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नाथूराम गोडसे आतंकवादी या राष्ट्र के सपूत? गांधी की हत्या के बाद गोडसे का आखिरी बयान सब क्लियर कर देगा

नाथूराम गोडसे आतंकवादी या राष्ट्र के सपूत? गांधी की हत्या के बाद गोडसे का आखिरी बयान सब क्लियर कर देगा
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Why Godse Killed Gandhi/गोडसे ने गांधी को क्यों मारा: आजादी के 76 साल बीत जानें के बाद भी भारत में Gandhi Vs Godase की लड़ाई जारी है

Nathuram Godse Terrorist Or Son Of Nation: अंग्रेजों से लड़कर भारत को आजाद हुए 76 साल बीतने को हैं. लेकिन आज भी Gandhi Vs Godse की लड़ाई जारी है. देश का एक तबका गोडसे को राष्ट्रभक्त और राष्ट्र सपूत कहता है तो दूसर धड़ उन्हें आतंकवादी कहता है क्योंकी उन्होंने मोहनदास करमचंद्र गांधी की हत्या कर दी थी.

30 जनवरी 1948 के दिन गांधी जी के परम शिष्य कहे जाने वाले नाथूराम गोडसे ने उन्ही की गोली मारकर हत्या कर दी थी और बाद में आत्मसमर्पण कर दिया था. यह देश के लिए चौकाने वाला था कि जिस शख्स ने जीवनपर्यन्त देश की आज़ादी के लिए लड़ाई लड़ी हमेशा गांधी के साथ रहा वो उस महात्मा कि हत्या कैसे कर सकता है? उस घटना के बाद से आजतक नाथूराम गोडसे को आतंकी, देशद्रोही और ना जाने कितनी गालियों के साथ सम्बोधित किया जाता है। समाज का एक तबका उनके समर्थन में है लेकिन खुलकर कुछ कहने से डरता है और तीसरा तबका नाथूराम से आज भी नफरत करता है।

गोडसे ने गांधी की हत्या क्यों की?

ऐसी क्या वजह थी के नाथूराम गोडसे को मोहनदास करमचंद्र गांधी की हत्या करनी पड़ी, इसका जवाब खुद गोडसे ने कोर्ट में दिया था. गोडसे के लिखे कई पत्र आज भी गोपनीय है उन्हें सार्वजानिक नहीं किया गया है लेकिन उनके कोर्ट में दिए गए बयान को कुछ सालों पहले सबके सामने पेश किया था. जब नाथूराम ने कोर्ट में गांधी को मारने का कारण बताया था तो कोर्ट में बैठे हर शख्स की आंखों से आंसुओं की धाराएं बहने लगी थी।

नाथूराम गोडसे का आखिरी बयान

कोर्ट में गोडसे के कहा था- 'सम्मान, कर्तव्य और अपने देशवासियों के प्रति प्यार कभी-कभी हमें अहिंसा के सिद्धांत से हटने के लिए विवश कर देता है. मैं कभी यह नहीं मान सकता कि किसी आक्रामक का सशस्त्र प्रतिरोध करना कभी ग़लत या अन्यायपूर्ण भी हो सकता है'

प्रतिरोध करना यदि संभव है तो ऐसे शत्रु को बलपूर्वक वश में करने को मैं नैतिक कर्तव्य मानता हूं, मुसलमान मनमानी कर रहे थे, या तो कांग्रेस उनकी इच्छा के सामने आत्मसमर्पण कर दे और उनकी सनक, मनमानी और आदिम रवैये के स्वर में स्वर मिलाए या फिर उनके बिना काम चलाए। वे (गांधी जी) अकेले ही प्रत्येक वस्तु और व्यक्ति के निर्णायक थे. महात्मा गांधी अपने लिए जूरी और जज दोनों थे, उन्होंने सिर्फ मुसलमानों को खुश करने के लिए हिंदी भाषा के सौंदर्य के साथ बलात्कार किया।

गांधी जी के सभी प्रयोग केवल हिन्दुओ की कीमत पर किए जाते थे, जो कांग्रेस अपनी देशभक्ति और समाजवाद का दंभ भरा करती थी, उसी ने चुपके से बन्दूक की नोंक पर पाकिस्तान को स्वीकार कर लिया और जिन्ना के सामने नीचता से आत्मसमर्पण कर दिया। मुस्लिम तुषितकरण की नित्ति के कारण भारत माता के टुकड़े कर दिए गए और 15 अगस्त के बाद देश का एक तिहाई भाग हमारे लिए ही विदेशी भूमि बन गई.

नेहरू और उनकी भीड़ की स्वीकारोक्ति के साथ एक ही धर्म के आधार पर अलग राज्य बना दिया गया. इसी को वे बलिदान द्वारा जीती गई स्वतंत्रता कहते हैं और किसका बलिदान? जब कांग्रेस के नेताओं ने गांधी जी की सहमति से इस देश को काट डाला, जिसकी हम पूजा करते हैं. तो मेरा मष्तिस्क क्रोध से भर गया. मैं साहसपूर्वक कहता हूं कि गांधी अपने कर्तव्य में असफल हो गए. उन्होंने स्वयं को पाकिस्तान का पिता होना सिद्ध किया।

मैं कहता हूं की मेरी गोलियां एक ऐसे व्यक्ति पर चलाई गई थी, जिनकी नीतियों और कार्यों से करोडो हिन्दुओं को केवल बर्बादी और विनाश मिला। ऐसी कोई कानूनी प्रक्रिया नहीं थी, जिनके द्वारा उस अपराधी को सज़ा दिलाई जा सके. इसी लिए मैंने इस घातक रास्ते का अनुसरण किया।

मैं अपने लिए माफ़ी की गुजारिश नहीं करुगा, जो मैंने किया उसपर मुझे गर्व है, मुझे संदेह नहीं है कि इतिहास के ईमानदार लेखक मेरे कार्य का वजन तोल कर भविष्य में किसी दिन इसका सही मूल्यांकन करेंगे। जबतक सिन्धु नदी भारत के ध्वज के नीचे से ना बहने लगे तबतक मेरी अस्थियों को विसर्जित मत करना।


लेखक गांधी की हत्या करने वाले नाथूराम गोडसे की पैरवी नहीं करता है, लेकिन भारत का संविधान पक्ष और विपक्ष दोनों की बातों को प्रकट करने की आजादी देता है. लेखक राष्ट्रपिता की हत्या को सही नहीं ठहरता लेकिन उस हत्या के पीछे नाथूराम गोडसे ने जो कारण बातया वह लोगों को मालूम होना चाहिए



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