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भारत में फिर बदलेगा टोल कलेक्शन सिस्टम: FASTag नहीं, GPS ट्रैकिंग से Toll वसूली होगी

भारत में फिर बदलेगा टोल कलेक्शन सिस्टम: FASTag नहीं, GPS ट्रैकिंग से Toll वसूली होगी
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GPS Tracking Toll Collection System: भारत में अब जल्द ही टोल कलेक्शन का सिस्टम बदलने वाला है. फास्टैग की जगह जीपीएस ट्रैकिंग के माध्यम से टोल की वसूली की जाएगी.

GPS Tracking Toll Collection System in India, FASTag Toll Collection, New Toll Collection System, Satellite Navigation Tolling System: फास्टैग (FASTag) का जमाना भी अब जाने वाला है। इसकी जगह जीपीएस ट्रैकिंग (GPS Tracking) के जरिए टोल वसूलने का नया सिस्टम (New System of Toll Collection) लाया जाएगा, जो कुछ यूरोपीय देशों में सफल हो चुका है। इसे 'सैटेलाइट नेविगेशन टोलिंग सिस्टम' (Satellite Navigation Tolling System) कहते हैं।

सैटेलाइट नेविगेशन टोलिंग सिस्टम लागू करने के बाद देशभर से टोल प्लाजा हटा दिए जाएंगे। सरकार ने 2020 में ही दिल्ली-मुंबई गलियारे में कमर्शियल ट्रकों में ऑन बोर्ड यूनिट और इसरो के नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम की मदद से एक पायलट प्रोजेक्ट शुरू किया था, जो सफल रहा है। अब केंद्र सरकार ने नए सिस्टम को लागू करने के लिए कुछ जरूरी टेस्ट शुरू कर दिए हैं।

टेस्ट में 1.37 लाख गाड़ियों को शामिल किया गया

टेस्ट में देशभर की 1.37 लाख गाड़ियों को शामिल किया गया है। महाराष्ट्र में 38,680, दिल्ली में 29,705, उत्तराखंड में 14,401, छत्तीसगढ़ में 13,592, हिमाचल प्रदेश में 10,824 और गोवा में 9,112 वाहन ट्रायल में शामिल किए गए हैं। वहीं, मध्य प्रदेश, मणिपुर, सिक्किम और लद्दाख में अभी सिर्फ एक-एक वाहन पर यह ट्रायल चल रहा है।

केंद्र सरकार रूस और द. कोरिया के कुछ विशेषज्ञों की मदद से एक स्टडी रिपोर्ट तैयार करा रही है। केंद्रीय परिवहन मंत्रालय (Union Ministry of Transport) के एक वरिष्ठ अफसर ने बताया कि नए Satellite Navigation Tolling System (SNTS) को लागू करने से पहले परिवहन नीति में भी बदलाव करना जरूरी है। विशेषज्ञों की टीमें नीति में बदलाव के प्रस्ताव बिंदु तैयार कर रही हैं। अगले कुछ हफ्तों में रिपोर्ट तैयार हो जाएगी।

जर्मनी का मॉडल : रोड पर गाड़ी कितने किमी तक चली... इसी से तय हो रहा टोल

जर्मनी और रूस में सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम के इस्तेमाल से टोल संग्रह होता है। जर्मनी में 98.8% वाहनों से इसी सिस्टम से टोल लिया जा रहा है। टोल के लिए चिह्नित सड़क पर गाड़ी जितने किमी तक चलती है, उसी हिसाब से टोल की राशि लगती है। जैसे ही गाड़ी टोल के लिए चिह्नित सड़क से अलग होती है, किमी की गणना के हिसाब से गाड़ी मालिक के खाते से टोल कट जाता है। खाते से टोल कटने का सिस्टम वैसा ही है, जैसा भारत में फास्टैग का है। भारत में 97% वाहनों से फास्टैग के जरिए टोल वसूला जाने लगा है।

3 महीने के भीतर 60 किमी से कम दूरी पर बने सभी टोल प्लाजा हटेंगे

केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी (Union Transport Minister Nitin Gadkari) ने इसी हफ्ते सदन में कहा है कि देश में कहीं भी दो टोल प्लाजा 60 किमी से कम दूरी पर होंगे तो उनमें से एक प्लाजा तीन महीने के भीतर हटा दिया जाएगा। देश में 727 टोल प्लाजा हैं। इनकी मैपिंग जारी है, ताकि पता लगाया जा सके कि ऐसे कितने हैं, जो 60 किमी से भी कम दूरी पर हैं। हालांकि, मंत्रालय के सूत्रों का कहना है कि कई प्लाजा बीओटी शर्तों पर बने हैं, जो कम दूरी पर हैं। इन्हें किस नियम के तहत हटाया जाएगा, इस पर मंत्रालय ने अभी कुछ स्पष्ट नहीं किया है।

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