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नई शिक्षा नीति: स्कूली पाठ्यक्रम में बड़े बदलाव, छात्रों और अभिभावकों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी

नई शिक्षा नीति: स्कूली पाठ्यक्रम में बड़े बदलाव, छात्रों और अभिभावकों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी
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भारत की नई शिक्षा नीति 2020 के तहत स्कूली पाठ्यक्रम में होने वाले प्रमुख बदलावों, नए ढांचे, विषय चयन, कौशल विकास और मूल्यांकन प्रणाली पर विस्तृत जानकारी।

नई शिक्षा नीति 2020 के अंतर्गत, पाठ्यक्रम को अधिक लचीला और समसामयिक बनाने पर जोर दिया जा रहा है। इसका मुख्य उद्देश्य छात्रों में रचनात्मकता, तार्किक सोच और समस्या-समाधान क्षमताओं का विकास करना है। मौजूदा 10+2 प्रणाली को 5+3+3+4 के नए संरचनात्मक ढांचे से बदला जा रहा है, जिसमें प्रारंभिक बचपन की देखभाल और शिक्षा (ECCE) को भी शामिल किया गया है। यह बदलाव छात्रों के समग्र विकास को सुनिश्चित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।

विषय चयन में अधिक स्वतंत्रता

आने वाले समय में छात्रों को विषय चुनने में अधिक स्वतंत्रता मिल सकती है। विज्ञान, वाणिज्य और कला जैसे पारंपरिक स्ट्रीम सिस्टम को खत्म कर छात्रों को अपनी रुचि के अनुसार विभिन्न विषयों के संयोजन चुनने का अवसर मिल सकता है। उदाहरण के लिए, भौतिकी के साथ संगीत या रसायन शास्त्र के साथ फैशन डिजाइनिंग जैसे संयोजन संभव हो सकते हैं। इससे छात्रों को अपनी प्रतिभा और जुनून को बेहतर ढंग से पहचानने और विकसित करने में मदद मिलेगी।

कौशल विकास और व्यावसायिक शिक्षा पर जोर

नई नीति में कक्षा 6 से ही व्यावसायिक शिक्षा और इंटर्नशिप को पाठ्यक्रम का हिस्सा बनाने का प्रस्ताव है। इसका उद्देश्य छात्रों को स्कूली शिक्षा के दौरान ही विभिन्न कौशलों से परिचित कराना है ताकि वे भविष्य के लिए बेहतर रूप से तैयार हो सकें। स्थानीय कारीगरों और उद्योगों के साथ मिलकर छात्रों को व्यावहारिक अनुभव प्रदान करने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

मूल्यांकन प्रणाली में सुधार

पारंपरिक परीक्षा प्रणाली, जो मुख्यतः रटने की क्षमता पर आधारित होती है, उसमें भी बदलाव प्रस्तावित हैं। नई मूल्यांकन प्रणाली अधिक व्यापक, निरंतर और समग्र होगी। इसमें छात्रों के स्व-मूल्यांकन, सहपाठी मूल्यांकन और परियोजना-आधारित कार्यों को भी महत्व दिया जाएगा। रिपोर्ट कार्ड भी अधिक विस्तृत होंगे, जिसमें छात्र के संज्ञानात्मक, भावनात्मक और मनोदैहिक विकास के पहलुओं को शामिल किया जाएगा।

अभिभावकों और शिक्षकों की भूमिका

इन बदलावों को सफलतापूर्वक लागू करने में शिक्षकों और अभिभावकों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होगी। शिक्षकों को नए पाठ्यक्रम और शिक्षण विधियों के लिए प्रशिक्षित किया जाएगा। वहीं, अभिभावकों को भी इन बदलावों को समझने और अपने बच्चों को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता होगी ताकि वे नई प्रणाली का अधिकतम लाभ उठा सकें।

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