
डॉन अभी जिन्दा है / मौत की अफवाह के चौथे दिन गैंगस्टर छोटा राजन कोरोना मुक्त हुआ, जेल शिफ्ट किया गया

अंडरवर्ल्ड डॉन एवं गैंगस्टर राजेंद्र सदाशिव निखलजे उर्फ़ छोटा राजन (Underworld don & Indian Gangster Rajendra Sadashiv Nikhalje alias Chhota Rajan) ने कोरोना से जंग जीत लिया है. मौत की अफवाह के चौथे दिन वह कोरोना मुक्त हो गया. उसे AIIMS से तिहाड़ जेल नंबर 2 में कड़ी सुरक्षा में रखा गया है.
करौनाग्रस्त होने के बाद छोटा राजन का 22 अप्रैल से जेल के अस्पताल में इलाज चल रहा था. 25 अप्रैल को तबियत बिगड़ने के बाद उसे AIIMS में भर्ती किया गया था. जहां उसका इलाज चल रहा था. 7 मई को छोटा राजन की मृत्यु कोरोना से हो जाने की अफवाह सोशल मीडिया में उड़ी, उसके ठीक चौथे दिन छोटा राजन कोरोना से जंग जीतकर वापस तिहाड़ जेल पहुँच गया.
कौन है अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन
अंडरवर्ल्ड डॉन छोटा राजन का असली नाम राजेंद्र सदाशिव निखलजे है. वह मुंबई के चैम्बूर इलाके के तिलक नगर बस्ती में जन्मा था. स्कूलिंग छोड़ने के बाद वह फिल्म के टिकटों को ब्लैक में बेंचा करता था. फिर वह डॉन राजन नायर (Don Rajan Nayar) की गैंग में शामिल हो गया. नायर को अंडरवर्ल्ड की दुनिया में बड़ा राजन और राजेंद्र सदाशिव को छोटा राजन के नाम से जाना जाने लगा.

समय के साथ साथ छोटा राजन, बड़ा राजन का करीबी बनता गया फिर राजन नायर की मौत के बाद वह उसकी कुर्सी में बैठ गया. जब छोटा राजन फरार था तब तक उस पर भारत में 65 से अधिक मुक़दमे दर्ज हो चुके थें. उस पर अवैध वसूली, धमकी, मारपीट और हत्या की कोशिश के थे. उस पर 20 से ज्यादा लोगों के मर्डर का आरोप लगा. वह जर्नलिस्ट ज्योतिर्मय डे की हत्या में दोषी पाया गया है. इसी मामले में उसे उम्रकैद की सजा सुनाई गई है.
फोटो छोटा राजन के शादी के वक्त की है. इसमें वो दाउद के साथ दिखाई दे रहा है. ये वही दौर था, जब दाउद और छोटा राजन मिलकर जुर्म करते थे.
दाऊद से दोस्ती, फिर दुश्मनी
छोटा राजन की दोस्ती धीरे धीरे अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम (Underworld don Dawood Ibrahim) के साथ बढ़ती गई. राजन गैंग के दौरान उसकी दाऊद से पहचान हुई थी. दोनों की दोस्ती इतनी जबरदस्त थी कि दोनों मिल कर अपराध करते थें. दाऊद से दोस्ती के बाद उसके क्राइम का ग्राफ भी बढ़ता रहा. दोनों मिलकर मुंबई में स्मगलिंग, वसूली एवं हत्याएं करते रहें. सन 1988 में छोटा राजन दुबई चला गया.

इसके बाद दाऊद और राजन दुनियाभर में गैर कानूनी काम करने लगे, लेकिन बाबरी कांड के बाद 1993 में जब मुंबई में सीरियल बम ब्लास्ट हुए तो राजन ने अपनी राह अलग कर ली. जब उसे पता चला कि इस कांड में दाऊद का हाथ है, तो वह उसका दुश्मन बन बैठा. उसने खुद को दाऊद से अलग करके नया गैंग बना लिया. 27 साल फरार रहने के बाद छोटा राजन को नवंबर 2015 में इंडोनेशिया से गिरफ्तार कर भारत लाया गया.




