस बार बीजेपी का नारा "अबकी बार 400 पार होगा' इस नारे से कांग्रेस और विपक्ष का न्यारा-व्यारा करने का प्लान है. वर्तमान में बीजेपी के पास 303 लोक सभा सीटें हैं और NDA के पास टोटल 357 सीटें होती हैं. पिछली बार इन 144 सीटों में बीजेपी को हार मिली थी वहां अब पार्टी की ख़ास नज़र रहने वाली है.

बीजेपी का मिशन 400

लोकसभा चुनाव 2019 में जिन सीटों में बीजेपी को हार मिली थी अब वहां बीजेपी गवर्नमेंट के मंत्री रहकर वहां की स्थिति और कमियों के साथ खामियों को समझेंगे और अपनी जीत दर्ज करने के लिए रणनीति बनाने का काम करेंगे। इस बार बीजेपी लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस सहित TMC, SHIVSENA, BSP, SP, और अन्य गुटों का सफाया करने की रणनीति बना रही है.

जहां हारे वहां 15 दिन में और जहां जीते वहां 30 में विजिट करेंगे

लोकसभा चुनाव 2024 दो साल बाद होना है, कांग्रेस के लीडर तो मानसून का मजा लेने के लिए विदेश निकल जाते हैं लेकिन बीजेपी के नेता बड़े दूरदृष्टि वाले लोग हैं इसी लिए 17 अगस्त 2022 से ही अपनी जीती हुई सीटों और हारे हुए संसदीय क्षेत्रों की दशा जानने के लिए काम पर जुट जाएंगे। जिन सीटों में बीजेपी को हार मिली थी वहां केंद्रीय मंत्री हर 15 दिन में निरीक्षण करने के लिए पहुंचेंगे और जहां जीत मिली थी वहां मंत्री हर 30 दिन में जाएंगे। इन क्षेत्रों में रहकर जनता की सोच, समझ और मांग को समझेंगे।

लोकसभा चुनाव 2024 के लिए कांग्रेस की क्या तैयारी है

फ़िलहाल ऐसी कोई तैयारी कांग्रेस पार्टी में नहीं दिखाई दे रही है, पार्टी के वरिष्ठ नेता अध्यक्ष बदलने की मांग पर अड़े है, इसी चक्कर में कपिल सिब्बल ने सपा ज्वाइन कर ली है, गुलाम नबी आज़ाद अब कांग्रेस के साथ नहीं हैं. बचे राहुल गाँधी और प्रियंका गांधी तो इन दोनों नेताओं ने खुद की पार्टी को मजबूत बनाने की बजाय सरकार में दोष मढ़ने और प्रत्येक योजनाओं के खिलाफ प्रदर्शन करने की होड़ रहती है. फ़िलहाल कांग्रेस का कोई भी मास्टरप्लान सामने नहीं आया है.

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