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मोदी सरकार 'गीता प्रेस' को गांधी शांति पुरस्कार दे रही, कांग्रेस बुरा मान गई

मोदी सरकार गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दे रही, कांग्रेस बुरा मान गई
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गीता प्रेस गोरखपुर वही संस्था है जिसने हिंदू धर्म ग्रंथों को बचाने रखने के लिए निस्वार्थ काम किया है

Gandhi Peace Prize to 'Gita Press: केंद्र सरकार ने गोरखपुर की संस्था 'गीता प्रेस' को गांधी शांति पुरस्कार देने का एलान किया है. गीता प्रेस वही संस्था है जिसने सनातन धर्म से जुडी किताबों को संरक्षित करने और उन्हें घर-घर पहुचांने के लिए निस्वार्थ काम किया है. जाहिर है गीता प्रेस एक हिन्दू संस्था है इसी लिए कांग्रेस को इससे आपत्ति होने लगी है. कांग्रेस का कहना है कि गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार देना मतलब गोडसे-सावरकर को पुरस्कार देना है.

गांधी शांति अवार्ड की शुरुआत 1995 में हुई थी. केंद्र सराकर की तरफ से Gandhi Peace Prize उन लोगों का संस्थानों को दिया जाता है जिन्होंने 'अहिंसक और अन्य गांधीवादी तरीकों से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक परिवर्तन की दिशा में योगदान' दिया है. केंद्र सरकार ने आधिकारिक बयान जारी करते हुए कहा है कि गीता प्रेस गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार 2021 दिया जाएगा।

गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार

पीएम मोदी ने गीता प्रेस गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार मिलने के मौके पर कहा- ‘‘मैं गीता प्रेस, गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार 2021 से सम्मानित किए जाने पर बधाई देता हूं. उन्होंने पिछले 100 सालों में लोगों के बीच सामाजिक और सांस्कृतिक परिवर्तन को आगे बढ़ाने की दिशा में काफी सराहनीय कार्य किया है.''

कांग्रेस को क्या दिक्क्त है?

कांग्रेस ने गीता प्रेस गोरखपुर को गांधी शांति पुरस्कार देने का विरोध किया है. कांग्रेस का कहना है कि इस संस्था को यह अवार्ड देना यानी गोडसे-सावरकर को सम्मान देने जैसा है. कांग्रेस नेता जयराम रमेश ने ट्वीट करते हुए कहा-

"साल 2021 के लिए गांधी शांति पुरस्कार गोरखपुर के गीता प्रेस को दिया जा रहा है, जो कि अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है. अक्षय मुकुल की 2015 में आई एक बहुत अच्छी जीवनी है. इसमें उन्होंने इस संगठन के महात्मा के साथ तकरार भरे संबंधों और राजनीतिक, धार्मिक और सामाजिक एजेंडे पर उनके साथ चली लड़ाइयों का खुलासा किया गया है. यह फैसला वास्तव में एक उपहास है और ये सावरकर और गोडसे को पुरस्कार देने जैसा है.''

मतलब अगर गीता प्रेस का महात्मा गांधी से वैचारिक तकरार थी तो उसे कांग्रेस के हिसाब से सम्मानित नहीं किया जाना चाहिए। देखा जाए तो भीमराव आंबेडकर और नेता जी सुभासचन्द्र बोस से भी गांधी के मतभेद थे तो क्या इन्हे भी वो सम्मान नहीं मिलना चाहिए जो गांधी को मिलता है?


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