
PM मोदी नहीं जाएंगे मलेशिया: फिर से ट्रम्प से मुलाकात को नकारा, भारत ने US की 'प्रेशर पॉलिटिक्स' को ठेंगा दिखाया; 'जब तक ट्रेड डील नहीं, कोई मीटिंग नहीं'

Highlights
- PM मोदी ने 2025 में क्वालालंपुर में होने वाले आसियान समिट में ट्रम्प से आमने-सामने मुलाकात टाल दी।
- विदेश मंत्रालय के अनुसार यह कदम भारत-अमेरिका ट्रेड डील को अंतिम रूप देने की रणनीति का हिस्सा है।
- मोदी अब वर्चुअली समिट को संबोधित करेंगे।
- ट्रंप ने भारत पर कुल 50% टैरिफ लगाया, जिससे भारतीय कारोबार प्रभावित हुए।
- पूर्व राजदूत और विशेषज्ञों के अनुसार यह रणनीति राजनीतिक और कूटनीतिक समझदारी से भरी है।
PM मोदी ने आसियान समिट में क्यों नहीं किया ट्रम्प से आमने-सामने मिलना / Why PM Modi Skipped Face-to-Face Meeting with Trump
विदेश मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार, PM मोदी 20 अक्टूबर तक क्वालालंपुर में होने वाले ASEAN Summit में शामिल होने वाले थे। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने दिवाली की बधाई के लिए कॉल किया, लेकिन इसके बाद विदेश मंत्रालय ने फैसला किया कि प्रधानमंत्री वर्चुअली ही समिट को संबोधित करेंगे। कारण केवल दिवाली नहीं, बल्कि भारत-अमेरिका के बीच चल रही ट्रेड डील है। समिट से सिर्फ 3 दिन पहले यह निर्णय लिया गया।
पीछे हटने की रणनीति / Strategic Decision to Avoid Direct Meeting
विदेश मंत्रालय का मानना है कि ट्रेड डील फाइनल होने से पहले ट्रम्प के साथ आमने-सामने मिलने पर मीडिया के जरिए दबाव बढ़ सकता है। इसलिए भारत का पक्ष साफ है: पहले व्यापार समझौता पूरा और उसके बाद सार्वजनिक मुलाकात। ट्रम्प के बड़बोलेपन और अप्रत्याशित बयान देने की संभावना को ध्यान में रखते हुए यह कदम उचित समझा गया।
ट्रेड डील और अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ / Trade Deal and US Tariffs
भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय ट्रेड डील अंतिम चरण में है। अप्रैल 2025 में ट्रम्प ने 25% का रेसिप्रोकल टैरिफ लगाया था, और अगस्त में रूस से तेल आयात के बहाने इसे बढ़ाकर कुल 50% कर दिया। यह भारत पर अमेरिका द्वारा लगाया गया सबसे बड़ा टैरिफ है। भारत रूस से करीब 34% क्रूड ऑयल आयात करता है, जबकि अमेरिका से सिर्फ 10%। ट्रम्प चाहते हैं कि भारत रूस से आयात घटाए और अमेरिकी सहयोगियों से बढ़ाए।
पूर्व उदाहरण: मोदी ने पहले भी ट्रम्प से आमने-सामने मुलाकात टाली / Previous Instances Modi Skipped Trump Meetings
पहली बार UNGA 2025 में 27 सितंबर को। दूसरी बार गाजा पीस प्लान समिट में 10 अक्टूबर को। दोनों मौकों पर भी मोदी ने ट्रम्प और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ के साथ साझा मंच से दूरी बनाए रखी। विशेषज्ञों के अनुसार, यह रणनीति भारत-पाकिस्तान तनाव और अमेरिकी प्रेसिडेंट की अनिश्चितता को ध्यान में रखकर बनाई गई।
विशेषज्ञों की राय / Experts Opinion
पूर्व भारतीय राजदूत कंवल सिब्बल ने कहा कि यह निर्णय समझदारी भरा था। अगर मोदी क्वालालंपुर जाते तो ट्रम्प के अप्रत्याशित बयान राजनीतिक और कूटनीतिक जोखिम पैदा कर सकते थे। विदेश नीति विशेषज्ञ ब्रम्हा चेलानी के अनुसार, यह कदम भारत-अमेरिका संबंधों में संतुलन बनाए रखने और ट्रेड डील को अंतिम रूप देने की रणनीति का हिस्सा है।
भारत की रणनीति और आगामी चुनौतियां / India’s Strategy and Upcoming Challenges
विदेश नीति विशेषज्ञों के अनुसार, भारत ने स्पष्ट किया है कि किसी भी दबाव में नहीं आएगा। रूस से तेल आयात, अमेरिका की टैरिफ पॉलिसी और पाकिस्तान से संबंध, ये सभी मुद्दे ASEAN Summit और द्विपक्षीय समझौते को प्रभावित कर सकते थे। मोदी ने ट्रेड डील फाइनल होने तक ट्रम्प से दूरी बनाए रखना बेहतर समझा।
FAQs – PM मोदी और ट्रम्प मुलाकात / Frequently Asked Questions
1. PM मोदी ने आसियान समिट में ट्रम्प से क्यों नहीं मुलाकात की?
विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह रणनीति भारत-अमेरिका ट्रेड डील को अंतिम रूप देने और मीडिया दबाव से बचने के लिए थी।
2. भारत-अमेरिका ट्रेड डील की स्थिति क्या है?
डील अंतिम चरण में है। अधिकांश मुद्दों पर सहमति बन चुकी है और लीगल ड्राफ्टिंग का काम चल रहा है।
3. अमेरिका ने भारत पर कितने टैरिफ लगाए हैं?
अप्रैल 2025 में 25% टैरिफ, और अगस्त में रूस से तेल आयात के कारण बढ़ाकर कुल 50% टैरिफ लगाया गया।
4. भारत ने रूस से तेल आयात में क्या कदम उठाए हैं?
भारत ने स्पष्ट किया कि रूस से तेल आयात में कटौती करेगा, लेकिन वैकल्पिक स्रोतों से आयात सुनिश्चित किया जाएगा।
5. क्या मोदी वर्चुअली समिट में शामिल होंगे?
हां, पीएम मोदी अब ASEAN Summit को वर्चुअली संबोधित करेंगे और ट्रम्प से तब मिलेंगे जब ट्रेड डील पूरी तरह लॉक हो जाए।




