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Maa Mundeshwari Temple: इस मंदिर में माता को भेंट की जाती है बिना रक्त बहाए बलि, यह है इसके पीछे का रहस्य और इतिहास

Sanjay Patel
22 July 2023 8:58 AM GMT
Maa Mundeshwari Temple: इस मंदिर में माता को भेंट की जाती है बिना रक्त बहाए बलि, यह है इसके पीछे का रहस्य और इतिहास
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Maa Mundeshwari Temple: आपने ऐसा कभी भी न सुना होगा कि बलि दी जाए और खून की एक बूंद भी न बहे। यह हैरान कर देने वाला तो जरूर है किंतु यह सच है।

Maa Mundeshwari Temple Bihar: आपने ऐसा कभी भी न सुना होगा कि बलि दी जाए और खून की एक बूंद भी न बहे। यह हैरान कर देने वाला तो जरूर है किंतु यह सच है। यहां पर आपको एक ऐसी जगह के बारे में बताने जा रहे हैं जहां पर माता को बलि तो दी जाती है किंतु वहां पर रक्त की एक बूंद भी नहीं गिरती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार बलि के दौरान रक्त बहने से माता रूठ जाती हैं और क्रोधित हो उठती हैं। तो आइए जानते हैं एक ऐसे मंदिर के बारे में जहां पर बगैर रक्त बहाए बलि दी जाती है। इसके पीछे का रहस्य और इतिहास क्या है?

बिहार में स्थित है माता का यह मंदिर / Mundeshwari Mandir Bihar Ke Kis Jile Mein Hai

बिहार के कैमूर जिले में हैरान कर देने वाला माता का मंदिर स्थित है। यहा 608 फीट ऊंची एक पहाड़ की चोटी पर है। इस पहाड़ की चोटी का नाम पवरा है। इस मंदिर में मां मुंडेश्वरी विराजमान हैं। ऐसी मान्यता है कि यहां पर तकरीबन 19सौ वर्षों से माता की पूजा-अर्चना की जा रही है। इस मंदिर को लेकर अनेकों कहानियां प्रचलित हैं। उन्हीं कहानियों में से एक कहानी के बारे में आपको बताने जा रहे हैं। यह मंदिर बिहार के साथ पूरे विश्व के सर्वाधिक प्राचीन मंदिरों में से एक माना जाता है।

मां मुंडेश्वरी की यह है कहानी

माता मुंडेश्वरी की कहानी सुनकर हर शख्स अवाक रह जाता है। इस मंदिर में एक गजब तरीके से बलि चढ़ाई जाती है। बलि के दौरान रक्त की एक बूंद भी नहीं बहती है। जिससे माता प्रसन्न होती हैं। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार जब चंड और मुंड नाम के दो असुर जीवन को तबाह करने में लगे थे, तब माता मुंडेश्वरी ने प्रकट होकर राक्षस का वध किया था। उस दौरान चण्ड का वध तो हो गया था किंतु मुंड राक्षस इसी पहाड़ी पर आकर छिप गया था। मां मुंडेश्वरी मुंड को खोजते हुए इसी पहाड़ी पर आईं और मुंड नामक राक्षस का वध किया। यही वजह है कि इस मंदिर का नाम मुंडेश्वरी माता मंदिर पड़ा था। यहां के निवासियों के अनुसार इस मंदिर में बकरे की बलि दी जाती है।

बिना रक्त बहाए ऐसे देते हैं बलि

मां के दरबार में हर कोई अपनी-अपनी मन्नत लेकर पहुंचता है। मान्यताओं के अनुसार जब किसी व्यक्ति की मन्नत पूरी हो जाती है तो प्रसाद के रूप में माता की मूर्ति के सामने बकरे को बलि चढ़ाने के लिए लाता है। मंदिर के पुजारी माता के चरणों से अक्षत उठाकर बकरे के ऊपर डालते हैं। अक्षत डालते ही बकरा बेहोश हो जाता है। कुछ देर बाद बकरे के ऊपर पुजारी पुनः अक्षत मारते हैं। ऐसे में बकरा होश में आ जाता है। इस बलि परंपरा के जरिए यह संदेश दिया जाता है कि माता रक्त की प्यासी नहीं बल्कि जीवों पर दया करने वाली हैं। ऐसे में माता को बलि भी अर्पित कर दी जाती है और एक बूंद रक्त भी नहीं बहता। जिससे मां मुंडेश्वरी अत्यधिक प्रसन्न होती हैं और कृपा भक्तों को हमेशा प्राप्त होती रहती है।

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