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हिजाब विरोधियों के आगे झुका ईरान, मॉरलिटी पुलिसिंग खत्म, इस विरोध में अबतक 300 बेगुनाह मारे गए

हिजाब विरोधियों के आगे झुका ईरान, मॉरलिटी पुलिसिंग खत्म, इस विरोध में अबतक 300 बेगुनाह मारे गए
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Iran bows down to Hijab opponents: हिजाब और ईरान की मॉरलिटी पुलिसिंग के खिलाफ ईरान की अवाम पिछले 3 महीने से प्रोटेस्ट कर रही थी

Iran bows down to Hijab opponents: इस्लामिक कट्टरपंथी देश ईरान आखिरकार हिजाब प्रोटेस्टर्स के आगे झुक गया. 300 बेक़सूर लोगों की जान लेने के बाद ईरान की सरकार ने देश से मॉरलिटी पुलिस को बंद करने का फैसला किया है. ईरान में अगर कोई महिला के सिर के बाल भी दिखाई दे जाते थे तो मोरल पुलिस के लोग उसे बीच राह में पीटना शुरू कर देते थे और बाद में कोड़े मारकर सज़ा दी जाती थी.


ईरान में हिजाब और मॉरलिटी पुलिस के खिलाफ विरोध तब शुरू हुआ था जब 16 सितंबर 2022 के दिन 22 साल की स्टूडेंट महसा अमिनी (Mahsa Amini) को पीट-पीटकर इस लिए मार डाला गया था क्योंकि उसने सही तरीके से हिजाब पहना नहीं था. इस घटना के बाद ईरान की सभी महिलाओं ने हिजाब को जलाना, अपने बाल काटना और सड़कों में उतारकर बगैर हिजाब के प्रदर्शन करना शुरू कर दिया था. इसके ईरान के मर्दों ने भी महिलाओं का साथ दिया था.

क्या ईरान में हिजाब पहनना अब अनिवार्य नहीं?

ईरान में अबतक हिजाब न पहनने पर महिलाओं को सरेआम पीटा जाता था. महसा अमिनी की मौत इसी पिटाई के चलते हुई. ईरानी सरकार ने हिजाब न पहनने जैसी कोई छूट नहीं दी है. उसने सिर्फ हिजाब न पहनने पर एक्शन लेने वाली मॉरलिटी पुलिसिंग को बंद कर दिया है. इसका मतलब ये नहीं है कि ईरानी महिलाओं को अपने तरीके से जीने का अधिकार मिल गया है.

ईरान सरकार आंदोलन से डर गई

ईरान की मोरल पुलिस उन महिलाओं पर सख्त कार्रवाई करती है जो शरीयत के हिसाब से तय किए गए कपड़े नहीं पहनती। इस नियम के मुताबिक महिलाओं का सिर से लेकर पैरों तक पूरा बदन ढाका रहना चाहिए यहां तक की सिर के बाल भी दिखाई नहीं देने चाहिए। जो शरिया कानून तोड़ता है उसे पूरे समाज के सामने कोड़े मारकर दण्डित किया जाता है.

ईरानी सरकार के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद जफर मोंताजेरी ने कहा- मोरल पुलिसिंग का ज्यूडिशरी से कोई ताल्लुक नहीं है इसी लिए हम इसे खत्म कर रहे हैं. ईरान में मोरल पुलिस को 'गश्त-ए-एरशाद' कहा जाता है. 2006 में तब के ईरानी राष्ट्रपति मोहम्मद अहमदीनेजाद ने इसकी शुरुआत की थी।

बाद में प्रेसिडेंट हसन रूहानी के दौर में महिलाओं के पहनावे में कुछ राहत दी गई थी। तब महिलाओं के ढीली जींस और कलरफुल हिजाब पहनने की मंजूरी दी गई थी। जुलाई में जब इब्राहिम रईसी राष्ट्रपति बने तो उन्होंने बहुत सख्ती से पुराना ही कानून लागू कर दिया।

एक तरफ कट्टरपंथी देश ईरान की महिलाऐं हैं जो हिजाब से आज़ादी पाना चाहती हैं और दूसरी तरफ भारत की कुछ PFI प्रभावित मुस्लिम छात्राएं जो स्कूल में हिजाब पहनने के लिए सुप्रीम कोर्ट तक चली जाती हैं. ईरान की शिक्षित महिलाऐं इस्लामिक हुकूमत से छुटकारा पाने के लिए अपना देश छोड़ देती हैं तो भारत की कुछ मुस्लिम छात्राएं हिजाब के लिए परीक्षा।

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