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Lumpy Infected Milk: क्या लंपी वायरस से ग्रसित जानवर का दूध पीना सुरक्षित है या नहीं, आइए जानें

Lumpy Infected Milk: क्या लंपी वायरस से ग्रसित जानवर का दूध पीना सुरक्षित है या नहीं, आइए जानें
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Lumpy Infected Milk: पशुधन को बचाने के लिए सरकार एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है।

Lumpy Infected Animal Milk Safe Or Not : इस समय देश के करीब दर्जन भर से ज्यादा प्रदेशों में लंपी नामक बीमारी (Lumpy Skin Disease) फैली हुई है। इन प्रदेशों के लाखों मवेशी रोग से ग्रसित है। केंद्र और राज्य सरकार बीमारी से निपटने पूरा प्रयास कर रहे हैं। हाल के दिनों में इसके लिए एक स्वदेशी टीका विकसित कर लिया गया है। जिसे बाजार में उतारने की तैयारी चल रही है। वहीं शासकीय पशु चिकित्सालय में इस टीके को उपलब्ध करवाया जा रहा है। पशुधन को बचाने के लिए सरकार एड़ी चोटी का जोर लगाए हुए है। इसके बाद भी बीमारी दिनों दिन फैलती जा रही है। ऐसे में एक भ्रांति समाज में फैली हुई है कि लंपी बीमारी से ग्रसित पशुओं का दूध (Lumpy Infected Animal Milk) सेवन किया जा सकता है या नहीं इस पर बहुत सारी भ्रांतियां फैली हुई है। आइए इस संबंध में जानकारी हासिल करें कि एक्सपर्ट का क्या कहना है।

दूध का सेवन करें या नहीं

Kya Lumpy Infected Pashu Ka Doodh Peena Surakshit Hai? लंपी नामक (Lumpy Disease) बीमारी की चपेट में आने के बाद पशुओं के शरीर में छोटे-छोटे धब्बे और गांठ दिखने लगते हैं। संक्रमित होने वाले दुधारू पशु के दूध का उपयोग किया जाए या नहीं इस पर लोगों द्वारा संशय बरकरार है।

लेकिन अब तक हुए अध्ययन से पता चलता है कि दुधारी जानवर के दूध में लंपी वायरस (Lumpy Virus) का कोई भी अंश नहीं होता। ऐसे में दूध का सेवन किया जा सकता है। लेकिन इसके लिए जानकारों द्वारा यह कहा गया है कि दूध का उपयोग करने से पूर्व उसे अच्छी तरह से उबाल लें।

बताया गया है कि दूध उबालने के बाद उसमें मौजूद सभी तरह के वायरस नष्ट हो जाएंगे। एक्सपर्ट कहते हैं लंबी एक गैर जूनोटिक रोग है। इस संक्रमण का असर जानवरों के दूध में नहीं पहुंचता। कई जानकार लोगों द्वारा यह भी बताया गया है कि बिना उबाले भी दूध का उपयोग सुरक्षित है। लेकिन उबाला हुआ दूध पूर्णरूपेण सुरक्षित होता है।

लम्पी वायरस के लक्षण

Lumpy Virus Ke Lakshan? बताया गया है कि लंबी वायरस (Lumpy Virus) से संक्रमित होने के बाद पशुओं (Lumpy Virus Infected Animal) में इसका असर संक्रमण के 14 दिन के अंदर दिखाई देने लगता है। पशुओं में लगातार तेज बुखार तथा उनके शरीर की त्वचा में धब्बे पड़ने लगते हैं। जो बाद में थक के और गांठ के रूप में उभर कर सामने आते हैं। धीरे-धीरे उनमें घाव बन जाता है।

पीड़ित दुधारू पशु में दूध देने की क्षमता भी घटती है। साथ में पशुओं का वजन भी तेजी के साथ घटता है। बताया गया है कि मुंह और नाक से लार निकलने लगता है।

चल रहा टीकाकरण

Lumpy Virus Teekakaran Abhiyan: लंबी वायरस की बीमारी से निपटने के लिए टीकाकरण अभियान (Lumpy Virus Teekakaran Abhiyan) चलाया गया है। देश के वैज्ञानिकों ने टीका तैयार कर लिया है। लम्पी प्रो वैक इंड नाम से विकसित किया गया यह टीका पिछले दिनों कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लांच किया है। जल्दी ही इसे बाजार में उतारने की तैयारी की जा रही है।

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