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नसबंदी हो गई फेल, अब हर महीने सरकार देगी 10000, साथ में मिलेंगा 3 लाख रुपए मुआवजा

नसबंदी हो गई फेल, अब हर महीने सरकार देगी 10000, साथ में मिलेंगा 3 लाख रुपए मुआवजा
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महिला की नसबंदी फेल हो गई। इस मामले को लेकर वह हाईकोर्ट गई वहां से उसे न्याय प्राप्त हुआ।

दो बच्चों के पैदा हो जाने के बाद पत्नी ने पति की सहमति के बाद नसबंदी करवा ली। नसबंदी मेडिकल कॉलेज में हुई लेकिन महिला की नसबंदी फेल हो गई। ऐसे में महिला प्रेग्नेंट हुई और उसने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। अब महिला का कहना है कि वह गरीब परिवार से है। उसके पास तीसरे बच्चे को पालने के लिए पर्याप्त आमदनी नहीं है। इसीलिए उसने नसबंदी कराई थी। अब नसबंदी फेल हो गई है इसका जिम्मा सरकार पर जाता है। इस मामले को लेकर वह हाईकोर्ट गई वहां से उसे न्याय प्राप्त हुआ।

जाने कहां का और क्या है पूरा मामला

जानकारी के अनुसार मद्रास हाई कोर्ट ने एक बड़ा फैसला देते हुए तमिलनाडु राज्य सरकार से कहा है कि पीड़ित महिला को 300000 मुआवजा दिया जाए। साथ में बच्चे के 21 वर्ष तक हो जाने तक परवरिश की पूरी जवाबदारी सरकार उठाएगी। साथ में बच्चे के पढ़ाई का खर्चा भी सरकार को उठाना होगा।

बताया गया है कि यह पूरा मामला थुथूकुड़ी का है। मद्रास हाईकोर्ट की मदुरै पीठ ने इस मामले की सुनवाई करते हुए दिया है। बताया गया है कि थुथूकुड़ी एक महिला ने वर्ष 2013 में के मेडिकल कॉलेज मैं नसबंदी करवाई थी इसके बाद वह 2014 में प्रेग्नेंट हो गई 2015 में उसने एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। इसके बाद उसने नसबंदी फेल हो जाने की जानकारी मदुरई हाईकोर्ट में देते हुए न्याय की गुहार लगाई।

हाई कोर्ट ने अपने फैसले में क्या कहा

याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट के जस्टिस बी पुंगलेधी ने कहा कि इसमें चिकित्सक की लापरवाही है। ऐसे में पीड़िता को राहत मिलनी चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चे की शिक्षा का पूरा खर्च राज्य सरकार उठाएगी। इसके अलावा बच्चे के 21 वर्ष के हो जाने तक बच्चे के अन्य खर्चों की पूर्ति के लिए हर महीने 10000 रुपए सरकार को देने होंगे।

साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा है कि अगर याचिकाकर्ता ने बच्चे की पढ़ाई पर किसी भी तरह का खर्च किया है तो उसे भी लौटाया जाए। कोर्ट ने तमिलनाडु सरकार को 300000 रुपए बतौर मुआवजा देने का आदेश दिया है।

हाईकोर्ट ने मानी लापरवाही

हाईकोर्ट का मानना है कि चिकित्सकों की लापरवाही की वजह से नसबंदी फेल हुई है। ऐसे में उक्त महिला को न्याय मिलना चाहिए। कोर्ट ने कहा है कि पीड़िता को एक बार नसबंदी का ऑपरेशन कराने के बाद भी गर्भधारण रोकने के लिए द्वारा इस प्रक्रिया से गुजरना पड़ा इसके लिए कष्टदायक है।

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