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Lok Sabha Elections 2019: आदर्श आचार संहिता से पहले CM कमलनाथ का बड़ा दांव

Aaryan Dwivedi
16 Feb 2021 6:05 AM GMT
Lok Sabha Elections 2019: आदर्श आचार संहिता से पहले CM कमलनाथ का बड़ा दांव
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भोपाल। लोकसभा चुनाव के लिए आदर्श आचार संहिता प्रभावी होने के ठीक पहले मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बड़ा दांव खेला है। नाथ ने किसानों की सभा में सामान्य वर्ग को 10 फीसदी और पिछड़ा वर्ग को 14 से बढ़ाकर 27 फीसदी आरक्षण देने की घोषणा कर दोनों वर्गों को साधने की कोशिश की है। सियासी हलकों में इसे कांग्रेस सरकार का बड़ा कदम माना जा रहा है।

मुख्यमंत्री कमलनाथ ने बुधवार को सागर में आयोजित जय किसान ऋ ण माफी योजना के प्रमाण पत्र वितरण समारोह में एलान किया है कि प्रदेश में पिछड़ा वर्ग के युवाओं व छात्र-छात्राओं को 27 प्रतिशत और सामान्य वर्ग को 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाएगा।

प्रदेश में पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने की मांग लंबे समय से उठ रही है। इस मांग को लेकर हर साल धरना और प्रदर्शन भी होते हैं। इस मुद्दे पर पिछले एक साल से अनुसूचित जाति-जनजाति वर्ग भी पिछड़ा वर्ग के साथ है। अजाक्स (अनुसूचित जाति-जनजाति अधिकारी-कर्मचारी संघ) ने भी विधानसभा चुनाव से पहले अपने मंच से यह मांग उठाई थी। हालांकि तब तत्कालीन सरकार का एससी-एसटी वर्ग पर ही फोकस रहा।

मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणा पर सपाक्स का कहना है कि सरकार चाहकर भी इसे पूरा नहीं कर सकती है, क्योंकि ऐसा करना संविधान के विरुद्ध होगा। उल्लेखनीय है कि रामजी महाजन आयोग ने वर्ष 1998 में पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देने की सिफारिश की थी, लेकिन इसके खिलाफ लोग अदालत चले गए और यह सिफारिश आज तक पूरी नहीं हो सकी।

वर्तमान में 50 फीसदी आरक्षण प्रदेश में वर्तमान में अनुसूचित जाति को 16, जनजाति को 20 और पिछड़ा वर्ग को 14 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है। इस तरह तीनों वर्गों को मिलाकर 50 फीसदी आरक्षण दिया जा रहा है।

सरकार ने कहा है तो लागू होगा राज्यसभा सदस्य राजमणि पटेल कहते हैं कि सरकार की घोषणा है तो जरूर पूरी होगी। वे कहते हैं कि संविधान में 50 फीसदी से ज्यादा आरक्षण देने को लेकर कोई बैरियर नहीं है। राज्यों को संबंधित वर्ग की जनसंख्या के मान से फैसला लेने का अधिकार है।

पूर्व मुख्य सचिव बोले - संभव नहीं है प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव केएस शर्मा कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश को देखते हुए पिछड़ा वर्ग को 27 फीसदी आरक्षण देना संभव नहीं है। वे कहते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने संविधान की व्याख्या करते हुए 50 फीसदी से अधिक आरक्षण पर रोक लगाई है। इसीलिए इंद्रा साहनी मामले में आए फैसले के बाद इससे ज्यादा आरक्षण नहीं दिया गया। शर्मा कहते हैं कि सामान्य वर्ग को लेकर केंद्र सरकार ने कानून में संशोधन कर दिया है, इसलिए उसे 10 फीसदी आरक्षण दिया जा सकता है।

यह चुनावी शिगूफा : सपाक्स सपाक्स के संस्थापक सदस्य एके जैन कहते हैं कि यह चुनावी शिगूफा है। सरकार न तो पिछड़ा वर्ग का आरक्षण बढ़ा सकती है और न ही सामान्य वर्ग को 10 फीसदी आरक्षण दे सकती है, क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा संविधान में किए गए संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दे दी गई है। अभी तक कोर्ट ने अपना फैसला नहीं सुनाया है।

सरकार ने हमारी आवाज सुनी : अजाक्स अजाक्स के विजय शंकर श्रवण कहते हैं कि सरकार अपनी घोषणा पूरी कर सकती है। उसमें किसी तरह की संवैधानिक दिक्कत नहीं है।

Aaryan Dwivedi

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