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केरल हाईकोर्ट ने PFI पर 5.2 करोड़ का जुर्माना ठोंका! कहा- विरोध प्रदर्शन में जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई करो

केरल हाईकोर्ट ने PFI पर 5.2 करोड़ का जुर्माना ठोंका! कहा- विरोध प्रदर्शन में जो नुकसान हुआ उसकी भरपाई करो
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Kerala High Court imposed a fine of 5.2 crores on PFI: केरल हाईकोर्ट ने गुरुवार को बैन हो चुके संगठन पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और केरल के पूर्व महासचिव पर 5.2 करोड़ रुपए का जुर्माना ठोंक दिया है

Kerala HC On PFI: केरल हाईकोर्ट ने केंद्र द्वारा बैन किए गए इस्लामिक संगठन, पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) और केरल के पूर्व महासचिव पर 5.2 करोड़ रुपए का जुर्माना ठोंका है. केरल हाईकोर्ट ने दोनों को आदेश दिए हैं कि यह रक़म राज्य के गृह विभाग के पास जमा करा दी जाए। गौरतलब है कि NIA ने जब PFI के लोगों को हिरासत में लिया था तब संगठन के कार्यकर्ताओं ने उग्र प्रदर्शन और हिंसा की थी. सरकारी सम्पत्तियों को नुकसान पहुँचाया था.

PFI पर 5 करोड़ का जुर्माना

22 सितंबर को प्रतिबंधित संगठन PFI के ठिकानों पर NIA की रेड के बाद 23 सितंबर को PFI के लोगों ने हड़ताल किया था केरल बंद के दौरान PFI के लोगों ने खूब तोड़फोड़ और हिंसा मचाई थी. जिसके बाद केरल स्टेट रोड ट्रांसपोर्ट कॉरपोरेशन (KSRTC) ने इस नुकसान की अनुमानित कीमत 5.2 करोड़ आंकी थी।

इसके बाद KSRTC ने हाईकोर्ट में याचिका लगाई, और बताया कि हड़ताल से पहले PFI ने उन्हें इसके बारे में कोई जानकारी नहीं दी थी. प्रदर्शन के दौरान उनकी बसें तोड़ी गईं, और पैसेंजर्स भी बसों में नहीं बैठे। इसी संबंध में केरल हाईकोर्ट ने कहा कि PFI को इस नुकसान के लिए जिम्मेदार ठहराया जाना जरूरी है।

हिंसा के लिए राज्य सरकार और पुलिस भी जिम्मेदार

कोर्ट ने कहा कि केरल राज्य सरकार और पुलिस ने PFI के लोगों को बंद बुलाने से रोका तक नहीं, इस हिंसा को रोका जा सकता था. मगर हालत में काबू पाने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया. जबकत कोर्ट ने दखल नहीं दिया तबतक कोई एक्शन ही नहीं लिया गया. हमने 7 जनवरी 2019 को ही आदेश दे कि राज्य में हड़ताल के उद्देश्य से कोई जुलूस, रैली, प्रदर्शन, बंद जैसी गतिविधियों के लिए अनुमति नहीं दी जाएगी। तो पुलिस ने संगठन के लोगों को ऐसा करने से क्यों नहीं रोका?

जुर्माना भरो तभी बेल मिलेगी

कोर्ट ने कहा कि राज्य के लोगों को इस डर के माहौल में नहीं छोड़ा जा सकता, जबतक ये लोग जुर्माना नहीं भरते हैं तबतक बेल के लिए किसी याचिका की सुनवाई नहीं होनी चाहिए ना किसी को बेल मिलनी चाहिए

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