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Aditya L1 Mission: अब सूरज पर कदम रखने की तैयारी में भारत, इसरो लॉन्च कर सकता है सोलर मिशन

Sanjay Patel
27 Aug 2023 7:27 AM GMT
Aditya L1 Mission: अब सूरज पर कदम रखने की तैयारी में भारत, इसरो लॉन्च कर सकता है सोलर मिशन
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Aditya L1 Mission: भारत चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर कामयाब लैंडिंग के बाद अब सूरज पर कदम रखने की तैयारी कर रहा है। इसरो सूर्य के अध्ययन के लिए एक सप्ताह के भीतर यानी 2 सितम्बर को सौर मिशन शुरू कर सकता है।

Aditya L1 Mission: भारत चंद्रयान-3 की चंद्रमा पर कामयाब लैंडिंग के बाद अब सूरज पर कदम रखने की तैयारी कर रहा है। इसरो सूर्य के अध्ययन के लिए एक सप्ताह के भीतर यानी 2 सितम्बर को सौर मिशन शुरू कर सकता है। यह जानकारी स्पेस एप्लिकेशन सेंटर अहमदाबाद के निदेशक नीलेश एम देसाई ने न्यूज एजेंसी को दी।

आदित्य एल1 करेगा सूर्य का अध्ययन

इसरो 2 सितम्बर को सोलर मिशन लॉन्च कर सकता है। आदित्य एल1 सूर्य का अध्ययन करने वाली पहले स्पेस बेस्ड इंडियन लेबोरेट्री होगी। इसे सूर्य के चारों ओर बनने वाले कोरोना के रिमोट ऑब्जर्वेशन के लिए डिजाइन किया गया है। आदित्य यान एल1 यानी सूर्य-पृथ्वी के लैग्नेंजियन पॉइंट पर रहकर सूर्य पर उठने वाले तूफानों को समझेगा। यह पॉइंट पृथ्वी से लगभग 15 किलोमीटर दूर है। यहां तक पहुंचने में इसे तकरीबन 120 दिन यानी 4 माह लगेंगे।

सूर्य और पृथ्वी के बीच किया जाएगा स्थापित

आदित्य यान को सूर्य और पृथ्वी के बीच हेलो ऑर्बिट में स्थापित किया जाएगा। इसरो के मुताबिक एल1 पॉइंट के आसपास हेलो आर्बिट में रखा गया सैटेलाइट सूर्य को बिना किसी ग्रहण के लगातार देख सकता है। इससे रियल टाइम सोलर एक्टिविटीज और अंतरिक्ष के मौसम पर भी नजर रखी जा सकेगी। आदित्य एल1 के पैलोड कोरोनल हीटिंग, कोरोनल मास इजेक्शन, प्री-फ्लेयर और फ्लेयर एक्टिविटीज की विशेषताओं और स्पेस वेदर को समझने के लिए जानकारी देंगे।

पूरी तरह से स्वदेशी है आदित्य यान

इसरो का कहना है कि आदित्य एल1 देश की संस्थाओं की भागीदारी से बनने वाला पूरी तरह स्वदेशी प्रयास है। बेंगलुरू के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ एस्ट्रोफिजिक्स विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ ने इसे पेलोड बनाए हैं। जबकि इंटर यूनिवर्सिटी सेंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स पुणे ने मिशन के लिए सोलर अलट्रावॉयलेट इमेजर पेलोड विकसित किया है। यूीव पेलोड का इस्तेमाल कोरोना और सोलर क्रोमोस्फीयर पर, जबकि एक्स-रे पेलोड का इस्तेमाल सूर्य की लपटों को देखने के लिए किया जाएगा। पार्टिकल डिटेक्टर और मैग्नेटोमीटर पेलोड, चार्ज्ड पार्टिकल के हेलो ऑर्बिट तक पहुंचने वाली मैग्नेटिक फील्ड के बारे में जानकारी प्रदान करेंगे।

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