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बोर्ड लगाकर बताना होगा-समोसे में कितना तेल, जलेबी में कितनी शक्कर: केंद्र सरकार का फरमान- सभी तरह के खाने में कैलोरी की जानकारी देना आवश्यक

Rewa Riyasat News
14 July 2025 10:07 PM IST
बोर्ड लगाकर बताना होगा-समोसे में कितना तेल, जलेबी में कितनी शक्कर: केंद्र सरकार का फरमान- सभी तरह के खाने में कैलोरी की जानकारी देना आवश्यक
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केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने सभी सरकारी कैंटीनों में समोसे, जलेबी, लड्डू जैसे स्नैक्स में तेल और चीनी की मात्रा दर्शाने वाले चेतावनी बोर्ड लगाने का निर्देश दिया है. यह कदम देश में बढ़ते मोटापे और संबंधित बीमारियों को रोकने के लिए उठाया गया है.

कैंटीन स्नैक्स पर मिलेगी स्वास्थ्य जानकारी: अब आप अपने समोसे में कितना तेल है, लड्डू और जलेबी में कितनी शक्कर है, या वड़ा पाव में कितनी कैलोरी है, इसकी जानकारी स्नैक्स के साथ ही पा सकेंगे. स्वास्थ्य मंत्रालय ने केंद्र सरकार के सभी विभागों को अपनी कैंटीन में बेचे जा रहे सामान के लिए 'तेल और शक्कर चेतावनी बोर्ड' लगाने का निर्देश दिया है. यह कदम देश में बढ़ते मोटापे, मधुमेह (डायबिटीज), हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोगों को कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है. मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, समोसे-जलेबी जैसी चीजों पर चेतावनी तो होगी, लेकिन उन पर पाबंदी नहीं लगाई जाएगी. यह नियम केंद्र सरकार के सभी मंत्रालयों, विभागों और स्वायत्त संस्थानों की कैंटीन में लागू होगा.

क्या हैं ये 'तेल और शक्कर चेतावनी बोर्ड'?

ये बोर्ड केंद्रीय संस्थानों की कैंटीन और सार्वजनिक जगहों पर लगाए जाएंगे. इन पर समोसा, जलेबी, पकौड़ा, लड्डू जैसे नाश्तों में मौजूद तेल और चीनी की मात्रा की जानकारी विस्तार से दी जाएगी. उदाहरण के लिए, यह बताया जा सकता है कि एक गुलाब जामुन में कितनी मात्रा में चीनी होती है. इसका मुख्य मकसद लोगों को जंक फूड के स्वास्थ्य जोखिमों के बारे में जागरूक करना है, ताकि वे अपने खानपान को लेकर सचेत रहें.

सरकार क्यों उठा रही है यह कदम?

भारत में मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं. स्वास्थ्य मंत्रालय के दस्तावेजों के मुताबिक, 2050 तक भारत में 44.9 करोड़ लोग मोटापे या अधिक वजन से प्रभावित हो सकते हैं. खराब खानपान और कम शारीरिक गतिविधि इसके प्रमुख कारण माने जाते हैं. इसी वजह से सरकार जंक फूड को सिगरेट की तरह खतरनाक मानकर लोगों को इसके प्रति सतर्क करना चाहती है.

क्या ये चेतावनियां सिगरेट जैसी होंगी?

हां, सरकार का लक्ष्य जंक फूड को सिगरेट जैसे स्वास्थ्य जोखिमों की श्रेणी में रखना है. जैसे सिगरेट के पैकेट पर "धूम्रपान सेहत के लिए हानिकारक है" लिखा होता है, वैसे ही इन बोर्ड्स पर इन नाश्तों से जुड़े संभावित खतरे बताए जाएंगे. हालांकि, अभी ये चेतावनियां सीधे पैकेजिंग पर नहीं, बल्कि कैंटीन और सार्वजनिक जगहों पर पोस्टर या बोर्ड के रूप में दिखाई देंगी.

नियम कहां और कब से लागू होंगे?

स्वास्थ्य मंत्रालय ने एम्स नागपुर जैसे सभी केंद्रीय संस्थानों को इन चेतावनी बोर्डों को लगाने का आदेश दिया है. ये बोर्ड कैंटीन, अस्पतालों और अन्य सार्वजनिक स्थानों पर नजर आएंगे. दिल्ली में भी जंक फूड पर सिगरेट जैसी चेतावनी लगाने की तैयारी है. हालांकि, इसकी सटीक तारीख अभी घोषित नहीं की गई है, पर यह जल्द ही लागू होने की उम्मीद है.

पहले भी दिए जा चुके हैं ऐसे निर्देश

यह पहली बार नहीं है जब स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता के लिए ऐसे कदम उठाए गए हैं. मई में सीबीएसई ने पूरे भारत में 24,000 से अधिक स्कूलों में 'शुगर बोर्ड्स' लगाने के निर्देश दिए थे. इन बोर्ड्स पर एक दिन में कितनी चीनी खानी चाहिए, सामान्य चीजों में कितनी चीनी होती है, और स्वस्थ खाने के बेहतर विकल्प क्या हैं, जैसी महत्वपूर्ण जानकारी दी गई थी.

प्रधानमंत्री मोदी का 'मन की बात' में आह्वान

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 23 फरवरी को 'मन की बात' के 119वें एपिसोड में स्वास्थ्य का जिक्र करते हुए कहा था कि एक फिट और स्वस्थ भारत बनने के लिए हमें मोटापे की समस्या से निपटना होगा. उन्होंने बताया था कि एक अध्ययन के अनुसार, आज हर आठ में से एक व्यक्ति मोटापे से परेशान है और बच्चों में मोटापे की समस्या चार गुना बढ़ गई है, जो बेहद चिंताजनक है.

हाल ही में मोटापे की समस्या पर एक रिपोर्ट भी सामने आई है, जिसमें कहा गया है कि 2050 तक 44 करोड़ से अधिक भारतीय मोटापे का शिकार होंगे. इस डरावने आंकड़े का मतलब है कि मोटापे के कारण हर तीन में से एक व्यक्ति गंभीर बीमारी से पीड़ित हो सकता है, और यह एक बड़ा संकट पैदा कर सकता है. प्रधानमंत्री ने लोगों से हर महीने 10% कम तेल का उपयोग करने का संकल्प लेने का आग्रह किया था, इसे मोटापा कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम बताया था.

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