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ईरान-इजराइल: कभी दोस्त, अब सबसे बड़े दुश्मन; जानें कैसे बदली कहानी

ईरान-इजराइल
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एक दौर था जब ईरान और इजराइल घनिष्ठ सहयोगी थे। 1979 की इस्लामिक क्रांति ने सब कुछ बदल दिया, और आज ये दोनों एक-दूसरे के सबसे बड़े दुश्मन हैं।

ईरान और इजराइल: दोस्ती से दुश्मनी तक का सफर

आज दुनिया ईरान और इजराइल को एक-दूसरे के सबसे बड़े दुश्मन के तौर पर देखती है, लेकिन एक समय था जब ये दोनों देश गहरे दोस्त और सहयोगी थे। ईरान में 1979 की इस्लामिक क्रांति ने सब कुछ बदल दिया – लोगों की सोच, आजादी, पहनावा और समाज का पूरा ताना-बाना। मौजूदा ईरान की तस्वीर 1979 के बाद की कहानी दिखाती है, जबकि इससे पहले का ईरान बिल्कुल अलग था। सोशल मीडिया पर कई पुरानी तस्वीरें और वीडियो इस बात को साबित करते हैं कि क्रांति से पहले का ईरान कितना अलग और आधुनिक विचारों वाला था।

सोशल मीडिया पर वायरल हुए पुराने ईरान के नज़ारे

सोशल मीडिया पर कई यूज़र्स ने पुरानी तस्वीरें और वीडियो साझा कर क्रांति से पहले के ईरान की झलक दिखाई है:

एक यूज़र ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "ईरान और इजरायल कभी अच्छे दोस्त हुआ करते थे, खासकर 1979 की इस्लामिक क्रांति से पहले।" एक टिप्पणी में कहा गया, "1979 की क्रांति से पहले ईरान एक ऐसा देश था जिसे पूरी दुनिया इज्जत देती थी। 1960 में ईरान के शाह का अमेरिका में खुले दिल से स्वागत हुआ था।"

एक अन्य यूज़र ने पुरानी तस्वीर पोस्ट करते हुए लिखा, "ईरान हमेशा से ऐसा कट्टर धार्मिक देश नहीं था। 1979 से पहले महिलाएं अपनी मर्जी के कपड़े पहनती थीं। वो जज और सांसद भी बनती थीं। तेहरान एक ट्रैवल डेस्टिनेशन हुआ करता था (अपने पेरेंट्स से पूछो)। यह है ईरान का वो चेहरा जो अब नहीं दिखता।"

एक शख्स ने एक वीडियो शेयर करते हुए लिखा, "देखिए 1979 की इस्लामिक क्रांति से पहले का ईरान!" इस वीडियो में एक महिला टीचर वेस्टर्न कपड़ों (टॉप और जींस में) में दिख रही हैं। एक अन्य सोशल मीडिया यूज़र ने एक वीडियो शेयर कर पुराने ईरान की तस्वीर दिखाने की कोशिश की है। इस वीडियो में महिलाएं वेस्टर्न आउटफिट्स में, कोई बिकिनी में तो कोई शॉर्ट ड्रेसेज में दिख रही हैं। यूज़र ने लिखा, "यह है ईरान... उस 'सीआईए-इस्लामिक क्रांति' से पहले का।"

एक सोशल मीडिया यूज़र ने लिखा, "1979 से पहले का ईरान सिर्फ मिनीस्कर्ट्स या हिजाब का मुद्दा नहीं था। वो समय था जब ईरान में मजबूत इकोनॉमी थी, बराबरी के हक थे, कोई मौलवियों की हुकूमत नहीं थी, ब्रेन ड्रेन नहीं था, और पासपोर्ट की दुनिया भर में इज्जत थी। वो एक ऐसा देश था जिसने राजनीतिक इस्लाम को ठुकरा दिया था।"

एक अन्य ने लिखा, "वो ईरान जिसे अब शायद कभी न देख पाएं। आज का ईरान हिजाब, मोरल पुलिस, 'अमेरिका मुर्दाबाद' और न्यूक्लियर ड्रीम्स के लिए जाना जाता है। लेकिन कभी ये देश बहुत अलग दिखता था, मॉडर्न, खुला, स्टाइलिश और काफी हद तक वेस्टर्न जैसा।"

पहलवी शासन में रिश्तों की मज़बूती

1948 में इजरायल के बनने के बाद, ईरान ने तुर्की के बाद उसे मान्यता देने वाला दूसरा मुस्लिम देश बनने की पहल की। हालांकि, संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के खिलाफ वोट देने के बावजूद, व्यावहारिक ज़रूरतों के चलते दोनों देशों के बीच संबंध शुरू हुए।

1953 में शाह मोहम्मद रजा पहलवी के सत्ता में लौटने के बाद ईरान और इजरायल के संबंध और मज़बूत हुए। दोनों देशों ने इराक और मिस्र जैसे साझा दुश्मनों के खिलाफ मिलकर काम किया। इजरायल को ईरान से तेल मिलता था, और बदले में ईरान को सैन्य हथियार, तकनीक और सहयोग मिलता था। 1957 में ईरान की खुफिया एजेंसी SAVAK को सीआईए और इजरायली मोसाद की मदद से बनाया गया। दोनों देशों के बीच सैन्य समझौतों से लेकर सांस्कृतिक आदान-प्रदान तक सब कुछ साझा किया गया। शाह का झुकाव पश्चिम की ओर था और वह इजरायल की सैन्य सफलताओं से काफी प्रभावित थे।

क्रांति और दुश्मनी की शुरुआत

1979 में ईरान में इस्लामी क्रांति होने के बाद पूरी तस्वीर बदल गई। नई सरकार ने इजरायल के साथ सभी रिश्ते तोड़ दिए और उसे 'छोटा शैतान' कहना शुरू कर दिया। लेकिन इसके बावजूद, 1980-88 के ईरान-इराक युद्ध के दौरान दोनों के बीच चोरी-छिपे हथियारों के सौदे चलते रहे।

1990 के बाद, खासकर खाड़ी युद्ध के बाद, ईरान और इजरायल के बीच खुलकर दुश्मनी शुरू हो गई। ईरान ने हिजबुल्ला, हमास और हूतियों जैसे शिया समूहों को समर्थन देना शुरू किया। जवाब में, इजरायल ने सीरिया, लेबनान और गाजा में सैन्य कार्रवाई की और ईरानी वैज्ञानिकों की लक्षित हत्याएं भी कीं।

आज के गंभीर हालात

आज हालात इतने बिगड़ चुके हैं कि इजरायल ने पहली बार ईरान के खिलाफ आधिकारिक सैन्य अभियान की घोषणा की है। यह दो पूर्व मित्र देशों के बीच एक लंबा और खतरनाक टकराव बन सकता है।

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