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स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिष पीठ और स्वामी सदानंद सरस्वती को द्वारका पीठ का प्रमुख घोषित किया गया

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को ज्योतिष पीठ और स्वामी सदानंद सरस्वती को द्वारका पीठ का प्रमुख घोषित किया गया
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ज्योतिर्मठ बद्रीनाथ और शारदा पीठ द्वारका के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारियों के नाम स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद और स्वामी सदानंद सरस्वती हैं

शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती के उत्तराधिकारी: रविवार 11 सितम्बर की दोपहर 3:30 बजे नरसिंघपुर में परमहंसी गंगा आश्रम में हिन्दुओं के सबसे बड़े धर्मगुरु शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती (Shankaracharya Swami Swaroopanand Saraswati) का निधन हो गया. उनके देहांत के बाद से ही ज्योतिर्मठ बद्रीनाथ और शारदा पीठ द्वारका के अगले शंकराचार्य के नामों की चर्चा शुरू हो गई.


शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ज्योतिर्मठ बद्रीनाथ और शारदा पीठ द्वारका दोनों के शंकराचार्य थे, अब उनके द्वारा चुने गए उत्तराधिकारी एक-एक पीठ के शंकराचार्य चुने गए हैं. स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती जी महाराज की अंतिम यात्रा से पहले ही दोनों पीठों के प्रधानों के नाम की घोषणा कर दी गई है. स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद (Swami Avimukteshwarananda) को ज्योतिष पीठ बद्रीनाथ और स्वामी सदानंद सरस्वती (Swami Sadananda Saraswati) को द्वारका शारदा पीठ का प्रमुख घोषित किया गया है

स्वामी सदानंद सरस्वती शारदा पीठ द्वारका के प्रमुख होंगे


शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने शारदा द्वारिकापीठ के लिए अपने शिष्य स्वामी सदानंद सरस्वती (Swami Sadananda Saraswati) को अपना उत्तराधिकारी बनाया था. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की मृत्यु के उपरांत शारदा पीठ द्वारिका के अगले शंकरचार्य के रूप में स्वामी सदानंद सरस्वती को चुना गया है.

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ज्योतिष पीठ बद्रीनाथ के प्रमुख होंगे


शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती नेज्योतिष पीठ बद्रीनाथ के लिए अपने दूसरे शिष्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया था. शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती की मृत्यु के उपरांत ज्योतिष पीठ बद्रीनाथ के अगले शंकराचार्य के रूप में स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद को चुना गया है.

ज्योतिष पीठ का प्रभाव अभी अविमुक्तेश्वरानंद महाराज के पास है। जबकि द्वारका पीठ का प्रभार दंडी स्वामी सदानंद सरस्वती को मिला हुआ है। दोनों ही अब शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती के देहांत के बाद अपने अपने पीठों के शंकराचार्य कहलाएंगे।

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