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उच्चतम न्यायालय का राजद्रोह पर बड़ा निर्देश, एफआईआर पर लगाया प्रतिबंध

Supreme Court
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राजद्रोह में एफआईआर दर्ज करने पर उच्चतम न्यायालय ने लगाया प्रतिबंध

Rajdroh Kanoon News: राजद्रोह में एफआईआर दर्ज करने पर भारत के उच्चतम न्यायालय ने प्रतिबंध लगा दिया है। भारत के सबसे बड़े न्यायालय का यह फैसला आगामी आदेश तक जारी रहेगा। इतना ही नही देश की अदालत ने केंद्र सरकार को कानून की समीक्षा करने की अनुमति भी दे दी है।

राजद्रोह के बंदियों की अदालत में होगी सुनवाई

राजद्रोह के बंदियों की सुनवाई भी निचली अदालतों में होगी। इसके लिए सुप्रीम कोर्ट ने आदेशित किया है कि जो लोग राजद्रोह के मामले में जेल में बंद है वह निचली अदालत में जमानत के लिए याचिका दाखिल करें। अदालत ने कंहा है कि यदि किसी के खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज हुआ है तो वह निचली अदालत में राहत की मांग कर सकते है।

यह भी दिया आदेश

देश की आदालत ने अपने आदेश में कहां है कि जितने भी मामले विचाराधीन है, उनकी कार्रवाई स्थगित कर दी जाए। राजद्रोह के किसी भी मामले में फैसला ना सुनाया जाए। भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने जुलाई के तीसरे हफ्ते में सुनवाई के लिए सभी पक्षियों को बुलवाया है।

भारत में क्या है राजद्रोह

रिपोर्ट में कहा गया है कि यदि कोई शब्दों के द्वारा लिखित, मौखिक, सांकेतिक या प्रदर्शन या अन्य गतिविधियों के लिए घृणा फैलाता है, लोगों को उत्तेजित करता है या भारत में कानून द्वारा स्थापित सरकार के खिलाफ असंतोष पैदा करने का प्रयास करता है, तो उसे राजद्रोह के इस कानून के तहत जुर्माने के साथ तीन साल तक कारावास की सजा दी जाती है।

अग्रेजों के समय का है कानून

ज्ञात हो कि राजद्रोह कानून अंग्रेजों के समय का बनाया गया कानून है। इसे बदलने के लिए समय-समय पर मांग उठती रही है। यह कानून 1870 में लागू किया गया था। इस कानून से देश में चलाए जा रहे स्वतंत्रता संग्राम को कुचलने के लिए यह कानून लाया गया था। यही वजह है कि अब इस कानून को बदलने की मांग उठ रही है। वही सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद 152 वर्ष पुराने इस कानून को बदलने के लिए सरकार भी मान रही है कि इस कानून में बदलांव की जरूरत है।

Viresh Singh Baghel | रीवा रियासत

Viresh Singh Baghel | रीवा रियासत

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