कहीं आडिट के झाम से बचने के लिए तो नहीं दबाया जा रहा कोरोना से मौत का आंकड़ा
नई दिल्ली / New Delhi: कोरोना (Corona Pandemic) देश में तांडव कर रहा है। मौत का आंकड़ा दिनो दिन भयावह होता जा रहा हैं। लेकिन सरकार और प्रशासन इस मौत के आंकडे को एक अलग ही अंदाज मे पेश किया जा रहा है। अस्पताल में मौत के बाद उसे कोरोना गाइडलाइन (Corona Guidelines) के तहत संस्कार करवाया जा रहा है। तो वही रोगी की मौत की मुख्य वहज कोरोना नहीं माना जा रहा है।
वही सोशल मीडिया तथा समाचारों के माध्यम से आये दिन कोरोना से मौत की संख्या सरकारी आंकडे़ से दो गुनी से चैगुनी बताई जा रही है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर मौत का आंकडा छुपाने का क्या मक्सद हो सकता है। लेकिन जानकारों द्वारा दबी जुबान इसे डेथ आडिट का झाम बताया जा रहा है।
आडिट में देना होता है जवाब
जनकारों की माने तो डेथ ऑडिट में मौत के कारणों को भी स्पष्ट करना पडता है। अस्पताल को रोगी के इलाल से लेकर उसके मौत की सही जानकारी रखनी होती है और आडिट के समय आडीटर के सामने पेश करना होता है। साथ ही आडीटर के सवालों का भी सामना करना होता है।
बताया जाता है कि आडिट के समय डाक्टर को मौत का कारण तथा उसे दी गई दवा के बारे में जानकारी देनी पड़ती है साथ ही आडीटर के पूछने पर यह भी बताना होता है कि क्या रोगी को दी गई दवा के स्थान पर और दूसरी दवा क्यों नहीं दी गई।
आसान तरीका अपनाते हैं डाक्टर
अस्पताल रोगी की मौत के बाद मौत के कारणों को इस तरह स्पष्ट करते हैं कि किसी भी विवाद की स्थिति में या फिर आडिट में अधिक जवाब नहीं देना पड़ेगा।
पिछले साल गठित की थी डेथ ऑडिट टीम
जानकारी के अनुसार कोरोना की पहली लहर में कोरेाना से हुए मौत के आकडे उलझन में डाल दिया था। बताया जाता है कि पिछले साल जो डेथ ऑडिट टीम गठित हुई थी, उसमें निजी अस्पतालों को तीन-चार बार नोटिस जारी की गई और इन संस्थानों ने ब्योरा देने में डेढ़ महीने का समय लगा दिया था।