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RIP Lata Mangeshkar: नहीं रहीं स्वर कोकिला लता मंगेशकर, 29 दिन से अस्पताल में चल रहा था इलाज

RIP Lata Mangeshkar: नहीं रहीं स्वर कोकिला लता मंगेशकर, 29 दिन से अस्पताल में चल रहा था इलाज
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RIP Lata Mangeshkar: लता ताई को विद्या की देवी माँ सरस्वती का स्वरुप कहा जाता था, वो अब इस दुनिया में नहीं हैं लेकिन उनकी आवाज हमेशा उनकी यादों को ज़िंदा रखेगी. मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सास ली है.

RIP Lata Mangeshkar: भारत की सबसे महान गाईका लता मंगेशकर का रविवार को दुःखद निधन हो गया, 92 वर्ष कि लता ताई रविवार को इस दुनिया को अलविदा कह चुकी हैं और ईश्वर के पास चली गईं हैं लेकिन उनकी आवाज हमेशा लोगों के दिलों में उनके होने का एहसास कराती रहेगी।

92 साल की लता जी की 8 जनवरी को कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी, जिसके बाद उन्हें तुरंत अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनके भर्ती होने की खबर भी 2 दिन बाद 10 जनवरी को सामने आई थी। उन्होंने कोरोना और निमोनिया दोनों से 29 दिन तक एक साथ जंग लड़ी।

पिछले 29 दिनों से उनका इलाज मुंबई के ब्रीच कैंडी हॉस्पिटल में चल रहा था और इस दौरान उनके स्वास्थ्य में सुधार भी हुआ था लेकिन शनिवार को उनकी हालत बिगड़ने लगी और उन्हें वेंटिलेटर शिफ्ट कर दिया गया। 8 जनवरी से लेकर 5 फरवरी तक वो अस्पताल के ICU वार्ड में भर्ती रहीं। लेकिन रविवार को उनके निधन की खबर सामने आई है

लता ताई को मां सरस्वती का स्वरुप कहा जाता था


लता मंगेशकर को प्यार से लता ताई और स्वर कोकिला कहा जाता था, उन्हें लोग विद्या की देवी मां सरस्वती का स्वरुप कहा जाता था। लता मंगेशकर ने अपने गायकी के कॅरियर में 30 हज़ार से ज़्यादा गाने गाए थे।

  • उन्हें उनके गीत के लिए चार बार फिल्म फेयर पुरुस्कार से सम्मानित किया गया था
  • साल 1958 में उनके गीत 'मधुमती' के लिए सर्वश्रेष्ठ गायिका का अवार्ड मिला था
  • 1962 में उन्हें ' डीप जले कहीं दिल', 1965 में ' तुम्ही मेरी मंदिर तुम्ही मेरी पूजा' गाने और 1969 में 'आप मुझे अच्छे लगने लगे' गाने के लिए फिल्म फेयर अवार्ड मिला था
  • साल 1993 में उन्हें लाइफ टाइम अचीवमेंट अवार्ड मिला था
  • साल 1994 में' दीदी तेरा देवर दीवाना' गाने के लिए फिम फेयर ने विशेष पुरुस्कार से उन्हें सम्मानित किया गया था
  • 1972 में 'कोरा कागज' और 1990 में 'लेकिन' गाने के लिए नेशनल अवार्ड दिया गया था
  • लता ताई को 1969 में पद्मभूषण और 1997 में राजीव गांधी सम्मान, 1999 में पद्मविभूषण जैसे सम्मान मिले थे
  • 1989 में उन्हें दादा साहेब फाल्के और 2001 में देश का सर्वोच्च सम्मान भारत रत्न से सम्मानित किया गया था

साल 1973 में उन्हें दुनिया में सबसे ज़्यादा गाना गाने के लिए गिनीज बुक और वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी शामिल किया गया था, लता मंगेश्वर एक मात्र ऐसी कलाकार थीं जिनके जिन्दा रहते उनके नाम से लोगों को सम्मान दिया जाता था।

अपनी बहनों को पालने के लिए उन्होंने कभी शादी नहीं की थी


लता मंगेशकर का जन्म इंदौर में 29 दिसंबर 1929 में हुआ था उनके पिता पंडित दीनानाथ मंगेशकर एक संगीतकार और रंगमच कलाकार थे और मां शेवंती मंगेशकर थीं. जब लता सिर्फ 13 साल की थी तब उनके पिता का साया लता और उनकी और 5 बहनों और भाइयों से उठ गया था। उन्होंने छोटी उम्र में काम करना शुरू कर दिया था। लता ने अपने भाई-बहनों की जिम्मेदारी खुद संभाली और वो उन्हें पालने-पोसने में इतनी व्यस्त हो गईं कि शादी नहीं की.


लता ताई की 3 बहने उषा,आशा, और मीना थीं जबकि एक भाई हृदयनाथ मंगेशकर था। उनके चारों भाई-बहन संगीत से ही ताल्लुख रखते हैं.

लता मंगेशकर का पहला गाना (Lata Mangeshkar First Song)


साल 1942 में लता ताई ने अपना पहला फ़िल्मी गाना गाया था जो मराठी फिल्म 'कीती हसाल' में था इसके लिए उन्हें 25 रुपए दिए गए थे लेकिन बाद में फिल्म से यह गाना हटा दिया गया था।

लता मंगेशकर का आखिरी गाना (Lata Mangeshkar Last Song)

'आता विसाव्याचे क्षण' इस गाने के बोल हैं, जिसका मतलब है 'अब ये समय आराम करने का है.'यह गाना लता मंगेशकर का अंतिम रिकॉर्डेड गाना था

35 भाषाओं में 30 हज़ार से ज़्यादा गाने

लता ताई को स्वर की देवी कहा जाता था, उन्होंने 35 भाषाओं में 30 हज़ार से ज़्यादा गाने गए हैं। जब भी वो गाना गाती थीं तो नंगे पांव ही गाती थीं. यहां तक कि विदेशी रिसर्चर्स ने उनकी वोकल कार्ड पर रिसर्च करने की इक्षा जताई थी. लता मंगेशकर का वास्तविकनाम हेमा मंगेशकर था।

वो एक नेक इंसान थीं, उन्होंने अपनी सफलता का कभी अहंकार नहीं किया, जब वो कोई गाना गाती थीं तो सम्मान में पैरों से जूती उतार देती थीं. उनके जाने से जैसे एक स्वर्ण सदी का अंत हो गया है. लता मंगेशकर जैसा ना कोई है और ना कोई आगे होगा। RewaRiyasat.com का उन्हें शत शत नमन...

Abhijeet Mishra | रीवा रियासत

Abhijeet Mishra | रीवा रियासत

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